2 दशक पहले खरीदे प्लाट अब तक नहीं बना सके मकान

Edited By Deepak Paul, Updated: 20 Mar, 2019 11:35 AM

plans bought till 2 decades ago could not be built

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा लगभग 2 दशक पहले सैक्टर-18 के पार्ट-2 में आर्थिक रूप से कमजोर...

यमुनानगर (त्यागी): हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा लगभग 2 दशक पहले सैक्टर-18 के पार्ट-2 में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए ड्रा से प्लाट अलाट किए गए थे। इन प्लाटों के धारकों ने उस समय सोचा था कि किसी तरह अब उनके पास अपना प्लाट तो हो गया और वे जल्द ही इस पर मकान बनाएंगे। लंबे समय तक सैक्टर-18 के पार्ट-2 का वातावरण रहने के लायक नहीं था, क्योंकि पूरी तरह से यह पार्ट विकसित नहीं हुआ था।

अब जबकि यह सैक्टर पूरी तरह से विकसित होने लगा है तो इन प्लाट धारकों ने भी यहां अपना घर बनाने का मन बनाया लेकिन इन सभी प्लाट धारकों के सपने उस समय चूर हो गए जब उन्हें पता चला कि वे इन प्लाटों पर अपने मकान नहीं बन सकते, क्योंकि कोर्ट में लंबित केस के चलते कोर्ट ने यहां कुछ भी बनाने पर स्थगन आदेश जारी किए हुए हैं। वर्ष-2014 में एक मामला कोर्ट में गया, जिसके चलते कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिए। 

स्थगन आदेश जारी होते ही अब इस क्षेत्र में न कोई निर्माण कार्य हो सकता है और न ही किसी प्रकार की अन्य कोई गतिविधि। न कोई अपना प्लाट बेच सकता है और न ही कोई खरीद सकता है। हालांकि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा जब ये प्लाट आॢथक रूप से कमजोर लोगों को अलाट किए गए थे तो उस समय भी शर्त रखी गई थी कि 20 वर्षों तक न तो इन प्लाटों को कोई बेच सकता और नहीं इनका ट्रांसफर हो सकता था। अब ये प्लाट मालिक किसी अन्य को दे भी सकते हैं लेकिन ऐसे में कोर्ट के स्थगन आदेश आगे आ रहे हैं और न ही इन पर प्लाट धारक अपना मकान बन सक रहे हैं। 

पिछले लगभग 5 साल से है कोर्ट में मामला 
प्लाट नंबर 1397 से लेकर 1739 तक के प्लाटों पर कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया है। सी.डब्ल्यू.पी. 2014 केस नंबर-17534 के तहत महाराज अग्रसेन के नाम से यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जब यह मामला पूर्व में भी कोर्ट में गया था तब भी कोर्ट ने प्राधिकरण के पक्ष में इसका फैसला सुनाया था लेकिन दूसरे पक्ष ने एक बार फिर इसी संबंध में कोई याचिका दायर कर दी, जिसके चलते कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिए हैं। कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई के लिए जुलाई माह में एक तारीख निर्धारित की है।

प्राधिकरण की ओर से उनका वकील इस मामले की पैरवी कर रहा है। यह सारा मामला प्राधिकरण मुख्यालय द्वारा देखा जा रहा है। जो प्लाट धारक है वे अपने प्लाट से संबंधित जानकारी के लिए जब भी प्राधिकरण के कार्यालय में जाते है तो उन्हें बस इतनी ही जानकारी मिलती है कि मामला कोर्ट में है, इससे आगे की जानकारी न तो यहां के अधिकारी व कर्मचारियों को है और न ही प्लाट धारक मुख्यालय तक पहुंच पाते हैं। कुछ प्लाट धारकों ने बताया कि उन्होंने मकान बनाने के लिए ये प्लाट लिए थे लेकिन अब किसी प्रकार का निर्माण भी नहीं किया जा सकता, जिसके चलते वे परेशान हैं। 

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