परिजनों ने लगाया इल्जाम.... अस्पताल की लापरवाही ने ली बच्ची की जान

Edited By Updated: 24 Aug, 2016 05:15 PM

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साइबर सिटी गुडगांव के सरकारी अस्पताल में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार को अपना इलाज सरकारी अस्पताल में करवाने...

गुड़गांव (राशि मनचंदा): साइबर सिटी गुडगांव के सरकारी अस्पताल में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार को अपना इलाज सरकारी अस्पताल में करवाने से पहले सोचने पर मजबूर होना होगा। क्योंकि गरीबी में जीवन बीता रहे इस परिवार ने अपनी मासूम बच्ची का इलाज गुडगांव के सरकारी अस्पताल में क्या करवाया की उनकी बेटी हमेशा के लिए उनका साथ छोड़ गई। परिजनों का कहना है कि उनकी बच्ची की मौत अस्पताल में लापरवाही की वजह से हुई है। उनके परिवार का कहना है कि यदि हमारे पास पैसे होते तो वह अपनी बेटी का इलाज प्राईवेट अस्पताल में करवाते और अाज उनकी बेटी उनके बीच होती।

 
 
क्या था मामला
गुड़गांव के सिविल अस्पताल में अव्यवस्थाओं का खामियाजा एक बच्ची को अपनी जान देकर उठाना पड़ा। सोमवार को ओ.पी.डी. की लाइन में 3 घंटे से ज्यादा समय तक लगने की वजह से एक 11 साल की बच्ची अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। आनन-फानन में उसे अस्पताल की इमरजेंसी में एडमिट कराया गया, लेकिन इससे पहले ही उसने दम तोड़ दिया। घटना के वक्त बच्ची की मां दवा के काउंटर पर गई हुई थी। बाद में सिविल लाइन थाने में इसकी सूचना दी गई। उधर, परिजनों का कहना है कि बच्ची के पेट में इन्फेक्शन का इलाज हॉस्पिटल में 3 महीने से चल रहा था। सोमवार को भी वह डॉक्टर को दिखाने आई थी लेकिन यहां इतनी लंबी लाइन थी, जिससे डॉक्टर को दिखाने में इतने देर हो गई। सबसे हैरानी की बात है कि बच्ची की मौत पर तमाम जिम्मेदार आला अफसर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। खुद पी.एम.ओ. को इस बात की जानकारी तक नहीं है। यहां पर बता दें कि अस्पताल में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। 
 
 
सिविल हॉस्पिटल की पुलिस चौकी के एसआई रविंद्र सिंह ने बताया कि एक बच्ची के बेहोश होने की खबर मिली थी। पुलिस ने बच्ची को उठाकर डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बच्ची की मां संजू देवी ने बताया कि वह अपने परिवार सहित कापसहेड़ा में रहती हैं। 3 महीने से वह यहां अपनी बेटी नेहा के इलाज के लिए आ रही थीं। उसके पेट में इन्फेक्शन था। अगर उन्हें पता होता उनके साथ इतना बड़ा हादसा हो जाएगा, तो वे अपनी बच्ची को लाइन में कभी नहीं लगातीं। लाइन में खड़े अन्य लोगों का कहना था कि यह सब हॉस्पिटल प्रशासन की व्यवस्था के चलते हुआ है।

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