Edited By Manisha rana, Updated: 16 Feb, 2024 05:20 PM
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में तमाम कलाकार अपनी कला लेकर पहुंचे हैं। ऐसे में बनारस से आए नसीम आज भी विलुप्त ग्यारस जंगला कला को जीवित रखे हुए हैं। नसीम अहमद ने बताया कि वह हैंडलूम की साड़ियों का काम करते हैं।
फरीदाबाद : अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में तमाम कलाकार अपनी कला लेकर पहुंचे हैं। ऐसे में बनारस से आए नसीम आज भी विलुप्त ग्यारस जंगला कला को जीवित रखे हुए हैं। नसीम अहमद ने बताया कि वह हैंडलूम की साड़ियों का काम करते हैं। वह अपनी परंपरा को लेकर आगे चल रहे हैं और 20 साल से लगातार सूरजकुंड मेले में पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब वह बहुत छोटे थे तो वह अपने पिता के साथ सूरजकुंड मेले में आया करते थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को गिफ्ट की है साड़ी
उन्होंने बताया कि वह सूरजकुंड में जंगला साड़ी लेकर पहुंचे हैं जिसकी कीमत उन्होंने 75000 रुपए रखी है। यह साड़ी इतनी महंगी इसलिए है क्योंकि इस साड़ी को बनाने में 18 से 20 दिन का समय लग जाता है। नसीम अहमद ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को साड़ी गिफ्ट की और यह साड़ी मेला परिसर में ही तैयार की है। वर्ष 2017 से हस्तशिल्प के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और ट्रेडिशनल पैटर्न जैसे ब्रोकेट, कड़ुवा बूटी, तनछुई्, वाल कलम पर आधारित साड़ी, दुपट्टे करते है।
सूरजकुंड विभाग के अधिकारियों ने उनसे कहा कि उनको साड़ी का लाइव डेमो चाहिए तो वे लोग यहां पर सेटअप लगाकर साड़ियां बनाई हैं। उन्होंने कहा कि यह इसलिए लगाया गया है ताकि युवाओं को पता चल सके कि यह साड़ियां कैसे बनाई जाती है और कैसे इन साड़ियों पर काम किया जाता है।
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