Edited By Isha, Updated: 05 Dec, 2023 10:42 AM
जिले में बिना फायर एनओसी के चल रहे कोचिंग सेंटर,रेस्टोरेंट और होटल संचालकों के लिए आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं, क्योंकि हरियाणा अग्नि शमन एवं आपातकालीन सेवाएं विभाग अब कार्रवाई करने की तैयारी में है।
कैथल (जयपाल) : जिले में बिना फायर एनओसी के चल रहे कोचिंग सेंटर,रेस्टोरेंट और होटल संचालकों के लिए आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं, क्योंकि हरियाणा अग्नि शमन एवं आपातकालीन सेवाएं विभाग अब कार्रवाई करने की तैयारी में है। जिसके चलते कैथल जिले के 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर और 60 से अधिक रेस्टोरेंट, होटल और पैलेस को नियमों की अहवेलना करने पर सील करने की डायरेक्टर से अनुमति मिल गई है। हालांकि विभाग के नियमों की अहवेलना करने में सरकारी कार्यालय भी पीछे नहीं है, केवल जिला सचिवालय को छोड़कर जिले के बाकी किसी भी सरकारी कार्यालय के पास फायर विभाग की एनओसी नहीं है।
बता दें कि इस समय जिले में 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर और करीब 60 से अधिक होटल, रेस्टोरेंट, वेंकट हॉल और बड़े ढाबे शामिल हैं। इसके अलावा पाँच होटल, रेस्टोरेंट और बैंकवेट हॉल संचालकों ने फायर फाइटिंग सिस्टम लगवा हुआ है। जबकि 22 छोटे ढाबे या रेस्टोरेंट को फायर एनओसी लेने की जरुरत नहीं है क्योंकि उनकी जगह तय मानकों के अनुसार कम है। तीन होटल मालिकों ने फायर एनओसी के लिए अप्लाई किया हुआ है। जबकि दो होटलों ने अदालत में केस किया हुआ है। इसके बाद भी 50 से अधिक होटल, रेस्टोरेंट और बड़े एरिया में बने ढाबे को फायर एनओसी लेने की जरुरत है। जिसके बाद डायरेक्टर ऑफिस के आदेशों के बाद जिले के 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर और 60 से अधिक रेस्टोरेंट, होटल और पैलेस को सील करने की अनुमति मिल गई है।
इमरजेंसी के लिए कोचिंग सेंटरों में होने चाहिए के एग्जिट सीढ़ियां
अग्निशमन विभाग अधिकारी सुरेंद्र ने बताया कि नेशनल बिल्डिंग कोड व फायर विभाग के रूल मुताबिक इमरजेंसी के लिए सभी कोचिंग सेंटरों में अलग से एग्जिट सीढ़ियां होनी चाहिए, जोकि कुछ सेंटरों को छोड़ कर किसी की भी बिल्डिंग में एग्जिट सीडियां नही है। उन्होंने बताया की यदि कोई इमरजेंसी या अप्रिय घटना हो जाती है तो एक सीढ़ि से भगदड़ में जान जा सकती है, यदि कोचिंग सेंटर में दो एग्जिट हो तो दूसरी सीढ़ियां से आपदा में फसे लोगों को निकला जा सकता है, इसके साथ ही बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चलाना भी नियमों के विरूद्ध है, क्योंकि बेसमेंट में सिर्फ स्टोरेज और पार्किंग होनी चाहिए इसमें किसी प्रकार का जनसमूह इकठ्ठा नही कर सकते, जबकि जिले के कई कोचिंग सेंटर एसे चल रहें हैं। इस लिए उनके विभाग द्वारा बिना एग्जिट सीढ़ियों के कोचिंग सेंटरों को एनओसी नही दी जाती।
जिले के 52 सरकारी कार्यालय के पास भी नहीं है फायर एनओसी:
हैरानी की बात है कि फायर विभाग के नियमों की अनदेखी केवल निजी संस्थान ही नही कर रहे बल्कि जिले के 52 से अधिक सरकारी कार्यालय भी बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। प्रशासन की विडंबना यह है की जिला सचिवालय को छोड़ कर जिले किसी भी सरकारी कार्यालय के पास फायर विभाग की एनओसी नहीं है। जबकि हरोज इन सरकारी कार्यालय में हजारों की संख्या में लोगों की आवा जाहि रहती है। इसके बावजूद भी खुद अधिकारी भी फायर नियमों की अनदेखी करने में पीछे नहीं है। हालांकि फायर विभाग द्वारा सभी सरकारी कार्यालय को एनओसी लेने वाले समय-समय पर पत्राचार भी किए गए है उसके बावजूद भी जिले में केवल जिला सचिवालय की बिल्डिंग की ही फायर की एनओसी है।
डायरेक्टर ने सहायक मंडल अग्निशमन अधिकारी को दी संस्थान सील करने की शक्तियां: सुरेन्द्र
सुरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बिना एनओसी के चल रहे कोचिंग सेंटर, होटल और रेस्टोरेंटों को उनके कार्यालय द्वारा दो बार नोटिस दिया जा चुका है। लेकिन फिर भी केवल कुछ ही संचालकों के द्वारा एनओसी अप्लाई की गई है, अभी तक जिला अग्निशमन विभाग के पास सील करने की शक्तियाँ नहीं थी, लेकिन 28 नवम्बर को विभाग के डायरेक्टर द्वारा सहायक मंडल अग्निशमन अधिकारी को नियमों की अवहेलना करने वाले कोचिंग सेंटर, होटल और रेस्टोरेंटों को सील करने शक्तियां दे दी गई है, जिसकी कार्रवाई इसी माह शुरू हो जाएगी।