Edited By Saurabh Pal, Updated: 03 Jul, 2024 07:30 PM
केंद्र सरकार से आयुष्मान कार्ड की पेमेंट प्राइवेट अस्पतालों में नहीं आने पर बीते कुछ दिनों से प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड से उपचार बंद कर दिया। इसको लेकर अब उपचार के लिए आने वाले लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं...
उचाना(प्रदीप श्योकंद): केंद्र सरकार से आयुष्मान कार्ड की पेमेंट प्राइवेट अस्पतालों में नहीं आने पर बीते कुछ दिनों से प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड से उपचार बंद कर दिया। इसको लेकर अब उपचार के लिए आने वाले लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जिसको लेकर उचाना के किसानों ने अनोखा प्रदर्शन करते हुए किसान, मजदूर का आयुष्मान के नाम से गुलक बना कर उसमें चंदा एकत्रित किया। यहां से जो भी राशि एकत्रित होगी वो पीएम फंड में भेजी जाएगी।
उपमंडल कार्यालय में चल रहे धरने के संयोजक आजाद पालवां ने कहा कि हमारा धरना काफी लंबे समय से चला हुआ है। धरने पर हमें पता चला कि कुछ दिनों से प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों का उपचार नहीं हो रहा है। आयुष्मान कार्ड योजना के तहत सरकार द्वारा प्राइवेट अस्पतालों को दी जाने वाली भुगतान राशि नहीं दी जा रही है। जिसके कारण आयुष्मान कार्ड से होने वाले मुफ्त उपचार को बंद कर दिया है। आज गरीब व्यक्ति दर-दर भटक रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में जाने पर डॉक्टर वहां उपचार को मना कर रहे हैं। करोड़ों रुपए की पेमेंट हरियाणा के डॉक्टरों की रूकी हुई है। जिसके चलते उपचार बंद करने का फैसला प्राइवेट डॉक्टरों ने लिया है। सरकार ये पेमेंट करके जो आयुष्मान कार्ड से उपचार रूका हुआ है, उसको शुरू करवाने का काम करें। पांच लाख रुपए तक का उपचार इस कार्ड से होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है कि प्राइवेट अस्पतालों को आयुष्मान कार्ड से होने वाले उपचार को बंद करना पड़ा। सरकार को रुपए भेजने के लिए किसानों ने आज मिलकर रुपए एकत्रित करने का काम किया है। ये राशि पीएम राहत कोष में भेजी जाएगी। सरकार का फिर भी अगर काम नहीं चलता है तो गांव-गांव जाकर रुपए एकत्रित करके सरकार को चंदा एकत्रित करके भेजेंगे। सरकार से मांग है कि इस योजना को शुरू करें। आयुष्मान कार्ड को जुमला न बनाए। जुमला सरकार ने पहले भी बहुत बनाए है।
ये योजना भी आज जुमला साबित हो रही है। किसान, मजदूर का आयुष्मान के नाम से गुलक बनाया है। राशि एकत्रित करके सरकार को भेजेंगे। हम बाजार-बाजार में जाएंगे जो भी तरीका विरोध है वो करेंगे। बड़ा आंदोलन भी करने का काम करेंगे। सरकारी अस्पतालों में अच्छे डॉक्टर, बड़ी मशीने उपलब्ध हो। सरकारी स्कूलों में भी अच्छे टीचर लगाए जाए। शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा पर ध्यान नहीं। धर्म, मंदिर पर लोगों को सरकार उलझा रही है। विकास की तरफ ध्यान देना चाहिए।
बुजुर्ग मिया सिंह ने कहा कि आयुष्मान से जो गरीबों को जो स्वास्थ्य सेवाएं मिलती थी वो प्राइवेट अस्पतालों में बंद कर दी गई है। गरीबों को परेशानी हो रही है। सरकार अगर प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान को बंद करना चाहती है तो सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं मुहैय्या करवाए।
बुजुर्गों ने कहा कि आयुष्मान बंद होने से नुकसान गरीबों को हो रहा है। नुकसान गरीबों को हुआ है। प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों को रुपए नहीं दे रही है। अब राशि नहीं आने से ये उपचार बंद हो गया। जब ये बंद ही करना था तो ये योजना क्यों शुरू की।
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