'प्रदेश में ‘हाथी’ को नहीं रास आ रहा सियासी ‘साथी’

Edited By Isha, Updated: 08 Sep, 2019 12:28 PM

elephant  is not liking political  companion  in the state

हरियाणा में राजनीति का मिजाज जहां अनूठा रहा है वहीं यहां आया राम-गया राम की सियासत ने भी समय-समय पर रंग दिखाया है। पिछले कुछ समय से गठबंधन बनने व टूटने का जो खेल चल रहा है उससे

डेस्कः हरियाणा में राजनीति का मिजाज जहां अनूठा रहा है वहीं यहां आया राम-गया राम की सियासत ने भी समय-समय पर रंग दिखाया है। पिछले कुछ समय से गठबंधन बनने व टूटने का जो खेल चल रहा है उससे प्रदेश एक बार फिर सियासी सुॢखयों में है। इसी की बानगी है कि इस वर्ष में ही बसपा ने 3 अलग-अलग दलों से सियासी रिश्ता जोड़ा व तोड़ा। या यूं कहिए कि बसपा के हाथी को मजबूत साथी नहीं मिला।

बेशक बसपा ने जींद उपचुनाव से लेकर संसदीय चुनाव तक और विधानसभा चुनाव से पहले इनैलो,लोसुपा व जजपा से राजनीतिक गठबंधन करके मजबूती से चुनाव लडऩे का दम भरा मगर कुछ ‘गांठें’ चुनावी नतीजों ने खोल दी तो कुछ चुनाव से पहले सीटों को लेकर हुए मतभेदों ने। बसपा ने गठबंधन के मामले में प्रदेश में नया रिकॉर्ड बना दिया है।

पिछले करीब डेढ़ वर्ष में वह 3 राजनीतिक दलों से गठबंधन करके तोड़ चुकी है। अब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा छिडऩे लगी है कि ‘हाथी’ का अगला ‘साथी’ कौन होगा? या फिर हाथी को अकेले ही दिखाना होगा अपना दम। 

यूं खुलती चली गई सियासी रिश्तों की गांठ
गौरतलब है कि 18 अप्रैल 2018 को बसपा ने इनैलो से गठबंधन किया था और जनवरी में जींद उपचुनाव मिलकर लड़ा लेकिन जमानत जब्त होने के बाद बसपा ने इनैलो से सियासी रिश्ता तोड़ लिया। इसके बाद बसपा ने संसदीय चुनावों के मद्देनजर 10 फरवरी को राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से गठबंधन किया। इस चुनाव में उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। संसदीय चुनाव परिणामों से इस नए गठबंधन में भी दरार आ गई और 4 जुलाई को हाथी ने अपने दूसरे साथी को भी छोड़ दिया।

अब विधानसभा चुनाव से पहले बसपा ने जुलाई माह में दुष्यंत के नेतृत्व वाली जजपा से चुनावी तालमेल कर लिया और विधानसभा चुनाव में 50-40 के अनुपात में सीटों का बंटवारा भी कर लिया। शुक्रवार देर रात इस गठबंधन की गांठ बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीटर के जरिए यह कर खोल दी कि ‘जजपा से सीटों के बंटवारे के मामले में दुष्यंत चौटाला के अनुचित रवैये के कारण हम यह गठबंधन राज्य इकाई के सुझाव पर समाप्त कर रहे हैं और अब हम विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे।’ मायावती द्वारा इस प्रकार गठबंधन तोडऩे से प्रदेश के सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं।

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