Edited By Isha, Updated: 19 Jun, 2025 04:47 PM

भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सरकार जहां एक ओर सख्त कदम उठाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी ही अगर शिकायतकर्ता की पहचान उजागर कर दें तो सवाल खड़े होना लाजमी है।
कैथल (जयपाल रसूलपुर): भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सरकार जहां एक ओर सख्त कदम उठाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी ही अगर शिकायतकर्ता की पहचान उजागर कर दें तो सवाल खड़े होना लाजमी है। कैथल में ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक मनरेगा कर्मचारी द्वारा की जा रही रिश्वत की मांग को उजागर करने की कोशिश उल्टा शिकायतकर्ता पर ही भारी पड़ गई।
जानकारी के अनुसार, मनरेगा में बतौर सहायक कार्यरत कर्मचारी रिंकू एक व्यक्ति से मास्टर रोल निकलवाने के नाम पर बार-बार चक्कर कटवा रहा था और इसके एवज में पैसों की मांग कर रहा था। पीड़ित व्यक्ति भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर था और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़वाने की नीयत से कैथल स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय पहुंचा। वहां उसकी मुलाकात विजिलेंस इंस्पेक्टर सुबह सिंह से हुई।
जब पीड़ित ने अपनी शिकायत और संबंधित सबूत इंस्पेक्टर को सौंपे, तो अपेक्षा थी कि विजिलेंस टीम योजनाबद्ध तरीके से आरोपी को रंगे हाथों पकड़ने की रणनीति बनाएगी। लेकिन इसके उलट इंस्पेक्टर सुबह सिंह ने शिकायतकर्ता के सामने ही आरोपी कर्मचारी रिंकू को फोन कर लिया और स्पष्ट शब्दों में कहा – “तुम इन्हें क्यों परेशान कर रहे हो?” जिससे पूरा मामला उजागर हो गया और शिकायतकर्ता की पहचान भी सामने आ गई।
इस कार्रवाई से पीड़ित स्तब्ध रह गया। भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की जगह, खुद विजिलेंस अधिकारी द्वारा इस तरह से शिकायत लीक करना न केवल सिस्टम पर सवाल खड़े करता है, बल्कि ऐसे मामलों में शिकायत करने वालों का भरोसा भी टूटता है।
इस घटना से क्षुब्ध शिकायतकर्ता अब मामला लेकर एसपी कैथल आस्था मोदी के पास पहुंचा और पूरी घटना की लिखित शिकायत उन्हें सौंपी। एसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया कि यह शिकायत विजिलेंस विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी।
यह मामला न सिर्फ भ्रष्टाचार की जड़ों तक जाने की जरूरत को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि यदि शिकायतों को गोपनीय रखने वाले ही लापरवाही करें तो सिस्टम में बैठे भ्रष्ट तत्वों को संरक्षण मिलना तय है। अब देखना होगा कि इस मामले में विजिलेंस विभाग अपने ही अधिकारी के खिलाफ क्या कदम उठाता है, और क्या शिकायतकर्ता को न्याय मिल पाता है या फिर मामला फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।