Edited By Manisha rana, Updated: 24 Nov, 2024 11:23 AM
अपने किसी ना किसी फरमान को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले हरियाणा के ‘गब्बर’ ने अब एक और नया फरमान जारी किया है। इस फरमान के बाद अब हरियाणा में वाहनों के धड़ाधड़ चालान कटेंगे।
चंडीगढ़ (धरणी) : अपने किसी ना किसी फरमान को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले हरियाणा के ‘गब्बर’ ने अब एक और नया फरमान जारी किया है। इस फरमान के बाद अब हरियाणा में वाहनों के धड़ाधड़ चालान कटेंगे। हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज जनहित में लगातार सख्ती दिखा रहे हैं। अब उन्होंने एक और आदेश जारी किया है, जिसके तहत प्रदेश में जिन गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं होगी, उनका पॉल्युशन सर्टिकफिकेट नहीं बनाया जाएगा। इससे पहले परिवहन मंत्री अनिल विज बिना रिफ्लेक्टर लगी ई गाड़ियों को सड़क पर ना चलाने की हिदायत जारी की थी।
विज ने कहा, ‘‘मैंने आदेश दिए हैं कि सभी गाड़ियों के पीछे रिफ्लेक्टर जरूर लगाएं और बिना रिफ्लेक्टर की किसी भी गाडी को सड़कों पर चलने न दिया जाए, ‘‘जिन गाडियों पर रिफलेक्टर नहीं होता, वो ही गाड़ियां दुर्घटना का शिकार/कारण बनती है’’। बता दें कि हरियाणा में 80 लाख के करीब वाहन पंजीकृत है। ऐसे में 80 लाख वाहन चालकों से जुड़ी खबर है। हरियाणा में प्रदूषण सर्टिफ़िकेट ना होने पर 10,000 रुपये का चालान पुलिस काटती है। उधर, हरियाणा में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खराब हो गया है और कई साल पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं और पुलिस ने बीते एक सप्ताह से चालान काटने का अभियान छेड़ा है।. एनसीआर में ग्रैप-4 लागू होने के बाद पुलिस सख्ती दिखा रही है। अब वाहन चालकों के लिए नए आदेश मुश्किल बढ़ा सकते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष की सूझबुझ से निपटा सत्ता और विपक्ष का विवाद
हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के समय सत्र के पहले दिन प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए गए कांग्रेस के विधायक रघुबीर कादियान के पद को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हो गए थे। पूर्व के बड़े साहब रहे भूपेंद्र हुड्डा और मौजूदा बड़े साहब में इस पद को लेकर गर्मागर्मी भी हुई थी। दअरसल, सत्ता पक्ष की ओर से कादियान को एक्टिंग स्पीकर कहकर संबोधित किया गया था। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से आपत्ति जताई गई थी। हुड्डा की आपत्ति पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उनके कार्यकाल की याद दिलाते हुए उस समय भी एक्टिंग स्पीकर नियुक्त करने की बात कही थी, जबकि हुड्डा की ओर से कादियान के पूरे दिन के लिए फुल फ्लैग स्पीकर बताया गया था। इसके बाद नियमित रूप से विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हरविंद्र कल्याण ने इस मामले का हल निकालने की सोची, क्योंकि कल्याण नहीं चाहते थे कि भविष्य में भी इस पद के संबोधन को लेकर किसी प्रकार की कोई शंका या फिर बहस हो। इसके लिए उन्होंने अपनी सुझबूझ का परिचय देते हुए सत्र के अंतिम दिन इस पर रुलिंग जारी की।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जारी की गई रुलिंग के अनुसार अब हरियाणा विधानसभा में एक्टिंग स्पीकर के स्थान पर प्रोटेम स्पीकर शब्द का प्रयोग किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान के प्रविधान का हवाला देकर रूलिंग दी। इस रूलिंग के अनुसार अब हरियाणा विधानसभा में ‘एक्टिंग स्पीकर’ के स्थान पर ‘प्रोटेम स्पीकर’ शब्द का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए हरियाणा सरकार के सचिव को आदेश दिए जाएंगे कि भविष्य में राज्यपाल के साथ पत्राचार में ‘एक्टिंग स्पीकर’ के स्थान पर ‘प्रोटेम स्पीकर’ शब्द का प्रयोग किया जाए। विधानसभा का अध्यक्ष चुने जाने पर जिस प्रकार से विपक्ष और सत्ता पक्ष के लोगों ने हरविंद्र कल्याण के बारे में अपने अनुभव साझा किए थे, बिल्कुल उसी के अनुकूल कल्याण ने इस पेचीदा मामले का भी बहुत ही सरलता से हल निकालकर अपनी राजनीतिक परिपक्वता और दूरदर्शी सोच का परिचय दिया गया है। बता दें कि नई विधानसभा के गठन होने के बाद विधानसभा अध्यभ के चुनाव से पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होती है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में सबसे सीनियर सदस्य को प्राथमिकता दी जाती है। यह सदस्य सत्तारूढ़ पार्टी से भी हो सकता है और विपक्ष से भी।
महाराष्ट्र चुनाव में भी हरियाणा वाले नतीजे
हरियाणा में मिली हार से कांग्रेस अभी पूरी तरह उभरी भी नहीं थी कि ठीक वैसा ही बड़ा झटका पार्टी को महाराष्ट्र में लगा है। यहां पर कांग्रेस ये उम्मीद कर रही थी कि महाविकास अघाड़ी कुछ कमाल दिखाएगा और उस भरोसे पार्टी अपने आपको मजबूत करेगी, लेकिन उसके इस भरोसे और उम्मीदों पर ऐसा पानी फिरा कि पार्टी को समझ नहीं आ रहा, ऐसा कैसे हो गया ? दरअसल, हरियाणा में जब इससे पहले विधानसभा का चुनाव हुआ, उस वक्त जीत को लेकर पूरी तरह से आत्मविश्वास से लबाबल कांग्रेस के नेता यह सोच रहे थे कि सत्ता किसके हाथ में जाएगी, उसके बाद जो हुआ वो सब लोगों के सामने था। वहीं, इसके उल्ट भाजपा के नेता चुपचाप अपनी रणनीति के तहत चुनावी प्रचार में जुटे रहे। बिल्कुल यही महाराष्ट्र के चुनावी परिणामों में देखने को मिला है। खुद बीजेपी के सीनियर नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने ये माना कि उन्हें उम्मीद से ज्यादा सीटें मिली है। एक फैक्टर देखने को ये मिला कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन रहा, उसकी वजह से उसकी बारगेनिंग पावर सहयोगी दलों में कम हुई थी। लेकिन, उससे भी ज्यादा मार उसे अपने ही बागियों से पड़ी। हरियाणा में भी उसके खिलाफ अपने ही पार्टी के उतरे बागी नेताओं ने कई पार्टी उम्मीदवारों को हराने का काम किया था। महाराष्ट्र में भी कुछ यही हाल देखने को मिला, जहां पर कई ऐसी सीटें थी, जो कांग्रेस के हाथ आ सकती थी, वहां पर कांग्रेस पार्टी के बागी नेताओं ने खेल बिगाड़ने का काम किया। यानी, एक तो हरियाणा में हार के चलते सहयोगी दलों के बीच कांग्रेस की बारगेनिंग पावर और कम हुई, उसके बावजूद जिस तरह के नतीजे आए उसने फिर हरियाणा जैसा झटका दिया है।
…जब कांग्रेस के विधायक ने की बीजेपी के सीएम की तारीफ
राजनीति में नेता भले ही अंदरखाने आपस में मिले हुए हो, लेकिन जनता के सामने वह ऐसे नजर आते हैं, मानों दूसरे दल के नेता उन्हें बिल्कुल भी नहीं सुहाते। जनता से जुड़ा कोई मुद्दा हो या फिर अन्य कोई सार्वजनिक मंच हर नेता अपने विपक्षी दल को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ता। ऐसे में जब कोई विपक्षी दल का नेता हजारों लोगों की मौजूदगी में सत्तारुढ़ दल के बड़े साहब (मुख्यमंत्री) की खुले मंच से प्रशंसा करें तो उसका कारण जानने के लिए हर कोई उत्सुक हो जाता है। ऐसा ही कुछ बीते दिनों हरियाणा की राजनीतिक ‘चौपाल’ में भी दिखाई दिया। दअरसल, हरियाणा के बड़े साहब नायब सैनी राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले सिरसा में बनने वाले मेडिकल कॉलेज का भूमि पूजन करने पहुंचे थे। उस दौरान कार्यक्रम स्थल पर मौजूद कांग्रेस के विधायक गोकुल सेतिया ने मंच के जरिए खुले तौर पर ना केवल मुख्यमंत्री नायब सैनी की तारीफ की, बल्कि उन्होंने भगवान की कसम खाकर यहां तक कह दिया कि उन्होंने ऐसी शख्सियत (मुख्यमंत्री नायब सैनी जैसी) पहले कभी नहीं देखी। हमेशा कांग्रेस के निशाने पर रहने वाली बीजेपी और प्रदेश सरकार के मुखिया के बारे में जब कांग्रेस का कोई माननीय इस प्रकार से खुले तौर पर प्रशंसा करे तो भला फुल वाले दल के लोग कैसे पीछे रह सकते थे।
बीजेपी की ओर से तुरंत कांग्रेस विधायक की ओर से मुख्यमंत्री की प्रशंसा में दिए गए भाषण का वीडियो अपने सोशल मीडिया मैंडल पर "कांग्रेस विधायक भी मुख्यमंत्री नायब जी के फैन" कैप्शन से अपलोड कर दिया। वीडियो में कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया कह रहे हैं "सीएम साहब को पता लगा कि मैं एयर फोर्स के बाहर खड़ा हूं। मैं दाद देता हूं ऐसी शख्सियत की जिन्होंने तीन मिनट मेरा इंतजार किया। जब वो एयरफोर्स से बाहर आए, तो स्पेशल गाड़ी रोक कर मेरा मान सम्मान किया। मैं परमात्मा की कसम खाकर कहता हूं, ऐसी शख्सियत मैंने नहीं देखी। जितना इन्होंने मेरा मान सम्मान किया।" कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने कहा "सीएम नायब सैनी ने इनती बड़ी सौगात सिरसा को दी है। नई सरकार बनने के बाद जब मैंने आपके सामने मेडिकल कॉलेज की मांग रखी, तो सीएम ने कहा कि बेटा चिंता मत कर, सारा काम होगा। एक समान सबका विकास होगा। किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा। यही हमें चाहिए था। मैं ये समझता हूं कि बहुत बढ़िया मुख्यमंत्री हमें मिले हैं। मैंने तो विधानसभा में भी यही बात कही थी कि अगर कोई अच्छा काम करेगा, गोकुल सेतिया उनमें से है जो कभी ये नहीं कि पार्टी बाजी देखते हुए विपक्ष में रहने के नाते सिर्फ विरोध ही करेगा। मैं उनमें से हूं जो अच्छे काम की तारीफ भी करूंगा। बता दें कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री कई मौकों पर अचानक आमजन के बीच पहुंच जाते हैं और उनके साथ खुलमिल जाते हैं, जिससे आमजन भी उन्हें अपने ही परिवार का हिस्सा मानते हैं।
फुल वाले अध्यक्ष की पंजे वाले अध्यक्ष को सलाह
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणाण घोषित होने के बाद भले ही नई विधानसभा का गठन हो चुका है, लेकिन अभी भी कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी जारी है। एक ओर जहां कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रही है। वहीं, बीजेपी नेताओं की ओर से उन्हें इसे लेकर नसीहत देने का भी काम किया जा रहा है। ऐसे ही एक सवाल के जवाब में हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली की ओर से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भी एक सलाह दी गई है। कांग्रेस की ओर से लगातार ईवीएम हैक करने को लेकर लगाए जा रहे आरोपों के एक सवाल के जवाब में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को सलाह देते हुए किसी अच्छे डॉक्टर से अपने दिमाग का इलाज करवाने की बात कही गई। लगे हुए बड़ोली ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और उदयभान समेत अन्य नेतां को आपस में बैठकर हार के बारे में विचार मंथन करने और गलती करने वाले नेता को सजा देने की भी सला दे डाली। बड़ोली ने कहा कि जब परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आते हैं, तब उनकी भाषा चेंज हो जाती है, जब उनके विरोध में निर्णय आता है तो ईवीएम खराब हो जाती है। यह कांग्रेस की एक परंपरा बन गई है। बड़ोली ने कहा कि कांग्रेसर लोकतंत्र का सम्मान ना करके झूठ की राजनीति करने में लगी है।
एक और चुनाव की तैयारी में फुल वाला दल
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक कांग्रेस हार के गम से बाहर नहीं निकल पाई है। वहीं, इसके उल्ट जीत का जश्न मनाने के अलावा सत्ता की नई पारी की शुरूआत कर हरियाणा की राजनीति में इतिहास बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में एक और चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। इन चुनावों की तैयारियों को लेकर प्रदेश के बड़े साहब यानि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ खास मंत्रणा की और उन्हें जरुरी दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने चुनाव की मंजूरी देने से पहले सभी को अपने-अपने इलाकों में सक्रिय होने और जमीनी स्तर पर कार्य करने की हिदायत दी। राजनीतिक ‘चौपाल’ में इसे हरियाणा में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि प्रदेश में कईं निकायों का कार्यकाल विधानसभा चुनाव से पहले ही खत्म हो चुका है। ऐसे में विपक्ष की ओर से भी इसे लेकर कई बार सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। अब सरकार की ओर से किसी भी समय चुनाव की घोषणा होने संबंधी बयान देकर यह साफ कर दिया है कि आगामी दिनों में किसी भी समय प्रदेश में निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसे लेकर पार्टी की ओर से मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया गया है।
बिना सेनापति के लड़ रही कांग्रेस की सेना
हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में 20 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रदेश को नेता प्रतिपक्ष के लिए एक महीने से भी अधिक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले एक महीने से नेता प्रतिपक्ष के चुनाव की कवायद में उलझी कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जिन नेताओं को लेकर पहले से चर्चा चल रही है, उनमें से अभी तक कोई नाम सिरे नहीं चढ़ा है। अलबत्ता विधानसभा में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और सात बार के विधायक रघुबीर कादियान का भी नाम इस सूची में शामिल होता नजर आ रहा है। राजनीतिक ‘चौपाल’ में चर्चा है कि नेता विपपक्ष के चुनाव में हो रही देरी के पीछे लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस को मिली हार एक बड़ी वजह है।
बता दें कि हरियाणा में आठ अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी हुए थे। 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्टूबर को चार पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी रेस में बताया जा रहा है, मगर उनकी दावेदारी सबसे कम बताई जा रही है। इसका कारण है कि भूपेंद्र हुड्डा 2019 से 2024 तक नेता प्रतिपक्ष बन चुके। विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व सीएम हुड्डा ने दावा किया था कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष का ऐलान किया जाएगा। अब दोनों राज्यों में चुनावों के परिणाम भी घोषित हो चुके हैं। ऐसे में सबकी नजरें इसी बात पर टिकी है कि आखिर कांग्रेस हाई कमान की ओर से कब तक हरियाणा में अपने विधायक दल के नेता के नाम की घोषणा की जाती है। चौपाल में चर्चा है कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी में चल रही गुटबाजी के चलते किसी सीनियर और अनुभवी नेता पर दांव खेल सकती है।
कुर्सी नहीं मिलने पर फुल वाले दल के नेता
राजनीति में एक कहावत मशहूर है कि कुर्सी का मोह कोई भी नेता नहीं छोड़ सकता। इसी का एक जीता जागता उदाहरण हरियाणा के कैथल में नजर आया। दअरसल, कैथल में जिला परिषद की बैठक बुलाई गई थी। बैठक के लिए कई विधायकों और सांसदों को भी न्योता भेजा गया था। ऐसे में साथ लगते हलके से फुल वाले दल के एक विधायक न्योता मिलने के बाद बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे तो वहां उन्हें अपने नाम की कोई नेम प्लेट दिखाई नहीं दी। इसके उल्ट वहां पर जिला परिषद के चेयरमैन और पार्षदों के नाम की नेम प्लेट लगी हुई थी। यह देखकर फुल वाले दल के माननीय भड़क गए। उन्होंने मीटिंग के आयोजकों से यह तक कह डाला कि यदि सीट नहीं देनी थी तो फिर बुलाया क्यों ? माननीय के भड़कने के बाद मीटिंग का माहौल गर्मा गया। इसके बाद वहां हलचल तेज हो गई। फुल वाले दल के माननीय यह सब कुछ वहां खड़े होकर देखते रहे। करीब 20 मिनट बाद माननीय के नाम की नेम प्लेट लगाकर उन्हें बैठने के लिए कुर्सी दी गई। इसी को कहते हैं किस्सा कुर्सी का...! वैसे यहां पर सवाल यह भी उठता है कि जब मीटिंग के लिए माननीयों के न्योता दिया गया था तो फिर उनके नाम की नेम प्लेट और कुर्सी क्यों नहीं लगाई गई। यदि वहां पर जगह का अभाव था तो मीटिंग किसी अन्य स्थान पर भी रखी जा सकती थी। खैर यह तो शुक्र मनाए कि केवल एक ही माननीय वहां पहुंचे थे यदि बड़ी संसद वाले माननीय भी वहां पहुंच जाते फिर क्या नजारा होता, यह बताने की जरूरत नहीं है।
प्रधान के बाद निशाने पर प्रभारी
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शुरू हुई रार नई सरकार के गठन के बाद भी जारी है। कांग्रेस के अनेक नेताओं की ओर से जहां चुनाव में मिली हार के पीछे नेताओं की आपसी गुटबाजी को जिम्मेदार ठहराया जा चुका है। वहीं, कई नेताओं की ओर से अपनी पार्टी की वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भी मोर्चा खोला गया है। इसी कड़ी में हरियाणा में पूर्व मंत्री रह चुके कैप्टन अजय यादव ने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बाद अब अपनी ही पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरियां को भी निशाने पर लिया है। कैप्टन ने दीपक बाबरिया की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार भी ठहरा दिया। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने प्रभारी दीपक बाबरिया की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर उनके पास में यह जानकारी थी कि विधानसभा का चुनाव 2024 कांग्रेस हार रही है, तो इस बारे में हाईकमान को समय से अवगत क्यों नहीं कराया ? बाबरिया पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि बाबरिया अब इतने वक्त के बाद इस तरह की बात कर रहे हैं, जो कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। बता दें कि कैप्टन ने यह सब कुछ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की ओर से दीपक बाबरिया को मिले मैसेज के बारे में जानकारी देने के बाद कहा गया।
अब रेलवे की समस्याएं दूर करवाने में जुटे ‘गब्बर’
सत्ता में आने पर हमेशा अपने इलाके और प्रदेश भर के लोगों के हित में काम करने के लिए पहचाने जाने वाले हरियाणा की राजनीति में गब्बर कहलाने वाले अनिल विज इस बार नई सरकार का गठन होने के बाद से ही लगातार एक्शन में हैं। विज ने अपने इलाके के विकास पर ध्यान देते हुए पाया कि उनके विधानसभा क्षेत्र में शामिल रेलवे कर्मचारियों के रहने वाले इलाके को विकास की जरूरत है। मामला रेलवे से जुड़ा होने के कारण विज ने इस बारे में अपनी ओर से पहल की और वह सीधे अंबाला के डीआरएम से मिलने पहुंच गए। विज ने अम्बाला रेल मंडल के डीआरएम मनदीप सिंह भाटिया ने मुलाकात कर अम्बाला छावनी रेलवे स्टेशन और रेलवे कालोनी के विभिन्न कार्यों को लेकर चर्चा करते हुए उन्हें जल्द पूरा करने को कहा ताकि आम जनता को इसका जल्द से जल्द लाभ मिल सके।
विज ने छावनी स्टेशन को मार्डन रेलवे स्टेशन बनाने और इसके लिए रेलवे की ओर से जल्द कार्य करने को भी कहा, जिससे यात्रियों की सुविधाओं में इजाफा हो सके। कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने डीआरएम को रेलवे कालोनी में सड़कों की मरम्मत कार्य जल्द प्रारंभ करने को कहा। उन्होंने कहा कई सड़कों व गलियों की हालत ठीक नहीं है जहां मरम्मत की जरुरत है। इसके अलावा, नालियों व गलियों में सफाई कार्य को और बेहतर करने तथा कालोनी में पानी निकासी को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कालोनी में जहां-जहां स्ट्रीट लाइट सही नहीं है उसे भी दुरुस्त किया जाए ताकि रात्रि में लोगों को आने-जाने में परेशानी न झेलनी पड़े। बता दें कि रेलवे की कॉलोनी अनिल विज के विधानसभा क्षेत्र अंबाला छावनी के तहत आती है, लेकिन केंद्र का महकमा होने के कारण विज वहां पर अपनी ओर से कुछ नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने इस बारे में डीआरएम से मुलाकात की है।
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