Edited By Yakeen Kumar, Updated: 24 Dec, 2024 05:58 PM
भारत में अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स का प्रसार चिंता का कारण बनता जा रहा है। ये अवैध प्लेटफॉर्म्स तरह-तरह के लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से यूजर्स को निशाना बना रहे हैं।
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : भारत में अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स का प्रसार चिंता का कारण बनता जा रहा है। ये अवैध प्लेटफॉर्म्स तरह-तरह के लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से यूजर्स को निशाना बना रहे हैं। इनके विज्ञापन आमतौर पर सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, बिलबोर्ड्स और यहां तक कि सार्वजनिक परिवहन के साधनों पर भी दिखाई देते हैं।
ये विज्ञापन यूजर्स को बड़े वित्तीय फायदे का लालच देते हैं। एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में विज्ञापन के नियमों के उल्लंघन में योलो247, विनबज, मोस्टबेट7, 1एक्सबेट, डाफाबेट, लोटस365 व अन्य जैसे अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापनों की 29 प्रतिशत हिस्सेदारी रही थी। ऐसे विज्ञापन यूजर्स को अनधिकृत एवं बिना नियमन वाले प्लेटफॉर्म्स की ओर ले जाते हैं, जो स्पष्ट रूप से उनके लिए खतरे की आशंका को बढ़ाता है।
भारत में अवैध गैंबलिंग एवं बेटिंग बाजार में सालाना करीब 100 अरब डॉलर के डिपोजिट का अनुमान है।[2] इससे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों की फंडिंग को लेकर चिंता बढ़ी है। यह सिर्फ कानूनी या आर्थिक पहलू नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय भी है। अवैध विदेशी ऑपरेटर्स के प्रसार से घरेलू रियल मनी गेमिंग इंडस्ट्री को भी कई बार गैंबलिंग की तरह समझा जाने लगता है, जिससे घरेलू उद्यमियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
अवैध बेटिंग के प्रमोशन पर रोक के लिए लगातार निगरानी करने और सक्रिय नियामकीय कदम उठाने की जरूरत है। इस मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) सक्रियता से कदम उठा रहा है और टीवी एवं समाचार पत्रों में इनके विज्ञापन पूरी तरह से प्रतिबंधित किए गए हैं। हालांकि, ऑनलाइन विज्ञापन, विशेषरूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को लेकर कोई नियमन नहीं है। गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब जैसे वेबसाइट्स एवं इंटरमीडियरीज अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए यूजर्स को आकर्षित करने के बहुत अच्छे विकल्प बनकर सामने आए हैं।
सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स इन प्लेटफॉर्म्स को प्रमोट करते हैं। उनके वीडियो एवं पोस्ट में दिखने वाले बेटिंग टिकर्स यूजर्स को विदेशी बेटिंग पोर्टल्स पर ले जाते हैं, जिससे समस्या बढ़ जाती है। ये विज्ञापन न केवल यूजर्स को हाई-रिस्क वाले और बिना नियमन वाले प्लेटफॉर्म्स की ओर ले जाते हैं, बल्कि वैध ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके कारण घरेलू वैध ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और अवैध विदेशी बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
अवैध प्लेटफॉर्म्स देश के बढ़ते डिजिटल यूजर बेस में सेंध न लगा सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि केंद्रीय स्तर पर मानक नियामकीय फ्रेमवर्क बनाया जाए। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस तरह के फ्रेमवर्क का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे वैध ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के बीच स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सकेगा। इसके तहत वैध ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए जाएंगे, जिससे यूजर्स के हितों की रक्षा के साथ-साथ नियमों का अनुपालन भी सुनिश्चित होगा। मजबूत नियामकीय व्यवस्था से प्रवर्तन भी बेहतर होगा और विज्ञापन संबंधी उल्लंघनों को लेकर जरूरी स्पष्टता एवं एकरूपता भी आएगी।