लर्निंग से अर्निंग: अप्रेंटिसशिप के माध्यम से भारत की क्षमताओं को मिलता नया आयाम: अभिषेक पंडित

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 02 Jun, 2023 08:51 PM

new dimension through apprenticeship abhishek pandit

अप्रेंटिसशिप अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए आवश्यक कौशल और अनुभव हासिल करने का मार्ग प्रदान करती है। अनुभवी पेशेवरों के साथ काम करते हुए प्रशिक्षु अपने संबंधित उद्योग की एक मजबूत समझ विकसित कर पाते हैं।

गुडगांव ब्यूरो : कार्य के साथ सीखने का मौका देने वाली अप्रेंटिसशिप्स हमेशा से ही प्रशिक्षण का एक लोकप्रिय रूप रही हैं। वे शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने के लिए व्यक्तियों को विशिष्ट ट्रेडों या उद्योगों के लिए व्यावहारिक कौशल और ज्ञान प्रदान करती हैं। अप्रेंटिसशिप के महत्व को समझते हुए भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने हाल ही में इसे नई शिक्षा नीति में शामिल किया है। विश्व स्तर पर अप्रेंटिसशिप के कई मॉडल हैं। भारतीय संदर्भ में करियर की प्रगति और नई संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए अप्रेंटिसशिप की भूमिका बढ़ती जा रही है। इसके अतिरिक्त भारत का विशाल मानव संसाधन संभावित रूप से विविध अन्य मॉडल्स के लिए भी तैयार है।

 

अप्रेंटिसशिप अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए आवश्यक कौशल और अनुभव हासिल करने का मार्ग प्रदान करती है। अनुभवी पेशेवरों के साथ काम करते हुए प्रशिक्षु अपने संबंधित उद्योग की एक मजबूत समझ विकसित कर पाते हैं। अप्रेंटिसशिप पूरा करने पर आमतौर पर नौकरी के बेहतर अवसर मिलते हैं, क्योंकि नियोक्ता (एम्पलॉयर) ऐसे व्यक्तियों की तलाश करते हैं जिन्होंने ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से असल जीवन का व्यावहारिक कौशल और अनुभव प्राप्त किया हो। इसके अलावा अप्रेंटिसशिप औद्योगिक विकास के लिए कौशलयुक्त कर्मियों को प्रदान करके आर्थिक विकास में योगदान करती है।

 

जहां एक ओर जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने सफल अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम चलाएं हैं, वहीं भारत अप्रेंटिसशिप से जुड़े 0.1 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ पीछे है। भारत का विशाल अनौपचारिक क्षेत्र अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों को लागू करने में एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि शिल्पकार, प्लंबर और टेक्नीशियन जैसे ट्रेड  जिनमें अच्छी क्षमता होती है, अक्सर असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा विनियामक मुद्दे और नियोक्ताओं के लिए अप्रेंटिसशिप के महत्व को लेकर जागरुकता में कमी उनके व्यापक रूप से अपनाए जाने में बाधा डालती है।

 

*वैश्विक सफलता की कहानियां:

विभिन्न देशों से प्राप्त डेटा नियोक्ताओं (एम्पलॉयर) और प्रशिक्षण प्राप्त कर्ता दोनों के लिए अप्रेंटिसशिप के लाभों को प्रदर्शित करता है। ऐसा देखा गया है कि अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों को संचालित करने वाले नियोक्ता (एम्पलायर) की उत्पादकता में वृद्धि होती है और कर्मचारी भी लम्बे समय तक संस्थान से जुड़कर कार्य करते हैं। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि अप्रेंटिसशिप पर खर्च किए गए प्रत्येक डॉलर के लिए नियोक्ताओं को बढ़ी हुई उत्पादकता, बर्बादी में कमी और नवाचार में $1.47 का औसत रिटर्न मिल सकता है। स्विटजरलैंड और जर्मनी जैसे देशों ने प्रबंधन, खुदरा और प्रशासन जैसे क्षेत्रों को शामिल करने के लिए ट्रेड और क्राफ्ट व्यवसायों से इतर भी अप्रेंटिसशिप्स का विस्तार किया जा रहा है।

 

*अप्रेंटिसशिप और उच्च शिक्षा सहयोग:

कई देशों में अप्रेंटिसशिप को उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत किया जा रहा है, जो शिक्षार्थियों को होरिजॉन्टल और वर्टिकल मोबिलिटी प्रदान करता है। अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों का नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क फ्रेमवर्क के मानकों के अनुरूप होने से शिक्षार्थियों को क्रेडिट अर्जित करने और शैक्षिक गतिशीलता की सुविधा मिल पाती है। अप्रेंटिसशिप को डिप्लोमा या व्यावसायिक सर्टिफिकेशन से जोड़ना यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षार्थी अपने कार्यक्रमों को उद्योगों द्वारा मान्यता प्राप्त योग्यता के साथ पूरा कर पाते हैं। ऐसे में प्रशिक्षुओं को सहायता प्रदान करने और प्रभावी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए नियोक्ताओं और उच्च शिक्षा प्रदाताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाना महत्वपूर्ण है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के प्रारूप के औपचारिक रूप से सामने आने से भी इस उद्देश्य में मदद मिल सकेगी। 

 

*चुनौतियों पर काबू पाना और सफलता सुनिश्चित करना:

भारत में अप्रेंटिसशिप को सफल बनाने के लिए सरकार, नियोक्ताओं और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सुव्यवस्थित प्रयासों और सहयोग की आवश्यकता है। हाई स्कूल के छात्रों और समय से पहले अपनी पढ़ाई छोड़ने वालों के बीच अप्रेंटिसशिप के अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को लाभ होगा बल्कि व्यक्तियों और उनके परिवारों के जीवन में भी सुधार होगा। इसके अलावा राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को स्थानीय और छोटे से मध्यम आकार के उद्यमों को सहयोग करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए, जिससे अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा सके।

 

*निष्कर्ष:

अप्रेंटिसशिप सरकारी हस्तक्षेप या धन के बिना भी कौशल विकास और रोजगार के लिए एक स्थायी दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। हालांकि भारत को अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों के विस्तार में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन वैश्वविक स्तर पर सफलता की कहानियां उत्पादकता, नवाचार और रोजगार के परिणामों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को सामने ला रही हैं। आज मौजूदा बाधाओं को दूर करके इससे जुड़े हितधारकों के बीच सहयोग को मजबूत किया जा सकता है और उच्च शिक्षा के साथ अप्रेंटिसशिप के एकीकरण को बढ़ावा देकर भारत के आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सकता है। इससे उम्मीदवारों के लिए करियर की संभावनाओं को बढ़ाने के साथ ही भविष्य के लिए एक कुशल कार्यबल तैयार करने में अप्रेंटिसशिप का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!