Edited By Saurabh Pal, Updated: 09 Feb, 2024 06:17 PM
13 फरवरी को किसान आंदोलन के दौरान लंबित मांगों को लेकर किसानों दिल्ली कूच का ऐलान किया है। जिसको लेकर अलग-अलग खाप प्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। शुक्रवार को सोनीपत की अंतिल खाप के प्रधान हवा सिंह स्पष्ट...
सोनीपत(सन्नी मलिक): 13 फरवरी को किसान आंदोलन के दौरान लंबित मांगों को लेकर किसानों दिल्ली कूच का ऐलान किया है। जिसको लेकर अलग-अलग खाप प्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। शुक्रवार को सोनीपत की अंतिल खाप के प्रधान हवा सिंह स्पष्ट कहा कि वो किसानों की मांगो का समर्थन करते हैं, लेकिन दिल्ली की सीमा पर अबकी बार किसान संगठनों का वो समर्थन नहीं करेंगे। क्योंकि पिछले आंदोलन में इस इलाके में नशा बढ़ा तो अपराधिक मामलों में भी इजाफा हुआ। उसके साथ साथ आर्थिक रूप से भी सोनीपत को नुकसान झेलना पड़ा।
सीमाएं जाम होने से सोनीपत को नुकसान
तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का आंदोलन करीब 1 साल तक चला था। जिसे ऐतिहासिक कहा गया, लेकिन सरकार के साथ कुछ मांगों को लेकर सहमति बनी और सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। जिसके बाद किसानों ने किसान आंदोलन को स्थगित कर दिया। लेकिन एक बार फिर किसान आंदोलन की आहट से सोनीपत के स्थानीय निवासी और कारोबारी परेशान हो गए हैं। क्योंकि दिल्ली की सीमाएं बंद हो गई थी, सोनीपत वासियों को दिल्ली आवागमन में परेशानी हो रही थी। अब जैसे ही किसान आंदोलन की आहट सुनाई दी तो इस बार खाप पंचायतें इस आंदोलन से अपना हाथ खींचती हुई नजर आ रहीं हैं। दहिया खाप के बाद अब अंतिल खाप ने भी किसानों के दिल्ली कूच को तो सही ठहराया। लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर बैठने पर उनके समर्थन से अपना हाथ पीछे खींच लिया।
किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन धरने में साथ नहींः खाप प्रधान
अंतिल खाप के प्रधान हवा सिंह का कहना है कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कुच कर रहे हैं। उनकी मांगे जायज हैं हम उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन जब पिछली बार किसान आंदोलन हुआ था तो उन्होंने दिल्ली की सीमा को जाम कर दिया था। जिसके चलते सोनीपत को आर्थिक और सामाजिक नुकसान उठाना पड़ा था। क्योंकि इस आंदोलन के दौरान सोनीपत में आपराधिक मामलों में इजाफा हुआ नशे के कारोबार में भी इजाफा हुआ था। जिसके चलते अबकी बार हमारी खाप इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लेगी। हमारे किसान संगठनों से अपील है कि अबकी बार वह दिल्ली या फिर अपने प्रांत में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करें। हम उनका साथ देंगे। लेकिन दिल्ली सीमाओं को जाम करके आंदोलन करने से कुछ भी हांसिल होने वाला नहीं है।
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