Edited By Shivam, Updated: 25 Oct, 2020 08:59 PM

उत्सवों के बगैर जीवन बेरंग है। कोरोना ने बेशक हमारे जीवन के उत्सवों में खलल डाला हो, लेकिन बच्चों ने उत्सवों में अपनी मौज मस्ती के रास्तों को खोज निकाला है। दशहरे के अवसर पर रावण दहन के बड़े आयोजन नहीं हुए तो सैनिपुरा गांव के छोटे-छोटे बच्चों ने...
हांसी (संदीप सैनी): उत्सवों के बगैर जीवन बेरंग है। कोरोना ने बेशक हमारे जीवन के उत्सवों में खलल डाला हो, लेकिन बच्चों ने उत्सवों में अपनी मौज मस्ती के रास्तों को खोज निकाला है। दशहरे के अवसर पर रावण दहन के बड़े आयोजन नहीं हुए तो सैनिपुरा गांव के छोटे-छोटे बच्चों ने अपने स्तर पर ही रामलीला व रावण दहन करने की ठान ली। सुबह की बच्चों की मंडली रावण बनाने में जुट गई और किशोर शाम की रामलीला के लिए रामायण के पात्रों की पोशाक का इंतजाम करने लगे।
शाम को सभी गांव के एक मैदान में एकत्रित हुए और रामायण के पात्रों में गांव वाले अपने ही गांव के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर अपनी हंसी नहीं रोक पाए। बच्चों का जुनून सातवें आसमान पर था। सभी बच्चों ने जमकर मस्ती करते हुए रामलीला का आयोजिन किया और फिर आखिर में रावण का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया।
अंजू बाला ने बताया कि उनके दोनों बेटे लक्ष्य और जयन भी हनुमान और गणेश की भूमिका में थे और अपने नन्हें मुन्नों को ऐसे देखकर बड़ी खुशी हो रही थी। इस दौरान गांव के बड़े बुजुर्गों ने भी बच्चों का सहयोग किया व शारीरिक दूरी को बनाए रखा।