Jind News: सुबह व शाम छा रहा स्मॉग, हृदय रोगियों और बच्चों की बढ़ रही परेशानी

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Nov, 2024 08:19 AM

smog prevails in jind in the morning and evening

जिले में हवा की गुणवत्ता में सुधार न होने के चलते आमजन की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को अधिकतम ए.क्यू.आई. 356 रहा।

जींद : जिले में हवा की गुणवत्ता में सुधार न होने के चलते आमजन की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को अधिकतम ए.क्यू.आई. 356 रहा। लगातार यह स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। सुबह और शाम के समय शहर में स्मॉग की स्थिति रहती है। प्रदूषित बारीक कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते है, जिससे आंखों में जलन और सांस रोगियों को परेशानी होती है। स्मॉग व प्रदूषित पर्यावरण के चलते चिकित्सक सुबह व शाम की सैर न करने की सलाह दे रहे हैं। 

दीपावली पर्व के बाद से पर्यावरण को लेकर स्थिति चिंताजनक

जिला में पिछले 1 महीने से लगातार फसल अवशेष जलाने के मामले भी सामने आ रहे है। इससे ए.क्यू.आई. एक सप्ताह से 300 के आसपास था। वहीं दीपावाली पर हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण और अधिक बढ़ा दिया। ए.क्यू.आई. का औसत स्तर 350 तक रह रहा है। प्रदूषण का यह स्तर सांस के रोगियों और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है। आंखों में लगातार प्रदूषण के कण जाने से जलन बढ़ रही है। विशेष दमा के मरीजों को इस मौसम से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। यूं तो पिछले कई साल से जींद का ए.क्यू.आई. 400 से ऊपर जाता है लेकिन इस बार प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने पर सख्ती की हुई है और पराली जलाने के मामले कम आ रहे हैं।

हवा की गति कम रहना भी बन रहा परेशानी

शुक्रवार को अधिकतम तापमान 31 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 18 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम में आद्रता 48 प्रतिशत रही तो हवा की गति भी मात्र 3 किलोमीटर प्रति घंटा रही। हवा की गति कम रहने के चलते भी पर्यावरण प्रदूषण से आमजन को निजात नही मिल पा रही है। क्योंकि कार्बन व प्रदूषण के कण वातावरण में ऊपर नही जा पाते हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार धीरे-धीरे ठंड बढ़ने की संभावना है। मौसम शुष्क रहेगा और हल्की गति से उत्तरी हवाएं चल सकती है, जिससे दिन व रात के तापमान में हल्की गिरावट की संभावना है। ठंड रहने के चलते सुबह व शाम के समय स्मॉग की भी स्थिति बनी रह सकती है।

सांस के रोगियों के लिए खतरनाक है प्रदूषण : डा. भोला

नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन डा. राजेश भोला ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण से रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में प्रदूषण के दौरान सीधे हवा के संपर्क में आने से बचें। आंखों को बार-बार सामान्य पानी से साफ करते रहें। अधिक खुजली या जलन होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ को ही दिखाएं। आतिशबाजी से हवा की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे सांस के रोगियों को परेशानी होनी स्वाभाविक है। सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेषकर शारीरिक श्रम के दौरान ज्यादा परेशानी होती है। 

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