मुर्गी पालन बना आफत, फार्मरों के लिए बना जी का जंजाल

Edited By Isha, Updated: 30 Mar, 2020 03:53 PM

poultry became a disaster livelihood made for farmers

वैश्विक महामारी के चलते मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए यह व्यवसाय गले की फांस बन गया है। सोशल मीडिया पर फार्मरों द्वारा मुर्गियों......

कलांवाली (प्रजापति) : वैश्विक महामारी के चलते मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए यह व्यवसाय गले की फांस बन गया है। सोशल मीडिया पर फार्मरों द्वारा मुर्गियों को सड़कों के किनारे फैंकने के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। गांव नुहियांवाली मेंं बिजली घर के निकट कोई अज्ञात व्यक्ति काफी मुर्गियों सड़क किनारे फैंका गया। अधिकांश मुर्गियों को हड्डारोड़ी के कुत्ते उठा ले गए। सूचना के बाद लोगों ने मौके पर पहुंचकर सरपंच को सूचित किया जिससे बाद मुर्गियों को दफनाया गया। वैश्विक महामारी के कारण कार्य ठप्प होने के चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए मुर्गी पालन गले की फांस बन गया है।

हालांकि प्रशासन ने कहा है कि मुर्गियों के लिए फीड खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन फार्मरों का कहना है कि भले ही प्रशासन फीड खरीदने के लिए किसी तरह की कोई पाबंदी न होने की बात कह रहा है लेकिन आगे से मुर्गियों की मांग न होने के चलते उनका यह धंधा अब उनके लिए बड़ी आफत बन गया है। स्थिति यह है कि असमंजस में फंसे फार्मरों के लिए इससे अब खेहड़ा छुड़वाना दुश्वार होकर रह गया है। कुछ फार्मर तो इस कद्र फंसे हैं कि वे अपने मुर्गी फार्म को फ्री में देने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन कोई भी इसके लिए तैयार नजर नहीं आ रहा। इसी समस्या को लेकर कुछ फार्मर बीते दिन एस.डी.एम. से भी मिले। जहां उन्हें सिर्फ यही जवाब मिला कि मुर्गियों के लिए फीड खरीदने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है।

मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले नुहियांवाली के रविन्द्र कुमार, भानू राम, सालमखेड़ा के दर्शन सिंह, चक्कां के संदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने कृषि कार्य के साथ-साथ मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू किया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह व्यवसाय उनके लिए सिरदर्द बन जाएगा। उन्होंने बताया कि 22 मार्च को लॉकडाऊन के बाद मुर्गियों की कोई मांग नहीं है। जब खरीदारों से बात की जाती है तो जवाब मिलता है कि अभी डिमांड नहीं है। दूसरा फीड की सप्लाई भी न आने के चलते मुर्गियों का पेट भरना भी दुश्वार हो गया है।

रविन्द्र कुमार ने बताया कि उसके फार्म में करीब 4 हजार मुर्गियों हैं, लेकिन लॉकडाऊन के चलते फीड की सप्लाई न होने के चलते उनके सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। इस अवस्था में उसने करीब 30 हजार रुपए का बाजरा खरीदा था जो महज 3 दिन तक ही चला। उसने बताया कि मौजूदा व्यवस्था को देखते हुए वह अपने मुर्गी फार्म को फ्री में भी देने के लिए तैयार है, लेकिन फिर भी कोई लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा। वहीं, संदीप कुमार ने बताया कि उसके 2 फार्म में करीब 7 हजार व दर्शन सिंह के फार्म में करीब 400 मुर्गियां हैं जिनका पेट भरना दुश्वार हो रहा है।

फार्मरों ने बताया कि उनके सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि मुर्गियों का क्या किया जाए। चक्कां निवासी संदीप कुमार ने बताया कि वे इस समस्या को लेकर बीते दिन ऐलनाबाद के एस.डी.एम. से मिले। एस.डी.एम. ने उन्हें कहा कि मुर्गियों की फीड की खरीदारी में कोई रुकावट नहीं है। मुर्गी फार्मरों ने बताया कि एस.डी.एम. की ओर से फीड पर कोई रुकावट न होने की बात कही गई है लेकिन आगे डिमांड न होने के चलते उनकी आॢथक व्यवस्था प्रभावित होकर रह गई है। उन्होंने बताया कि अब उनके पास इतनी व्यवस्था नहीं है कि वे मुर्गियों का पेट भर सकें। रविंद्र वर्मा के अनुसार सामान्य परिस्थिति में दिल्ली व अन्य क्षेत्रों में मुर्गियों की डिमांड 80 रुपए किलोग्राम थी, लेकिन अब इन्हें कोई 10 रुपए किलो भी नहीं उठाने को तैयार। फार्मरों ने सरकार से इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालने की मांग की है। 

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