Edited By Deepak Kumar, Updated: 29 Jul, 2025 08:28 PM
शहर के सबसे पुराने सरकारी स्कूलों में शामिल डॉ. भीमराव अंबेडकर गवर्नमेंट हाई स्कूल आज बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि खतरे का घर बन गया है।
पलवल (गुरुदत्त गर्ग): शहर के सबसे पुराने सरकारी स्कूलों में शामिल डॉ. भीमराव अंबेडकर गवर्नमेंट हाई स्कूल, सल्लागढ़ आज जर्जर हालत, प्रशासनिक उदासीनता और उपेक्षा का प्रतीक बन चुका है। 1962 में स्थापित यह स्कूल आज बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि खतरे का घर बन गया है।
ढहती दीवारों के बीच शिक्षा
स्कूल में कुल 15 कमरे हैं, जिनमें से 10 कमरे जर्जर स्थिति में हैं और 5 कमरे पूरी तरह ‘कंडम’ घोषित किए जा चुके हैं। इन कमरों की छतें (लेंटर) गिरने की कगार पर हैं और किसी भी समय हादसा हो सकता है। शेष पांच कमरे स्कूल ग्राउंड से लगभग 4 फीट नीचे हैं, जहां बरसात में पानी भर जाता है और अन्य दिनों में दमघोंटू अंधेरा बना रहता है।
बरामदों में पढ़ाई, मासूम जिंदगियां खतरे में
कमरों की भारी कमी के चलते बच्चों को बरामदों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। यहां न बिजली की उचित व्यवस्था है और न ही पंखे उपलब्ध हैं। गर्मी, धूप और बरसात के बीच बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ रही है, जिससे उनकी सेहत और पढ़ाई दोनों पर असर पड़ रहा है।
बिगड़ता इंफ्रास्ट्रक्चर और बदहाल मैदान
स्कूल का मैदान ऊबड़-खाबड़ और असमान है कहीं कच्चा, कहीं टूटा-फूटा पक्का। स्कूल भवन की सामने की दीवार के पास से गंदा नाला गुजरता है, जिससे दीवार के गिरने का खतरा बना हुआ है। साथ ही, स्कूल के पास ही अवैध डंपिंग यार्ड बना दिया गया है, जिसकी बदबू से शिक्षक और छात्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
अधूरा सपना: रुका निर्माण कार्य
15 अप्रैल 2021 को तत्कालीन विधायक दीपक मंगला ने इस स्कूल के लिए लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से चार मंजिला भवन निर्माण का शिलान्यास किया था। प्रस्तावित भवन में 15 नए कमरे, आधुनिक टॉयलेट और एक बेहतर शिक्षण वातावरण शामिल था।
हालांकि, जमीन को लेकर मालिकाना हक का विवाद खड़ा हो गया और एक व्यक्ति द्वारा कोर्ट में मामला दायर कर दिया गया। नतीजतन, स्वीकृत राशि शिक्षा विभाग को सरकार को लौटानी पड़ी और निर्माण कार्य अधर में लटक गया।
सामाजिक उपेक्षा का प्रतीक
यह स्कूल दलित बहुल क्षेत्र सल्लागढ़ में स्थित है, जिसे हाल ही में नगर परिषद पलवल में शामिल किया गया है। लेकिन दुर्भाग्यवश, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े इस क्षेत्र के स्कूल की अनदेखी यह दर्शाती है कि बुनियादी शिक्षा तक भी सभी को समान रूप से अधिकार नहीं मिल पा रहा।
एक संपूर्ण समुदाय की उपेक्षा
यह सिर्फ एक स्कूल की समस्या नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के भविष्य की अनदेखी है। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
जनता की मांग है कि
- स्कूल भवन की तुरंत सुरक्षा ऑडिट करवाई जाए।
- विवादित जमीन से संबंधित कोर्ट केस को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।
- डंपिंग यार्ड को हटाकर स्कूल के चारों ओर स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
- बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण में शिक्षा प्रदान की जाए।