यहां बकरे की कुर्बानी नहीं, खीर और सेवइयां बांटकर मनाते है "बकरीद", मौलवी बोले- दुरुस्त है ये परंपरा

Edited By Isha, Updated: 30 Jun, 2023 11:19 AM

bakrid celebrated by distributing kheer not by sacrificing

बकरीद का पर्व इस्लाम धर्म के मानने वालों में कुर्बानी के त्योहार के रूप में माना जाता है। लेकिन, हरियाणा के झज्जर शहर और आसपास के गांवों में रहने वाले मुस्लिम परिवार इस त्योहार को बकरे की कुर्बानी देकर नहीं, बल्कि खीर और सेवइयां बांटकर मनाते हैं।...

रोहतक: बकरीद का पर्व इस्लाम धर्म के मानने वालों में कुर्बानी के त्योहार के रूप में माना जाता है। लेकिन, हरियाणा के झज्जर शहर और आसपास के गांवों में रहने वाले मुस्लिम परिवार इस त्योहार को बकरे की कुर्बानी देकर नहीं, बल्कि खीर और सेवइयां बांटकर मनाते हैं। झज्जर के निकटवर्ती गांव तलाव निवासी अब्दुल गफार ने कहा कि यहां उनके नौ घर हैं जो एक ही खानदान के हैं। यहां पर बहुत पहले से कुर्बानी देने की परंपरा खत्म कर दी गई थी। इसकी जगह पर खीर व सेवइयां बनाकर वितरित करते हैंं। उनका कहना है कि गांव में किसी प्रकार का कोई भेदभाव न रहे, इसलिए सभी परिवार वाले इसे निभा रहे हैं। कुछ वर्षों से कुर्बानी न देने का गांव का यह चलन शहर तक पहुंच गया है।


इस मौके पर मौलवी आबिद हुसैन ने कहा कि झज्जर में बकरे की कुर्बानी देने का रिवाज नहीं है। लोग पकवान तैयार करते हैं और इसे बांटकर खुशी मनाते हैं। आबिद हुसैन ने कहा कि ईदगाह में कहीं पर भी कुर्बानी नहीं होती, केवल नमाज पढ़ी जाती है। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने कुरान में कहा है...''न मेरे पास गोश्त पहुंचता, न खून। मैं तो तुम्हें आजमाता हूं।'' इसलिए झज्जर में बकरीद पर कुर्बानी न देने की जो परंपरा बन गई है, मेरे लिहाज से वह दुरुस्त ही है।

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