हरियाणा के इस जिले का कहा जाता है "युद्धों का शहर", पुराना नाम था पांडुप्रस्थ, आज बना चुका अलग पहचान

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 07 Dec, 2025 08:09 PM

this district of haryana is called city of wars  its old name was panduprastha

माना जाता है कि यह उन पाँच प्रस्थों में से एक था, जिन्हें पांडवों ने कौरवों से मांगा था। उसी आधार पर इसका प्राचीन नाम पांडुप्रस्थ माना जाता है।

डेस्क : हरियाणा का पानीपत भारतीय इतिहास में एक खास पहचान रखता है। इसे अक्सर "युद्धों का शहर" कहा जाता है, क्योंकि यहां हुए तीन बड़े युद्धों ने सिर्फ उत्तर भारत की राजनीति ही नहीं, बल्कि समूचे उपमहाद्वीप की सत्ता संरचना को नई दिशा दी।

स्थानीय मान्यताओं और ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, पानीपत का अस्तित्व महाभारत काल तक जाता है। माना जाता है कि यह उन पाँच प्रस्थों में से एक था, जिन्हें पांडवों ने कौरवों से मांगा था। उसी आधार पर इसका प्राचीन नाम पांडुप्रस्थ माना जाता है। हालांकि, यह संदर्भ अधिकतर सांस्कृतिक स्मृतियों और लोक कथाओं में मिलता है।

मध्यकाल और तीन युद्ध

पानीपत ने मध्यकाल में तीन ऐतिहासिक लड़ाइयाँ देखीं, जिनमें से प्रत्येक ने भारतीय सत्ता संघर्ष का नया अध्याय लिखा।

पानीपत की पहली लड़ाई

पानीपत की पहली लड़ाई 1526 में हुई। यह संघर्ष मुगल शासक बनने जा रहे बाबर और दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हुआ। तकनीकी रूप से मजबूत तोपखाने के इस्तेमाल ने बाबर को निर्णायक बढ़त दिलाई और यहीं से भारत में मुगल शासन की शुरुआत मानी जाती है।

दूसरी लड़ाई

पानीपत की दूसरी लड़ाई 1556 में हुई। अकबर की सेना और हिंदू राजा हेमू के बीच हुई इस लड़ाई ने मुगल साम्राज्य की जड़ें और मजबूत कीं। इस जीत के साथ मुगल शासन ने फिर से दिल्ली और उत्तर भारत पर पकड़ बना ली।

तीसरी लड़ाई

पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में हुई। मराठाओं और अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के बीच हुए इस रक्तरंजित युद्ध ने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। इस हार के बाद मराठाओं का विस्तार रुक गया और अंग्रेजों के उभरने का रास्ता साफ हुआ।

पानीपत की आधुनिक पहचान

आज पानीपत अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के वैश्विक केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां बने कालीन, दरी और होम फ़र्निशिंग उत्पाद दुनिया के कई देशों में निर्यात होते हैं। वर्ष 1989 में पानीपत को करनाल से अलग कर जिला घोषित किया गया। पानीपत को 1991 को दोबारा से करनाल जिले में शामिल किया गया। इसके बाद पानीपत को दोबारा से 1 जनवरी 1992 को करनाल से अगल कर जिला बनाया गया।

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