घी-खिचड़ी की तरह कभी रहने वाले हुड्डा और सैलजा में तकरार, नतीजा एसआरके गुट का अवतार

Edited By Saurabh Pal, Updated: 29 Sep, 2023 04:27 PM

selja distance from bhupendra hooda gave birth to srk faction

हरियाणा की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के बीच छिड़ी सियासी जंग अब जनता के बीच आ गई है। कभी एक दूसरे के बहुत करीब रहे हुड्डा और सैलजा आज एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। मुख्यमंत्री बनने से पहले...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरनी): हरियाणा की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के बीच छिड़ी सियासी जंग अब जनता के बीच आ गई है। कभी एक दूसरे के बहुत करीब रहे हुड्डा और सैलजा आज एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। मुख्यमंत्री बनने से पहले हुड्डा कुमारी सैलजा के पक्ष में कसीदे पढ़ते थे, लेकिन कुर्सी हाथ लगते ही उनके तेवर बदल गए।

घी-खिचड़ी रहने वाले हुड्डा और सैलजा के बीच इस तरह से 36 का आंकड़ा बना कि राजनीतिक द्वंदता में उनके उदाहरण दिए जाने लगे। दोनों नेता मंच पर तो एकजुटता की बात करते रहते थे, लेकिन उनकी एकजुटता कहीं दिखाई नहीं दी, बल्कि गुटबाजी लगातार बढ़ती गई। इसी का नतीजा एसआरके के नए अवतार के रूप में सामने भी आया।

अभी 24 सितंबर को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव सैलजा का जन्मदिन था। पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा के समर्थकों ने पूरे प्रदेश में उनका जन्मदिन जोश-ओ-खरोश के साथ मनाया। पूरे हरियाणा में सैलजा समर्थकों ने होर्डिंग लगाए, हवन यज्ञ किए और केक काटे। उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थनाएं हुईं, मगर कहीं एक जगह भी पूर्व सीएम हुड्डा या उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र की तस्वीर सैलजा समर्थकों के होर्डिंग्स में नहीं थी।
मजे की बात यह है कि यह राजनीतिक द्वंद्वता केवल हुड्डा और सैलजा तक ही सीमित नहीं है। बल्कि छनते-छनते नीचे तक पहुंची हुई है। हुड्डा के समर्थक कहीं सैलजा का नाम तक नहीं लेते तो सैलजा समर्थक भूपेंद्र हुड्डा के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते दिखाई देते हैं। जिला स्तर पर होने वाली कांग्रेस की मीटिंगों तक में यह विरोध साफ दिखाई देता है।

दुनिया जानती है कि मुख्यमंत्री रहते हुड्डा ने जहां सैलजा के हरियाणा में पांव नहीं लगने दिए। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते समय उनका इतना मनोबल गिराया कि उन्हें अपने पद को छोडऩा पड़ा। खैर, राजनीतिक रिश्तों में कब नजदीकियां बढ़ जाएं और कब दुश्वारियां बन जाएं कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह जरूर है कि हरियाणा में हुड्डा की सियासत ने बड़े-बड़े धुरंधरों के पांव उखाडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हाल ही में कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी के बीच हुई सियासी सांझ के बाद हुड्डा समर्थकों में खलबली का माहौल है। वहीं दूसरे धड़े के पक्षकारों में काफी उत्साह का माहौल है। जहां सैलजा सिरसा में अपने पुराने समर्थकों के साथ मिलकर उनका हौसला बढ़ाने पहुंचीं वहीं तीनों ने चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी एकता का परिचय दिया।

यहां वर्णनीय है कि हुड्डा की राजनीति के चलते ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ी। वहीं अध्यक्ष पद के चयन में अपनी अनदेखी को लेकर वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया। सैलजा को भी अपने प्रदेशाध्यक्ष पद से त्यागपत्र देना पड़ा। पूर्व में भी कई बड़े कांग्रेसी दिग्गजों ने हुड्डा की ‘राजनीति’ के चलते अपना विरोध जाहिर किया। हुड्डा ने सत्ता आने पर गारंटी की रेवडिय़ां बांटने पर बेशक केंद्र के दबाव में रोक लगा दी लेकिन जलवा अभी भी वैसा ही है। 

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