पराली को लेकर कृषि विभाग के दावे पर उठ रहे सवाल, रतिया में गेहूं की फसल को सफाचट कर रही सुंडी

Edited By Manisha rana, Updated: 30 Nov, 2024 03:41 PM

questions are being raised claim agriculture department regarding stubble

फतेहाबाद के रतिया क्षेत्र में कुछ किसानों के खेतों में गेहूं की नई बीजी गई फसल को सुंडी चट कर गई है, जिससे किसानों में काफी रोष है।

फतेहाबाद (रमेश भट्ट) : फतेहाबाद के रतिया क्षेत्र में कुछ किसानों के खेतों में गेहूं की नई बीजी गई फसल को सुंडी चट कर गई है, जिससे किसानों में काफी रोष है। किसानों का कहना है कि सुंडी सिर्फ उन्हीं किसानों की फसल में लगी है, जिन्होंने प्रशासन के कहने पर धान की पराली को सुपरसीडर से जमीन में दबाकर गेहूं की बिजाई की थी। किसान अब प्रशासन से खेतों का मुआयना कर मुआवजा देने की मांग उठा रहे हैं।

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किसानों को फसल का हुआ नुकसान 

रतिया के लाली रोड के किसान बूटा सिंह ने बताया कि उसने करीब 13 एकड़ में गेहूं की फसल सुपरसीडर से बीजी है। इसमें 10 के करीब एकड़ ठेके पर ली गई जमीन है। उसने प्रशासन के कहने पर पराली नहीं जलाई बल्कि खेतों में ही दबा कर गेहूं बीज दी। अब गेहूं की जड़ों में सुंडी लग चुकी है। उन्होंने इस पर दवा भी छिड़क दी, लेकिन सुंडी सारी फसल चौपट कर चुकी है। अब दोबारा से उसे गेहूं की बिजाई करनी पड़ेगी। आसपास अन्य किसानों के खेतों में फसल सही है। उधर दूसरे किसान बलजीत सिंह ने बताया कि उसके खेतों में भी सुपर सीडर से बीजी गई सारी गेहूं की फसल को सुंडी लग चुकी है। वह भी अब दोबारा गेहूं बीजने की तैयारी में है और पहले की गई बिजाई पर उसका हजारों रुपये का खर्चा और समय व्यर्थ गया। 

खेतों का मुआयना कर की मुआवजा देने की मांग

वहीं मामले की सूचना मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता निर्भय सिंह अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे और खेतोंं का निरीक्षण किया। उन्होंने किसानों के साथ मिलकर गेहूं के पौधे उखाड़कर उसमें जीवित सुंडी भी दिखाई। उन्होंने बताया कि हर बूटे पर सुंडी लगी हुई है। प्रशासन की टीमें पहले यह तो देख रही थी कि कौन से किसान आग लगा रहे हैं, लेकिन वह टीमें अब यह नहीं देख पा रही कि किस किसान की फसल तबाह हो रही है। इस बारे में वे पराली जलाने की निगरानी करने वाले सुपरवाइजरों से मिले, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। डीसी व कृषि अधिकारियों के समक्ष भी मामला रखा है। डीडीए का कहना है कि यह सुंडी अपने आप पैदा होकर कुछ समय बाद अपने आप ही खत्म हो जाएगी। जबकि किसानों ने दवा का छिड़काव भी कर दिया, सुंडी अभी भी पौधे खा रही है। ऊपर से खाद व दवा का खर्चा अलग से हो गया। उन्होंने किसानों के खेतों का मुआयना कर मुआवजा देने की मांग की।

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