किसान आंदोलन: कुंडली धरने पर पंजाब से पहुंचीं एम्बुलैंसे, बीमार किसानों को शीघ्र पहुंचाया जाएगा अस्पताल

Edited By Manisha rana, Updated: 14 Feb, 2021 08:39 AM

ambulance arrived from punjab on strike of horoscope sick farmers

3 कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसान को बैठे हुए 81 दिन बीत चुके हैं। सर्दी, बारिश व अन्य परेशानियों के बीच लगातार किसान बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं...

सोनीपत : 3 कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसान को बैठे हुए 81 दिन बीत चुके हैं। सर्दी, बारिश व अन्य परेशानियों के बीच लगातार किसान बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं और अब तक अलग-अलग कारणों से 200 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। वहीं कुंडली बार्डर धरने पर भी अब तक 19 किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों की तबीयत बिगडऩे पर किसानों को एम्बुलैंस बुलवानी पड़ रही थी जिसमें न केवल समय की बर्बादी हो रही थी बल्कि पैसा भी ज्यादा लग रहा था।

ऐसे में किसान मोर्चा की मांग पर पंजाब से समाजसेवी संस्थाओं ने 125 एम्बुलैंस धरनास्थल पर भेज दी हैं। अब किसी भी आपातकालीन स्थिति में किसानों के बीमार होने या उनके चोटिल होने पर उन्हें तुरंत अस्पतालों में भेजा जा सकेगा। साथ ही जिन किसानों की मौत हो रही है, उनके शवों को भी परिजनों के पास शीघ्रता से पहुंचाया जा सकेगा। खास बात यह है कि इन एम्बुलैंस का खर्च किसानों से कतई वसूल नहीं किया जाएगा बल्कि पंजाब की कई समाजसेवी संस्थाएं मिलकर खर्च वहन करेंगी।
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पंजाब में कृषि कानूनों को लेकर अलग-अलग तरीके से विरोध कर रहे किसान 26 नवम्बर, 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए थे और यहां दिल्ली को चौतरफा सील कर दिया था। इसके बाद से लगातार किसान कुंडली, टिकरी व गाजीपुर बार्डर पर धरना दिए बैठे हैं। जहां तक कुंडली बार्डर की बात है तो यहां पर बाबा राम सिंह समेत 2 किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबकि 17 अन्य बीमारी, ठंड या हार्ट अटैक से अपने प्राण गंवा चुके हैं। करीब 100 किसान बीमारी के चलते आसपास के अस्पतालों में भर्ती हैं।

करीब एक माह पहले कुंडली बार्डर पर शुरू हुए 10 बैड के अस्पताल में बीमार किसानों का इलाज शुरू किया गया लेकिन पिछले दिनों कंपकंपाती सर्दी के बीच बीमार किसानों की संख्या अचानक बढ़ गई। रोजाना करीब 400 किसान बीमार होने लगे। अब मौसम सामान्य होने के साथ ही बीमारों की संख्या में भले ही कमी आई है लेकिन बुजुर्ग किसानों के लिए अभी भी समस्या बरकरार है। यही कारण है कि रोजाना 20 से 30 किसान गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं और उन्हें तुरंत इलाज के लिए सोनीपत, रोहतक व आसपास के बड़े अस्पतालों में भेजा जा रहा है। इसके लिए रोजाना एम्बुलैंस हायर करनी पड़ती थी जिस पर हजारों रुपए खर्च आ रहा था। यह खर्च बीमार किसानों के परिजनों व साथियों पर पड़ रहा था जिसे देखते हुए 10 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा व कई जत्थेदारों ने पंजाब के समाजसेवियों से एम्बुलैंस की मांग की थी।  

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धरनास्थल पर अलग-अलग स्थानों पर तैनात रहेंगी एम्बुलैंस
पंजाब से भेजी गई 125 एम्बुलैंस कुंडली धरनास्थल पर अलग-अलग स्थानों पर तैनात रहेंगी। कुंडली थाने के पास, के.एम.पी.-के.जी.पी. जीरो प्वाइंट, मोर्चा कार्यालय के पास व मुख्य मंच के पास ये एम्बुलैंस तैनात की गई हैं जिनमें हर समय चालक मौजूद रहेंगे। साथ ही सपोर्टिंग स्टाफ भी तैनात रहेगा। धरने के बीचों-बीच एम्बुलैंस के लिए रास्ता बनाया गया है जबकि मुख्य मंच से भी एम्बुलैंस के आवागमन के लिए पर्याप्त रास्ता छोड़ा गया है। हालांकि दिल्ली की ओर जाने के रास्ते बंद हैं लेकिन रोहतक या सोनीपत के अस्पतालों में एम्बुलैंस शीघ्रता से पहुंच सकेंगी।

किसानों के काफिलों का धरने पर पहुंचना जारी
कुंडली धरने पर पंजाब व हरियाणा के किसानों का काफिलों के रूप में पहुंचना जारी है। विशेषकर हरियाणा की अलग-अलग खापों से किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में कुंडली धरने पर पहुंच रहे हैं। यहां किसान ट्रालियों में सब्जियां, दूध व लस्सी लेकर पहुंच रहे हैं जो अलग-अलग लंगरों पर वितरित की जा रही हैं। किसानों का कहना है कि किसी भी सूरत में लंगरों में कमी नहीं आने दी जाएगी। राशन, सब्जी व चंदा एकत्रित करने के लिए सोनीपत समेत हरियाणा के अलग-अलग जिलों में अभियान चलाया जा रहा है।

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नेताओं की टावर टूटने पर संवेदना है, पर 200 किसानों के शहीद होने पर नहीं: चढूनी
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने आगामी रणनीति को लेकर कुंडली धरनास्थल पर सदस्यों की एक बैठक ली जिसमें तय किया गया कि पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि, रेल रोको कार्यक्रम को किस तरीके से सफल बनाना है। इस दौरान चढूनी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कि अजीब सोच है इस देश के नेताओं की। यहां एक कंपनी के टावर टूटने पर तो संसद में अफसोस मनाया जाता है लेकिन 200 से ज्यादा किसानों की मौत होने पर शोक तक व्यक्त नहीं किया जाता। यह सरकार का घंमड है जो उसे ले बैठेगा। किसानों ने आगामी अभियानों की रणनीति बनाते हुए यह भी तय किया है कि अब कोई ऐसा कदम उठाया जाएगा जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके। संयुक्त मोर्चा की बैठक में इस संबंध में बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। चढूनी ने यह भी कहा कि रेल रोको अभियान की सफलता यह तय करेेगी कि किसान आंदोलन का देश में कितना प्रभाव है।

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