सैनिक और शिक्षक के बाद अब किसान की भूमिका भी बखूबी निभा रहे उदयभान, दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणा स्त्रोत

Edited By Manisha rana, Updated: 04 Nov, 2023 02:16 PM

after soldier and teacher udaybhan is now playing role farmer very well

सेना की नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद जेबीटी शिक्षक उदयभान ने रेतीली जमीन पर नींबू की खेती के साथ दूसरी फसलों को पैदा कर प्रगतिशील की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं।

चरखी दादरी (पुनीत) : सेना की नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद जेबीटी शिक्षक उदयभान ने रेतीली जमीन पर नींबू की खेती के साथ दूसरी फसलों को पैदा कर प्रगतिशील की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। किसान उदयभान ने अपने नींबू के बाग में सब्जियों के अलावा दूसरी फसलों की बिजाई कर दोहरा मुनाफा कमा रहे हैं। बिना कोई रसायन खाद के किसान ने तीन फूट लंबी घीया भी तैयार की है जिसे वह अपने घर पर बीज के रूप में तैयार कर रहा है। किसान के जज्बे को कृषि विभाग ने भी सराहते हुए दूसरे किसानों को भी ऐसी खेती करने की सलाह दी है।

बता दें कि सेना में 18 साल देश सेवा करने के बाद अब शिक्षा विभाग में कार्यरत गांव बादल निवासी जेबीटी शिक्षक उदयभान प्रगतिशील किसान की भी सफल भूमिका निभा रहे हैं। उदयभान ने डेढ़ एकड़ में नींबू का बाग लगाया हुआ है। इसमें वह रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते। नींबू के खेत में ही उदयभान सब्जी की खेती भी करते हैं। उदयभान ने बाग में घीया की सब्जी लगाई हुई है। इसकी खास बात यह है कि घीया की लंबाई तीन फुट तक की है। जो कि क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। उदयभान ने बताया कि उसने 18 साल तक भारतीय सेना में नौकरी की। सेना से रिटायर होने के बाद साल 2004 में उसकी नियुक्ति जेबीटी शिक्षक के पद पर हो गई। वह स्कूल से आने के बाद खेतीबाड़ी का काम संभालता है। उसने डेढ़ एकड़ में नींबू का बाग एक साल पहले लगाया है। नींबू का बीज उसने उत्तरप्रदेश से लिया है।

उदयभान का कहना है कि नींबू के साथ वह इसी खेत में दूसरी फसल भी उगा रहा है। अब उसने नींबू के पौधाें के बीच में खाली जगह में सरसों की बिजाई कर दी है। उदयभान का कहना है कि वह रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करता है। खेती में वह जैविक एवं देसी खाद का ही इस्तेमाल करता है। वहीं कृषि विशेषज्ञ चंद्रभान श्योराण ने बताया कि आजकल किसान कृषि की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए जिले के किसानों को समय-समय पर पुरस्कार भी मिल रहे हैं। उदयभान का यह अच्छा प्रयास है। रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना अच्छी पहल है, इससे दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिलेगी।

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