Edited By Saurabh Pal, Updated: 09 Aug, 2024 04:41 PM
केंद्र और हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का अभियान शुरू किया है। इसकी कमान गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कंधो पर सौंपी गई है। शुक्रवार को सोनीपत जिले के मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी में गुजरात के राज्यपाल आचार्य...
मुरथल (सन्नी मलिक): केंद्र और हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का अभियान शुरू किया है। इसकी कमान गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कंधो पर सौंपी गई है। शुक्रवार को सोनीपत जिले के मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों के साथ सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि आज हम उत्पादन बढ़ाने के चक्कर में खेतों में अंधाधुंध खाद और कीटनाशकों को प्रयोग कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कैंसर, शुगर और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में अगर हमें भावी पीढ़ी को शुद्ध भोजन, जल और हवा उपलब्ध करवानी हो तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।
बता दें कि शुक्रवार को आचार्य देवव्रत मुरथल स्थित दीन बंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित प्राकृतिक कृषि संवाद कार्यक्रम में किसानों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में संवाद कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। इसी सिलसिले में आज हरियाणा के किसानों के बीच आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को लगता है कि प्राकृतिक खेती से नुकसान होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। आज हरियाणा के कई सारे किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जहां रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग ज्यादा होता है, वहां कैंसर के तीन गुना ज्यादा मामले हैं। आने वाले समय में और ज्यादा कैंसर के रोगी बढ़ेंगे। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भठिंडा क्षेत्र में किसानों ने इतने ज्यादा कीटनाशक प्रयोग किए कि वहां से प्रतिदिन एक ट्रेन कैंसर रोगियों को लेकर बीकानेर तक जाती है और इस ट्रेन का नाम ही कैंसर ट्रेन रख दिया।
उत्पादन के नाम पर जहर खा रहे हम: आचार्य देवव्रत
आचार्य देवव्रत ने कहा कि क्रांति की शुरूआत में जब स्वामीनाथन जी ने नाइट्रोजन खाद के प्रयोग के लिए कहा तो उस समय एक हेक्टेयर में मात्र 13 किलो खाद प्रयोग करने की सलाह दी थी। लेकिन आज हम कई कट्टे यूरिया और डीएपी फसलों में प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को आगाह करते हुए कहा कि आज हम उत्पादन के नाम पर जहर खा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भावी पीढ़ियों के संरक्षण और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।
किसानों द्वारा प्रदर्शनी का किया गया आयोजन
उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए तैयार होने वाले जीवामृत को तैयार करने की विधि भी बताते हुए कहा कि इसे तैयार करने में गाय का गोबर, बेसन, गुड़, मिट्टी का ही प्रयोग होता है। इस जीवामृत के प्रयोग से धरती आसमान से ही नाइट्रोजन प्राप्त करती है और खतरनाक कैमिकल भी हमारे शरीर के अंदर नहीं जाते। प्राकृतिक खेती का लाभ बताते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि जब धरती में सूक्ष्म जीवाणु बनेंगे तो पैदावार भी बढ़ेगी। इस अवसर पर किसानों द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। इसमें किसानों द्वारा अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
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