Congress High Command in Action:सत्ता का ख्वाब टूटने के बाद एक्शन में कांग्रेस हाई कमान, बदले जा सकते है प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष !

Edited By Isha, Updated: 09 Oct, 2024 03:57 PM

congress high command in action after the dream of power is shattered

हरियाणा की सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी कांग्रेस नेताओं के दिल के अरमा दिल में ही रह गए। बेशक 2019 के चुनाव की तुलना में 2024 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस को 6 सीट अधिक यानि 37 सीट मिली है, लेकिन इन सबके बावजूद वह सत्ता से दूर...

 

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी):  हरियाणा की सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी कांग्रेस नेताओं के दिल के अरमा दिल में ही रह गए। बेशक 2019 के चुनाव की तुलना में 2024 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस को 6 सीट अधिक यानि 37 सीट मिली है, लेकिन इन सबके बावजूद वह सत्ता से दूर है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी कर रही है। इसी के साथ हैट्रिक लगाते हुए प्रदेश में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का रिकॉर्ड भी भारतीय जनता पार्टी के नाम हो गया है। एक दशक के लंबे अंतराल के बाद हरियाणा की सत्ता में वापसी का सपना टूट जाने के बाद कांग्रेस हाई कमान भी पार्टी की प्रदेश इकाई में जल्द ही बड़ा फेरबदल करने की तैयारी में जुट गया है। 

प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। यहां बीजेपी ने उनके सामने हरेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। अब चुनाव के परिणाम में हरेंद्र सिंह ने कुल 68697 वोट पाकर जीत दर्ज की। वहीं, उदयभान के खाते में 66065 वोट आए। ऐसे में उदयभान 2632 वोटों के अंतर से हार गए हैं। होडल विधानसभा सीट पर तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार नवीन रोहिला रहीं, जिनको कुल 2077 वोट मिले। वहीं,  इनेलो के उम्मीदवार सुनील कुमार 1838 वोट लाकर चौथे स्थान पर रहे। वहीं, आम आदमी पार्टी के मनोहर को केवल 292 वोट मिले। दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी उम्मीदवार सतवीर के खाते में 281 वोट आए।



उदयभान ने किया था रिकॉर्ड जीत का दावा
गौरतलब है कि हरियाणा कांग्रेस चीफ उदयभान ने बीते दिन ही भरोसा जताया था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस रिकॉर्ड मतों से जीतने वाली है और साल 2005 का रिकॉर्ड भी तोड़ देगी। दरअसल, साल 2005 में कांग्रेस ने 90 में से कुल 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय प्रदेश अध्यक्ष भजनलाल थे, जिनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा गया था। उस समय मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी भजनलाल थे। अब प्रदेश अध्यक्ष उदयभान डमी प्रधान के रूप में साबित हुए। उन पर पूरा साया भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रहा। 

साल 2022 में प्रदेश अध्यक्ष बने थे उदयभान
हरियाणा में कांग्रेस ने पुनर्गठन के बाद 27 अप्रैल 2022 को उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। तबसे राज्य में कांग्रेस की कमान वही संभाल रहे थे। हालांकि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को यह फैसला रास नहीं आया था। दावा किया जाता है कि उदयभान, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा कांग्रेस चीफ न रहते हुए भी हुड्डा का पार्टी इकाई पर पूरा कंट्रोल था। मौके-बे-मौके बीजेपी भी यह दावा करती रही है।

कईं सालों में भी नहीं बन पाया संगठन
हरियाणा की सत्ता में आने का ख्वाब देखने वाली कांग्रेस पिछले कईं सालों से प्रदेश में पार्टी का संगठन भी नहीं बना पाई है। जिला और ब्लॉक स्तर पर पार्टी का संगठन नहीं होने के कारण कांग्रेस के नेताओं के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है, जिसके चलते वह पार्टी के संगठन के साथ की बजाए नेताओं की आपसी गुटबाजी का शिकार होते रहते हैं। हालांकि इस दौरान कई प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए, लेकिन आपसी गुटबाजी के चलते कोई भी प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा में पार्टी का संगठनात्मक गठन नहीं कर पाया। 


जल्द होगा हरियाणा इकाई में फेरबदल !
कांग्रेस का 2005 का रिकॉर्ड तोड़ने का दवा करने वाले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में हुए इस चुनाव में कांग्रेस को केवल  37 सीट ही मिलल पाई है। पार्टी हाई कमान की ओर से भी इस बार एक दशक के बाद हरियाणा की सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद जताई जा रही थी। यहीं कारण है कि टिकट वितरण में भी हाई कमान ने भूपेंद्र हुड्डा और उदयभान की पसंद का अधिक ध्यान रखा था। अब हरियाणा की सत्ता हाथ से जाने के बाद कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर कईं प्रकार का बड़ा फेरबदल होने की अटकलें हैं !


हुड्डा की बजाए किसी और को मिलेगा नेता प्रतिपक्ष का पद !
राजनीतिक जानकारों और कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की माने तो इस बार कांग्रेस पार्टी की ओर से नेता प्रतिपक्ष का पद भूपेंद्र हुड्डा की बजाए किसी अन्य नेता को दिया जा सकता है। ऐसे में राहुल और प्रियंका गांधी की ओर से कांग्रेस के चुने गए विधायकों में उस नेता की पड़ताल भी शुरू कर दी गई है। चर्चा है कि थानेसर सीट से विधानसभा चुनाव जीते अशोक अरोड़ा को कांग्रेस आने वाले दिनों में नेता प्रतिपक्ष बना सकती है ! अशोक अरोड़ा के नाम पर हुड्डा परिवार को भी आपत्ति नहीं होगी। बता दें कि अशोक अरोड़ा जब इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आए तो उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेतृत्व स्वीकार किया और आज तक वह कांग्रेस की गुटबाजी में हुड्डा के साथ हैं। पंजाबी चेहरा होने के कारण अशोक अरोड़ा को यह अहमियत दी जा सकती है। अशोक अरोड़ा अतीत में इनेलो के भी प्रदेशाध्यक्ष रहे है और पूरे हरियाणा मे इनकी पकड़ है। इसके अलावा हरियाणा में पूर्व मंत्री और विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

प्रदेश अध्यक्ष का बदला जाना तय
हरियाणा विधानसभा के चुनावी परिणाम के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि अब चुनाव से पूर्व तक भूपेंद्र हुड्डा के खेमे के दवाब में काम करते हुए उन्हें फ्री हैंड देने वाली कांग्रेस हाई कमान अब किसी प्रकार की कोई ढील नहीं बरतना चाहती। चुनावी परिणामों की जिम्मेदारी लेते हुए नैतकिता के आधार पर चौधरी उदयभान की ओर से प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिए जाने के बीच पार्टी हाई कमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर विचार करना शुरू कर दिया है। चर्चा है कि कांग्रेस हरियाणा में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कर सकती है। हालांकि इसमें कईं नाम शामिल है, जिनमें दीपेंद्र हुड्डा, गीता भुक्कल, राव दान सिंह, कुलदीप वत्स शामिल हैं। फिलहाल देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस कब तक आगामी कदम उठाती है ?
 



हुड्डा के नेतृत्व में लगातार तीसरी हार
हरियाणा की सत्ता के संग्राम में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में उतरी कांग्रेस को 2024 के विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी हार का सामना करना पड़ा है। भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में 2014, 2019 और अब 2024 के चुनाव लड़े गए और तीनों ही चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2024 के इस चुनाव में सभी एग्जिट पोल और खुद कांग्रेस की ओर से प्रदेश में स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा था। हवा भी पूरी तरह से कांग्रेस के ही पक्ष में नजर आ रही थी, लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस सत्ता के जादुई आंकड़े को छू नहीं पाई।

हुड्डा के चलते कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी
कांग्रेस में चल रही गुटबाजी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लगातार बढ़ते कद और एक तरफा राजनीति के चलते कईं दिग्गज पार्टी को अलविदा कह चुके हैं, जिसका खामियाजा आज तक कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने परिवार के साथ कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी ज्वाइन की।

गुरुग्राम से पार्टी के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह भी हुड्डा से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हुए थे, जोकि मौजूदा दौर में बीजेपी के केंद्रीय राज्य मंत्री और उनकी बेटी आरती राव ने बीजेपी से ही अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की है। इसके अलावा तेज तरार महिला नेत्री पूर्व मंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी भी हाल ही में उनकी पुत्री श्रुति चौधरी का भिवानी लोकसभा  सीट से टिकट काटने पर पार्टी को अलविदा कह चुकी है जहां उन्हें आप भाजपा में राज्यसभा सांसद बनाया गया है वहीं उनकी बेटी श्रुति तोशाम सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बन गई है। इसके अलावा कई अन्य  नेता भी कांग्रेस को अलविदा कह चूके  हैं। इनमें से ज्यादातर नेताओं का अपने क्षेत्र और प्रदेश बड़ा प्रशंसक वर्ग था। खैर ऐसे में देखने वाली बात होगी कि लगातार एक के बाद एक तीसरी बार हार मिलने के बाद अब कांग्रेस हाई कमान क्या कदम उठाता है ?

 

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