Edited By Saurabh Pal, Updated: 26 Dec, 2023 07:34 PM

सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच के नेतृत्व में बोर्ड का एक दल सरस्वती का पूरा ट्रैक खंगालने व राजस्व रिकॉर्ड का एकत्रीकरण करने के लिए 23 तारीख से गुजरात की दौरे पर जा रहा है। जिसमें उनका मुख्य उद्देश्य सरस्वती का पैलियो चैनल इसरो के...
चंडीगढ़(चंद्र शेखऱ धरणी): सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच के नेतृत्व में बोर्ड का एक दल सरस्वती का पूरा ट्रैक खंगालने व राजस्व रिकॉर्ड का एकत्रीकरण करने के लिए 23 तारीख से गुजरात की दौरे पर जा रहा है। जिसमें उनका मुख्य उद्देश्य सरस्वती का पैलियो चैनल इसरो के द्वारा बोर्ड को दिया गया है, यानी के वैदिक काल में जिस क्षेत्र में सरस्वती नदी बहती आई है उस क्षेत्र का मुख्य अंतिम भाग गुजरात के रण कच्छ में माना जाता है। क्योंकि रण आफ कच्छ जहां पर सरस्वती नदी खाडी में गिरती थी।
वहीं पर धोलावीरा एक बहुत हेरिटेज साइट पुरातत्व विभाग व यूनेस्को के द्वारा घोषित है। यहां पर जो सभ्यता मिली वह 10000 दस हजार साल पुरानी है, यानी कि जो सरस्वती के तट पर जितने भी सभ्यताएं विराजमान हैं उनमें से प्राचीनतम सभ्यता धोलावीरा मानी जाती है। यह टीम धोलावीरा भी जाकर निरीक्षण करेगी और कुछ सैंपल वहां से भी राजस्व रिकॉर्ड के साथ लेकर आएगी।
इसके साथ पूरी टीम इसी रिसर्च को लेकर गुजरात के पाटन जिला सिद्धपुर जिला लोथल में भी सरस्वती के रिकॉर्ड का निरीक्षण करेंगी। वह वहां से जितनी भी जानकारियां सरस्वती के बारे में निकालेंगे उनको रिसर्च ऑफिसर डॉक्टर दीपा इन साइट से सैंपल भी लेकर आएंगे। ताकि उन सैंपलों का वादिया इंस्टीट्यूट देहरादून से टेस्टिंग करवा कर सरस्वती नदी के प्रवाह को रण के कछ तक लेकर जाने की योजना पर बोर्ड काम कर रहा है। धूमन सिंह किरमच ने कहा की सरस्वती नदी न केवल हमारी एक नदी है, बल्कि पौराणिक दृष्टि से भी हमारी सांस्कृतिक विचार धारा की पोषक है।
धुम्मन सिंह ने बताया आज तक देश में जितनी भी पुरातात्विक सभ्यताएं मिली हैं। वह उनमें से 70% से ज्यादा सरस्वती नदी के पालियो चैनल पर ही मिली हैं, चाहे वह आदि बद्री हो कुरुक्षेत्र की हो कुणाल हो बिरधाना हो राखीगढ़ी हो कालीबंगा हो पीलीबंगा हो लोथल हो और धोलावीरा यह सभी प्राचीन सभ्यताएं जो पनपी थी वह सरस्वती सिंधु नदियों के किनारे विकसित हुई थी। इसलिए इन सभ्यताओं का नाम सरस्वती सिंधु सभ्यता दिया गया है। सरस्वती बोर्ड लगातार रिसर्च की संभावनाओं पर भी काम कर रहा है। इसको लेकर बोर्डपहले ही हरियाणा में आदि बद्री से लेकर सिरसा के ओटू हेड तक सरस्वती नदी का बहाव कर चुका है। अब आगे की प्लानिंग पर सरस्वती बोर्ड कम कर रहा है। ताकि राजस्थान व गुजरात के क्षेत्र को भी सरस्वती नदी के जल से सरोबार किया जा सके। इस दल में उनके साथ रिसर्च ऑफिसर डॉक्टर दीपा बोर्ड के कंसल्टेंट जीएस गौतम बोर्ड के अधिकारी सुरजीत सिंह व सहायक होंगे।
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