Edited By Isha, Updated: 04 Jan, 2025 08:00 PM
नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को लेकर दिए बयान के बाद कांग्रेस से निष्कासित किए गए पार्टी के पूर्व प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के कारणों पर एक रिपोर्ट तैयार की है। शर्मा की ओर से पूरे प्रदेश का दौरा करने के बाद...
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को लेकर दिए बयान के बाद कांग्रेस से निष्कासित किए गए पार्टी के पूर्व प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के कारणों पर एक रिपोर्ट तैयार की है। शर्मा की ओर से पूरे प्रदेश का दौरा करने के बाद रिपोर्ट तैयार किए जाने का दावा किया जा रहा है। वहीं, बालमुकुंद शर्मा ने हार के कारणों का ठीकरा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा समेत कईं नेताओं पर फोड़ा है। उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को इस्तीफा देने के लिए एक महीने का समय देते हुए उसके बाद आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान भी किया है।
यह बताए हार के कारण
बालमुकुंद शर्मा की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खड़गे को भेजी रिपोर्ट में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा समेत कई अन्य नेताओं को हार का जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई है। शर्मा ने कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व उनके पुत्र दीपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा स्वयं को हरियाणा का मुख्यमंत्री प्रर्दशित करते हुए प्रदेश में कांग्रेस की बजाए हुंडडा सरकार बनने का दावा किया। इससे समाज के एक वर्ग में डर का माहौल बना और हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति हुई।
उदयभान ने बना दी अपनी कमेटी
विधानसभा चुनाव में मिली हार के काऱणों की जांच के लिए हाई कमान की ओर से भूपेश बघेल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें अशोक गहलोत, हरीश चौधरी, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, उदयभान औओर अजय माकन को शामिल किया गया। कमेटी अपना काम कर रही है, लेकिन इसी बीच चौधरी उदयभान ने एक गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई करते हुए करण सिंह दलाल के नेतृत्व में एक और कमेटी बना दी, जिसमें आफताब अहमद, विरेन्द्र राठौर, केसी भाटिया, मनीषा सांगवान और विजय प्रताप को सदस्य बनाया गया, जोकि सीधा सीधा राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती देने जैसा है। शर्मा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की लुटिया डूबाने के बाद भी यह नेता अपनी हरकतो से बाज नहीं आ रहे है। उन्होंने करण सिंह दलाल के नेतृत्व में बनी कमेटी पर रोक लगाने के साथ ही इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी मांग की।
सैलजा समर्थक प्रत्याशियों के खिलाफ खड़े किए प्रत्याशी
बालमुकुंद शर्मा ने खुद को पुराना कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि चुनाव से पहले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा नें पूरे हरियाणा में अपने आदमियों के द्वारा यह प्रचार किया कि आने वाली सरकार हुड्डा सरकार होगी और बाकी दूसरे नेताओ को नीचा दिखाया गया तथा 70 के आस पास सीटों पर हुड्डा साहब की मर्जी से प्रत्याशी उतारे, जिनका जमीनी स्तर पर कुछ भी आधार नहीं था। पार्टी द्वारा करवाए गए सर्वे में भी उनका कहीं नाम नहीं था। साथ ही जहां पर कुमारी सैलजा समर्थक नेताओं को टिकट दी गई, वहां पर हुड्डा की ओर से अपने नेताओं को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया गया। इनमें उचाना से वीरेंद्र गोगड़ियां, बल्लभगढ़ से शारदा राठौड, बहादुरगढ से राजेश जून, अंबाला कैन्ट से चित्रा सरवारा, तिगांव से ललति नागर, कालका से गोपाल चौधरी, बरवाला से संजना सातरोड, बाढ़डा से सोमबीर को चुनाव मैदान में उतारा गया।
हुड्डा के प्रभाव में रहे प्रभारी
बालमुकुंद शर्मा ने इतने में ही बस नहीं किया। उन्होंने पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया पर भी चुनाव के दौरान भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव में रहने और दूसरे नेताओं को नजर अंदाज किए जाने का आरोप भी लगाया। शर्मा ने कहा कि बावरिया ने दूसरे प्रभावशाली नेताओं को नजर अंदाज करते हुए उन्हें प्रभावहीन दिखाने की कोशिश की। बाद में समय आने पर खुद को अस्पताल में दाखिल करवा लिया। टिकट वितरण के समय भी वह नदारद थे। इसलिए उन्हें भी प्रभारी के पद से बर्खास्त करना चाहिए।
नैतिक जिम्मेदारी भी नहीं ली
बालमुकुंद ने कहा कि चौधरी उदयभान अध्यक्ष बनने से लेकर आज तक एक कठपुतली की तरह काम करते रहे। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंनें कहीं कोई दौरा नहीं किया, कहीं कोई बडी जनसभा नहीं की, जिस उम्मीद से पार्टी नें उनको एक दलित नेता के रूप में स्वीकार किया था, उसमें वो बुरी तरह विफल रहे और पूरी पार्टी को गर्त में ले गए। इतना ही नहीं वह खुद भी चुनाव हार गए और अब तक कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली, और पद पर चिपके हुए बैठे है उनको तुरन्त पद से बरखास्त किया जाए।
सैलजा की दूरी भी बनी कारण
कुमारी शैलजा राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड प्रभारी चुनाव के दौरान अपने लोगो 'के लिए टिकटों की मांग कर रही थी। उनकी सिफारिश पर कुमारी शैलजा को दसं टिकटे दी गई, लेकिन नारनौंद व उकलाना की टिकट ना मिलनें के कारण वो नाराज होकर के घर बैठ गई क्योंकि वो बहुत बडे पद की नेता है। हरियाणा में आरिक्षत दोंनों सीटों से सांसद रहे राज्य सभा सदस्य रही तीन बार केन्द्रीय मंत्री रही पूरे देश के बडे दलित नेताओं में उनकी गिनती होती है लेकिन चुनाव के दौरान उन्होंनें चुनाव प्रचार से दूरी बना ली। वो यह बात भूल गई कि कांग्रेस पार्टी नें उन्हें बहुत कुछ दिया. है और आज वो जो कुछ भी है कांग्रेस पार्टी के बदौलत ही है। केवल हुड्डा साहब से की नाराजगी की वजह से वह चुनाव प्रचार से दूर रही जिसका खामयाजा पार्टी को भुगतना पडा और दस सीटों पर पार्टी बहुत कम मतों से चुनाव हारी है इसकी जिम्मेवारी सीधे सीधे कुमारी शैलजा जी की बनती है अतः उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए।
बेटे तक ही सीमित रहे सुरजेवाला
शर्मा ने कहा कि रणदीप सिंह सुरजेवाला राष्ट्रीय महासचिव एवं कर्नाटक के प्रभारी है। वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया इंचार्ज रहे है और राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य है। इतना कुछ पार्टी से मिलने के बाद भी पार्टी को हराने के लिए इन्होंनें कोई कौर कसर नहीं छोडी। इनके कार्यकर्ताओं नें घरोंडा में विरेन्द्र राठोर, जीन्द में महावीर गुप्ता और पुण्डरी में तथा नरवाना में अपना प्रत्याशी कांग्रेस के खिलाफ उतार दिया तथा खुद पूरे चुनाव के दौरान अपने बेटे के क्षेत्र में ही काम किया। दूसरे किसी क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं गए। यहां तक कि पहले नरवाना में वो दो से तीन बार विधायक भी रहे है, वहां भी चुनाव प्रचार में नहीं गए।
जेपी ने किया विरोध
शर्मा ने कहा कि जय प्रकाश एमपी हिसार ने अपने बेटे को विधायक बनाने के लिए आम आदमी पार्टी से समझौता नहीं होने दिया, क्योंकि आम आदमी पार्टी के उप प्रधान अनुराग ढांडा वहां पहले ही चुनाव की तैयार करे हुए थे, जबकि इनका बेटा पार्टी में सक्रिय भी नहीं था। आरोप है कि जेपी ने बरवाला, उचाना, में पार्टी के खिलाफ प्रत्याशी उतारे और नलवा व हांसी में खुल कर पार्टी प्रत्याशियों का विरोध किया।
इनके बयान भी पड़े भारी
फरीदाबाद के पूर्व विधायक नीरज शर्मा ने चुनाव के दौरान जन सभाओं में लगातार ब्यान दिया कि हम 50 वोट पर एक नौकरी देंगें। हुड्डा साहब नें 2000 हजार नौकिरयां तो मुझे लिख कर दे रखी है। इस ब्यान का किसी भी स्तर पर पार्टी के नेताओ द्वारा खंडन नहीं किया गया। इससे जनता में गलत संदेश गया तथा चुनाव हारने की मुख्य वजहों में से एक अहम वजह ये भी रही। असंध के पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने चुनाव के दौरान गैर जिम्मेदारान ब्यान दिया। इन्होंने कहा था कि पहले मैं अपना घर भरूंगा और फिर अपने रिशतेदारो को फिर अपने कार्यकार्ताओं का और बाद में जनता के बारे में साचेंगें। इस ब्यान से भी जनता में गलत संदेश गया जिसके कारण पूरे हरियाणा की जनता आकोषित हुई कि ये कांग्रेसी तो अपना घर भरने की बात करते है। इतना सब लिखने के बाद बालमुकुंद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को 5 फरवरी तक इस्तीफा देने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने आमरण अनशन शुरू करने का भी ऐलान किया है। ऐसे में देखना होगा कि पहले से ही हरियाणा को लेकर असमंजस में पड़ी कांग्रेस हाई कमान अब बालमुकुंद शर्मा की इस रिपोर्ट पर क्या एक्शन लेती है ?