कांग्रेस द्वारा नहीं उतारा गया लोकसभा प्रत्याशी, SRK और हुड्डा गुट में फंसा पेंच !

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 14 Apr, 2024 05:01 PM

congress did not field lok sabha candidate

लोकसभा चुनावों को लेकर हरियाणा की दस सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा न होने के पीछे हुड्डा व एस आर के गुटों का चल रहा धोबी-पछाड़ अभियान सार्वजनिक हो चुका है।

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): लोकसभा चुनावों को लेकर हरियाणा की दस सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा न होने के पीछे हुड्डा व एस आर के गुटों का चल रहा धोबी-पछाड़ अभियान सार्वजनिक हो चुका है। टिकटों के नाम फाइनल होने से पहले जब ये स्थिति है तो टिकटों के बंटवारे के बाद भितरी घाट से कैसे कोई इनकार कर सकता है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले 2 सालों से कांग्रेस के अंदर उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनवाने के बाद से जब पावरफुल बने तो शैलजा-रणदीप -किरण का एस आर के ग्रुप भी सशक्त हो कर उभरा।एस आर के ने भी शुरू से ही फ्रंट-फुट पर बैटिंग की जो अभी तक जारी है।

एस आर के ग्रुप को भली भांति पता है कि हुड्डा खेमा 2014 से आज तक कांग्रेस के विधायकों का बहुमत उनके पास होने के कारण शक्ति प्रदर्शन में कोई चूक नही करता रहा है। हुड्डा गुट के दो ही स्थापित नेता हैं,भुपिंदर हुड्डा व दीपेंद्र हुड्डा। भूपेंद्र हुड्डा द्वारा राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करने के चक्रव्यूह में एस आर के ग्रुप जानता है कि अगर हरियाणा में कांग्रेस को कहीं बहुमत मिला तो

इस गुट की अनदेखी होगी।एस आर के ग्रुप के लिए सबसे पॉजिटिव पॉइंट यह है कि शेलेज,रणदीप व किरण तीनो की पकड़ कांग्रेस आलाकमान सोनिया-प्रियंका-राहुल के दरबार मे पूरी है। दीपेन्द्र ने भी पिछले 2 वर्षोँ में ग़ांधी परिवार में अपनी पैठ बड़ाई है। जिसका लाभ भूपेंद्र हुड्डा को भी रहा है। अतीत में ग़ांधी परिवार के अंदर हुड्डा अकेले दम पर साख रखते रहे हैं।

एस आर के ग्रुप मजबूरी में बना एक गठबंधन अब इतना मजबूत हो चुका है कि हुड्डा खेमे की टिकटों के मामले में मनमानी नही चलने दे रहा है।यही कारण है कि भजपा द्वारा दस के दस लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद सभी प्रत्याशी व उनकी टीमें मैदान में नजर आ रही हैं और कांग्रेस का सर-फुटवल्ल दिल्ली कांग्रेस आलाकमान के पास चल रहा है।हर रोज बड़ी मीटिंगों के दौर जारी हैं। फाइनल कुछ हो नही पा रहा।है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में होते हुए भी जो खेला राज्यसभा चुनावों में हुया व भजपा के हर्ष माहाजन जीते।उससे भी कांग्रेस आलाकमान सकते में है।

राजनैतिक रूप से हुड्डा खेमे व एसआरके

ग्रुप के नेता भले ही एक मंच पर अतीत में एक साथ नजर नही आए।मगर हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर अपने खेमों का दस का दम दिखाने के लिए एक टेबल पर बैठे व दावे करते आवश्य नजर आते हैं। शैलजा भले ही विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी हूं मगर लोकसभा चुनावों में भी आवश्यकता अनुसार उतरने को तैयार हैं।रोहतक लोकसभा सीट पर भूपेंद्र हुड्डा खुद न लड़ने की बात स्पष्ट कर व हरियाणा प्रभारी से करवा ही चुके हैं।दीपेंद्र राज्यसभा सांसद हैं। आशा हुड्डा की जगह दीपेंद्र ही लड़ें का दवाब एस आर के ग्रुप का लगातार कायम है। हर लोकसभा सीट पर हुड्डा व एस आर के ग्रुप में पेच फंसा हुआ है।

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