Cleaning scam: हरियाणा में हुआ सफाई घोटाला, हुड्डा ने आरोप लगाकर की CBI जांच की मांग

Edited By Manisha rana, Updated: 31 May, 2025 12:53 PM

cleaning scam in haryana hooda alleges and demands cbi investigation

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भाजपा ने फिर से ताबड़तोड़ घोटालों को अंजाम देना शुरू कर दिया है।

चंडीगढ़ (बंसल) : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भाजपा ने फिर से ताबड़तोड़ घोटालों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। शराब, खनन, भर्ती, फसल बीमा, सहकारिता, अमृत योजना जैसे अनगिनत घोटालों के बाद, अब पानीपत नगर निगम का सफाई घोटाला उजागर हुआ है। आर.टी.आई. के तहत मिली जानकारी के मुताबिक सफाई कार्य का ठेके देने में करोड़ों की धांधली हुई है। आर.टी.आई. के तहत खुलासा हुआ है नगर निगम पानीपत ने 13 मई, 2022 को गलियों व सड़कों की सफाई के लिए चारों जोन का ठेका 84.08 करोड़ रुपए सालाना में दिया गया था। इस ठेके की अवधि 2 साल की थी इसलिए यह ठेका 13 मई 2024 को समाप्त होना तय था। 

इसके बाद नगर निगम को दोबारा से सफाई ठेका के नए टैंडर आमंत्रित करने थे लेकिन नए टैंडर आमंत्रित न करके मिलीभगत से शहरी स्थानीय निकाय ने ठेके की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी। इसके बाद सरकार की कैबिनेट सब कमेटी की 25 जून को हुई मीटिंग में ठेकेदार कंपनियों को अवैध लाभ देते हुए ठेके की अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी गई। इसके बाद अवधि को 31 दिसम्बर, 2024 तक भी बढ़ा दिया गया।

इसके बाद जनवरी 2025 में कैबिनेट सब-कमेटी ने बिना नए टेंडर आमंत्रित करवाए इन दोनों निजी कंपनियों के ठेके के रेट में गुपचुप तरीके 84 परसेंट की भारी बढ़ोतरी कर डाली। इसके चलते 84.08 करोड़ के बजाय अब कंपनियों को 154.83 करोड़ रुपए सालाना देना तय हो गया। साथ ही ठेके की अवधि भी एक साल बढ़ाकर 31 दिसम्बर, 2025 तक कर दी गई। ठेका अवधि खत्म होने के बावजूद ठेकेदारों पर बार-बार इतनी मेहरबानी और करोड़ों की अतिरिक्त मंजूरी, स्पष्ट तौर पर घोटाले को उजागर कर रही है। यह भी स्पष्ट है कि करोड़ों की इस लूट में सरकार खुद संलिप्त है इसीलिए इन दोनों ठेकेदार कंपनियों के खिलाफ 15.84 करोड़ रुपए के एक अन्य फर्जीवाड़े में सी.एम. फ्लाइंग स्क्वैड द्वारा मुकद्दमा दर्ज करने के बावजूद, कोई गिरफ्तारी नहीं की जा रही है।

आरोप है कि इन कंपनियों ने कुल 1259 कर्मचारी लगाने थे लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से सिर्फ 847 कर्मचारी ही लगाए और सरकार को 66 लाख रुपए प्रति माह का चूना लगाया। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद इस केस में अभी तक न कोई गिरफ्तारी हुई, न किसी अधिकारी को सस्पैंड किया गया और न ही आरोपी कंपनियों के ठेके रद्द किए गए। हुड्डा ने कहा है कि इससे पहले कैथल, रोहतक, गुरुग्राम और फरीदाबाद समेत पूरे प्रदेश में ऐसे घोटाले उजागर हो चुके हैं। लेकिन सरकार कोई कार्रवाई करने की बजाय, घोटालेबाजों को संरक्षण देने में लगी है। इससे स्पष्ट है कि सरकार खुद इन गड़बड़झालों में संलिप्त है इसलिए इन तमाम मामलों की जांच सी.बी.आई. द्वारा करवाई जानी चाहिए।

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