करोड़ों की लागत से यमुनानगर अस्पताल तो कर दिया खड़ा लेकिन स्वास्थ्य विभाग भूल गया डॉक्टरों की नियुक्ति करना

Edited By Manisha rana, Updated: 06 Dec, 2023 01:49 PM

yamunanagar hospital built at a cost of crores

यमुनानगर में 200 बेड के जिला अस्पताल का उद्घाटन इसी वर्ष 11 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। भवन के निर्माण पर 100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है। इससे पहले यह अस्पताल मात्र 75 बेड का था।

यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता) : यमुनानगर में 200 बेड के जिला अस्पताल का उद्घाटन इसी वर्ष 11 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। भवन के निर्माण पर 100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है। इससे पहले यह अस्पताल मात्र 75 बेड का था। यमुनानगर औद्योगिक क्षेत्र है जहां हजारों छोटे-बड़े कारखाने हैं, जहां लाखों मजदूर काम करते हैं। यह मजदूर सरकारी सेवाओं पर ही निर्भर हैं। यमुनानगर के सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन 2000 से 2500 के करीब मरीज दवाई लेने के लिए आते हैं। घंटों इंतजार के बाद पता चलता है जिस रोग की वह दवाई लेने आए हैं उसका विशेषज्ञ ही अस्पताल में नहीं है। फिर उनका मामला कुरुक्षेत्र अथवा पंचकूला रेफर किया जाता है।

यमुनानगर जिला में मेडिकल अफसर के 55 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 25 पद खाली हैं। डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के चार पद स्वीकृत है जिनमें से दो पद खाली हैं। सीनियर नर्सिंग के 10 पद स्वीकृत हैं 7 पद खाली हैं। सीनियर फार्मासिस्ट का एक पद है वह भी खाली है। रेडियोग्राफर के 6 पद हैं जिनमें से दो पर अस्थाई नियुक्ति की गई है चार पद खाली हैं। नर्सिंग अफसर के 90 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 45 पद खाली हैं। जिला अस्पताल में ना तो मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड है और न ही एम आर आई की सुविधा। मात्र गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। जब मुख्यमंत्री ने इस भवन का उद्घाटन किया, उस समय आदेश दिए गए थे कि एम आर आई और अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी आम मरीजों के लिए उपलब्ध होगी। लेकिन उस पर भी अभी तक अमल नहीं हुआ है। एक तो डॉक्टर के आधे से अधिक पद खाली हैं ऊपर से अन्य कारणों से भी डॉक्टर अपनी सीटों पर उपलब्ध नहीं होते। कई बार न्यायालय में किसी मामले में गवाही देने जाना होता है, तो कभी जिला अथवा प्रदेश स्तर पर सरकारी मीटिंग होती है उस समय भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते। 

डॉक्टर दिव्या मंगला ने बताया कि फार्मासिस्ट के 10 पद हैं जिनमें से पांच खाली हैं। डेंटल असिस्टेंट के दो पद खाली हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि पिछले लंबे समय से एमडी मेडिसिन का पद ही खाली है, साइकैटरिस्ट का एक पद है वह भी खाली है। कार्डियोलॉजिस्ट भी नहीं है, सुपर स्पेशलिटी का कोई भी विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है। इसी तरह अन्य स्टाफ के भी 50% से अधिक पद खाली हैं। दिव्या मंगला दावा करती हैं कि डॉक्टर व अन्य स्टाफ के रिक्त पदों को लेकर मुख्यालय को सूचित किया गया है। उम्मीद है जल्दी ही विभिन्न पदों के लिए नियुक्तियां होंगी। उन्होंने दावा किया कि कई पद खाली होने के बावजूद यहां तैनात डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ मरीजों को किसी तरह की कोई कमी नहीं आने देते व मरीज को हर संभव सुविधा देने का प्रयास करते हैं। 

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