मनोहर पार्ट वन में केवल अनिल विज वा बनवारी लाल ही जीते, बाकी मंत्री हारे

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 31 Aug, 2024 02:04 PM

only anil vij and banwari lal won in manohar part one

मनोहर पार्ट वन में 2014 के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों में कैप्टन अभिमन्यु, प्रोफेसर रामबिलास शर्मा, ओम प्रकाश धनखड़, कृष्ण बेदी, बुरी तरह से चुनाव हार गए थे, जबकि विपुल गोयल और राम नरबीर सिंह को टिकट नहीं दी गई थी।

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): मनोहर पार्ट वन में 2014 के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों में कैप्टन अभिमन्यु, प्रोफेसर रामबिलास शर्मा, ओम प्रकाश धनखड़, कृष्ण बेदी, बुरी तरह से चुनाव हार गए थे, जबकि विपुल गोयल और राम नरबीर सिंह को टिकट नहीं दी गई थी। 2014 के चुनाव में मनोहर पार्ट वन में एकमात्र योद्धा अनिल विज ऐसे मंत्री थे, जो जीतकर मनोहर पार्ट टू में भी मंत्री बने थे। अनिल विज 2014 में निर्विवाद मंत्री के रूप में एक बार फिर से जीतकर दमदार मंत्री बने और इन्हें गृह विभाग भी दिया गया। हरियाणा की राजनीति में विधायकों के अंदर बीजेपी में अनिल विज सबसे सीनियर विधायक है, क्योंकि वह अब तक 6 बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। अनिल विज इस कड़ी में दो बार आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। अनिल विज भले ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते हो, लेकिन इनकी विचारधारा हमेशा से बीजेपी और आरएसएस की ही रही, जबकि बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। 

विज और बनवारी लाल को ही मिली थी जीत

2014 में मनोहर कैबिनेट का हिस्सा रहे मंत्रियों में रामबिलास शर्मा, कृष्णलाल पंवार, कर्णदेव कंबोज, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़, घनश्याम सराफ, कविता जैन, कृष्ण बेदी, बिक्रम ठेकेदार और मनीष ग्रोवर ऐसे मंत्री थे, जो 2019 के चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए। इसके विपरीत राव नरवीर सिंह और विपुल गोयल को बीजेपी की ओर से 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित रखा गया। केवल अनिल विज और बनवारी लाल ही दो ऐसे मंत्री थे, जो 2019 का विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे और दोबारा मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। 

कर्मचारियों को हमेशा दिलाया लाभ

गृह मंत्री के रूप में भी अनिल विज ने शहरी निकाय, तकनीकी शिक्षा एवं गृह विभाग में कई ऐसे कार्य किए, जिन्हें आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। कोरोना काल के बावजूद कार्यालय में लगातार इनकी उपस्थिति ने जहां अधिकारियों का मनोबल बढ़ाया। वहीं इनके दिशा-निर्देशों पर इनके स्वास्थ्य- पुलिस व शहरी निकाय विभाग ने तत्परता से काम किया, जिसे देखकर हर एक प्रदेशवासी इनका मुरीद बन गया। शहरी निकाय विभाग में दूसरे विभागों के भरे कर्मचारियों से विभागीय कार्य कुशलता को प्रभावित होते देख उनके मूल विभाग में वापिस भेजकर प्रमोशन किए जाने का फैसला भी इन्हीं की देन है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ऑनलाइन टेंडरिंग प्रणाली लागू की गई। तकनीकी शिक्षा विभाग में अतिथि अध्यापकों को उचित मानदेय तक नही मिलता था, विज के प्रयासों से उनके वेतन भत्ते बढ़ाए गए। इनके द्वारा पुरानी इमारतों को पुनः निर्माण की मंजूरी देना सूझबूझ के निर्णय साबित हुए। पुलिस विभाग में वरिष्ठता एवं प्रमोशंस की अनियमितताएं अनिल विज के प्रयासों से दूर हुई, जिनका निवारण पिछली सरकारें नहीं कर पाई थी। अच्छा कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों के सम्मान में 3 नए स्टेट लेवल मेडल लागू किए गए। गृह रक्षकों के वेतन भत्ते बढ़ाए गए। होमगार्ड का अपना ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए जगह एक्वायर करवाई गयी। सभी एसएचओ को एक केस के हिसाब से स्टेशनरी चार्ज निर्धारित किए गए। इनके प्रयासों से मधुबन स्थित फॉरेंसिक लैब में आधुनिकता के कारण विसरा जांच प्रक्रिया में तेजी व सुधार आया। यह ऐसे नीतिगत, समय अनुरूप, तर्कसंगत एवं अपेक्षित फैसले किए गए, जिन्होंने अनिल विज को इतनी ख्याति प्रदान की कि वह आज प्रदेश के नही अपितु राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की फेहरिस्त में शामिल हो चुके हैं। इसमें उनकी बेबाक भाषण शैली और जनता दरबारो को भी विशेष योगदान रहा, जिसके फलस्वरूप जब-जब भी प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन के बात चली तो स्वत अनिल विज का नाम सबसे ऊपर रहा। सचिवालय में सबसे अधिक उपस्थिति और सभी विभागों से जुड़ी समस्याओं को सुनना इनकी अतिरिक्त विशेषता रही है। यहां यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज उनका रुतबा मुख्यमंत्री से कम नहीं है।

लोकप्रियता के चरम पर रहा विज का जनता दरबार

अनिल विज की कार्यशैली को देखते हुए प्रदेश भर के लोग उनके निवास पर शनिवार और रविवार को सुबह-सुबह पहुंचने लग गए। धीरे-धीरे इस क्रम ने जनता दरबार का रूप ले लिया। हमेशा सप्ताह के अंत में 5 से 6 हजार तक की संख्या में लोग अपनी शिकायतों को लेकर विज के निवास पर पहुंचने लगे। विज का जनता के काम करने का अंदाज लोगों को भाने लगा। यह जनता दरबार लोकप्रियता की चरम सीमा पर पहुंच गया। विज के मंत्री के रूप में आक्रामक कार्य करने की शैली लोगों को काफी पसंद आई। अनिल विज जो कहते थे, वहीं करते थे। 

स्टार प्रचारक के रूप में निभा सकते हैं भूमिका !

अनिल विज जहां एक बार फिर से 2024 के इस चुनावी दंगल में सातवीं बार जीत हासिल करने के लिए ताल ठोकेंगे। वहीं, विज को अपने चुनाव क्षेत्र के साथ उनकी लोकप्रियता को देखते हुए प्रदेश भर में प्रचार की जिम्मेदारी भी मिल सकती है। भारतीय जनता पार्टी का हाई कमान इस बात को अच्छे से समझता है कि हरियाणा में विज की अनदेखी उन पर भारी पड़ सकती है। प्रदेश में हैट्रिक लगाकर तीसरी बार सत्ता में आने का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी उनके पूर्व के विभागों में पकड़ के साथ जनता में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में जिम्मेदारी दे सकती है। अनिल विज भी कई  बार कह चुके हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी के सच्चे सिपाही है। इसलिए पार्टी की ओर से उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, वह उसे बखूबी निभाएंगे। 

BJP नहीं चाहती कोई कमी छोड़ना

2024 के इस चुनावी रण की कमान संभाल चुके बीजेपी की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जहां चुनावी घोषणा से पहले ही अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। वहीं, शाह के साथ ही पार्टी नेतृत्व भी नहीं चाहता कि वह इस चुनाव में किसी भी प्रकार की कोई कमी छोड़े। यहीं कारण है कि वह पिछले 10 साल के शासन के कारण प्रदेश में बनी सत्ता विरोधी लहर की तोड़ के रूप में भारतीय जनता पार्टी अनिल विज के पूरे प्रदेश की सभी 90 विधानसभाओं में दौरे और रैलियां प्रस्तावित कर सकती है।

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