सरकार की 'प्राण वायु देवता योजना' को वन विभाग के अधिकारी ही लगा रहे पलिता, सूखे पेड़ों की आड़ में काट रहे हरे पेड़

Edited By Manisha rana, Updated: 01 Feb, 2024 10:28 AM

officials cutting green trees under the cover of dry trees

एक तरफ जहां सरकार प्राण वायु देवता योजना के तहत हरे पेड़ों को पेंशन दे रही है। तो वहीं वन विभाग के जिन अधिकारियों के कंधों पर पेड़ बचाने की जिम्मेदारी है।

कैथल (जयपाल) : एक तरफ जहां सरकार प्राण वायु देवता योजना के तहत हरे पेड़ों को पेंशन दे रही है। तो वहीं वन विभाग के जिन अधिकारियों के कंधों पर पेड़ बचाने की जिम्मेदारी है। उन्हीं अधिकारियों की नाक के नीचे वन विकास निगम कुरूक्षेत्र के कुछ कर्मचारी अपनी काली कमाई करने के लिए सूखे पेड़ काटने की आड़ में हरे भरे पेड़ों की जड़ों में आरी चला रहे हैं। 

जानकारी के मुताबिक यह मामला सीवन से फिरोजपुर रोड पर खड़े सफेदे के पेड़ों को काटने का है, जहां निगम के कर्मचरियों द्वारा सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काटा जा रहा है। यह कटाई पिछले कई दिनों से चल रही है। निगम के मजदूर इलेक्ट्रिक आरी से हरे भरे और स्वस्थ पेड़ों को भी धड़ाधड़ काट रहे हैं।

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लालच के कारण कर्मचारी सूखे पेड़ों के साथ काट रहे हरे पेड़
 

हालांकि वन विभाग कैथल की तरफ से अपनी सफाई में कहा जा रहा है कि प्रत्येक वर्ष जिले की विभिन्न सड़कों पर खड़े सूखे पेड़ों की निगम द्वारा कटवाई करवाई जाती है। जिनमें कुछ ऐसे पेड़ भी होते है जो सड़क पर झुके होने के कारण राहगीरों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, इसलिए इनको काटने के लिए विभाग से बकायदा अनुमति भी ली जाती है, वहीं फिरोजपुर के ग्रामीण दीप मोगा, बलदेव मोगा, गौरव कुमार, प्रवीन कुमार, जस्सा व रामनिवास आदि का कहना है कि इस बार विभाग द्वारा सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों की भी बलि दी जा रही है। काटे गए अधिकतर पेड़ हरे और स्वस्थ हैं, जिनमें कुछ पेड़ तो बहुत ज्यादा मोटे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि निगम के कर्मचारी लालच के कारण सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काट रहे हैं।


ऐसे होता है काली कमाई का पूरा खेल

हरे पेड़ों को इसलिए काटा जाता है क्योंकि सूखे पेड़ों की बजाय हरे पेड़ों में वजन ज्यादा होता है। वजन ज्यादा होने के कारण उनको बेचते समय दाम भी अधिक मिलते है। जहां सूखे पेड़ अधिक होते हैं। वहां ये कटाई नहीं करते, क्योंकि उन सूखे पेड़ों में वजन कम होता है। इसलिए जहां इनको फायदा होता है। वहीं पर ये सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काटते हैं। इसके बाद जब सड़कों पर सूखे पेड़ रह जाते हैं। तो ये विभाग को पत्र लिख देते है कि उनका इस साल सूखे पेड़ काटने का टारगेट पूरा हो गया है, जबकि सड़कों पर अब भी सूखे पेड़ खड़े रहते है। इसी तरह अगले साल फिर से यही काली कमाई का खेल खेला जाता है और सूखे पेड़ों के नाम पर हरे पेड़ों की बली दी जाती है।  

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सूखे पेड़ काटने की ये होती है प्रक्रिया

हर वर्ष पेड़ काटने का काम वन विकास निगम कुरूक्षेत्र के द्वारा किया जाता है। जिसमें वन विभाग की तरफ से जिले की तमाम सड़कों और अन्य सरकारी जगहों पर खड़े सूखे पेड़ों की मार्किंग करके उनकी एक लिस्ट तैयार की जाती है। जिसके बाद वह लिस्ट निगम को भेजी जाती और निगम उन सभी सूखे पेड़ों की कीमत वन विभाग को जमा करवा देता है। इसके बाद निगम के कर्मचारी सूखे पेड़ों को काटकर ले जाते है। जिनको बाद में बोली लगा कर अच्छे दामों में बेच दिया जाता है।

 
मामले की खुद करेंगे जांच, दोषी मिले तो निगम पर भी होगी कार्रवाई: रेंज अधिकारी


इस मामले को लेकर रेंज अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा कि वन विकास निगम कुरुक्षेत्र को विभाग की तरफ से केवल सूखे पेड़ काटने की ही अनुमति है। यदि फिर भी हरे पेड़ काटे जा रहे हैं तो वह स्वयं मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे। यदि सही में हरे पेड़ काटे गए हैं। तो निश्चित तौर जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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