जादूगर सम्राट ने खास बातचीत में बताया दिल का दर्द, बोले- 1964 से मैजिक को नहीं मिला पद्म अवार्ड

Edited By Manisha rana, Updated: 06 Feb, 2024 09:29 PM

magician emperor told about his heartache in a special conversation

विश्व की जानी-मानी हस्ती महान जादूगर शंकर सम्राट जो 28000 शो अपने जीवनकाल में कर चुके हैं। समय-समय पर देश पर आई आपदा के दौरान देश की आर्थिक मदद के लिए सम्राट आगे आते रहे हैं।

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): विश्व की जानी-मानी हस्ती महान जादूगर शंकर सम्राट जो 28000 शो अपने जीवनकाल में कर चुके हैं। समय-समय पर देश पर आई आपदा के दौरान देश की आर्थिक मदद के लिए सम्राट आगे आते रहे हैं। कार्यक्रमों में समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ और समाज में जागरूकता लाने के लिए यह बड़ा काम करते रहे हैं। मंगलवार को महान जादूगर शंकर सम्राट चंडीगढ़ पहुंचे और पंजाब केसरी से उन्होंने विशेष बातचीत के दौरान कई जादू की कलाएं दिखाई। अंगूठी रगड़कर बादाम निकाला, कागज मोड़कर उसे असली के 500 रुपए के नोट में बदल डाला और उस 500 के नोट को रगड़कर 100-100 के नोटों की एक लड़ी बना दी। हालांकि यह केवल एक कला थी। जिसे वहां कोई पकड़ नहीं सका। हरियाणा सरकार के मीडिया कोऑर्डिनेटर सुदेश कटारिया के कार्यालय में जादूगर शंकर सम्राट मौजूद थे। उन्होंने अपनी अंगूठी रगड़कर सुदेश कटारिया को भगवान का एक लॉकेट गिफ्ट के रूप में भी दिया। वहां बैठी एक महिला की अंगूठी उतरवाकर उन्होंने रगड़ी तो उसमें से कुछ भभूत निकल पड़ी। इस प्रकार के करतब उन्होंने कार्यालय में दिखाएं और वास्तव में जादू क्या है इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बातचीत के दौरान बेहद दुख जताया कि आज सरकार की अनदेखी के कारण बहुत कम संख्या जादूगरों की रह गई है और इस कला के उत्थान को लेकर उन्होंने सरकार से कुछ मांग की। हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है :-

प्रशन:- 17-18 साल के बाद आपसे मुलाकात हुई, लेकिन आज भी बिल्कुल पहले जैसे ही आप नजर आ रहे हैं इसका राज बताएं ?

उत्तर:- आपने पहले भी बहुत स्नेह - प्यार दिया था, मैं जादूगर शंकर सम्राट देश-विदेश में जादूई प्रोग्राम करता हूं। लगभग 28000 मेरे द्वारा किए गए शो में से 23000 मैंने चैरिटी के लिए किए हैं। गूंगे बच्चों के स्कूल की मदद के लिए, देश पर आई आपदा जैसे फ्लड के लिए, रेड क्रॉस के लिए या मुख्यमंत्री- प्रधानमंत्री रिलीफ फंड के लिए मैंने शो किए हैं। मैं अब तक लगभग 2 करोड़ रुपए सरकार को डोनेट कर चुका हूं। मेरा मुख्य मकसद जादू कला को जिंदा रखना है। सिरसा के ऐलनाबाद क्षेत्र में मेरा जन्म हुआ और फिर गंगानगर जिले में परिवार सेटल हो गया और फिलहाल में दिल्ली में रह रहा हूं। बड़ा दुख है कि आज 140 करोड़ की आबादी में 140 बड़े लेवल के जादूगर नहीं है। अगर सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया तो यह कला लुप्त हो जाएगी।

 

प्रशन:- इतनी कम संख्या जादूगरों की होने का मुख्य कारण क्या मानते हैं ?

उत्तर:- आज बच्चे मोबाइल के आगे से उठते ही नहीं। लेकिन हमारा हर शो पारिवारिक शो होता है। जादू ही एकमात्र ऐसा शो है जिसके एक-एक महीना तक टिकट शो लगते हैं और भारी भीड़ वहां जमा होती है। बड़े से बड़े सिंगर- डांसर इत्यादि के एक आध या दो प्रोग्राम ही होते हैं जो पूरा परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते। हम अपने कला के माध्यम से अंधविश्वास को दूर करते हैं हालांकि हम धार्मिक कपड़े पहनकर कुछ भी दिखाकर लोगों को भ्रमित करके पैसा कमा सकते हैं। बहुत से तथा कथित लोग दो-चार चीज सीख कर लोगों को गुमराह करते हैं। लेकिन हम भ्रम निकालते हैं। हम नशे से छुटकारा- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ- पर्यावरण को बचाने संबंधी और पानी की किल्लत इत्यादि पर भी बहुत से शो करते हैं जो समाज को काफी हद तक जागरूक करते हैं।

 

प्रशन:- यह कला आपने कहां से सीखी ?

उत्तर:- मैं अग्रवाल परिवार से हूं। बनिया व जादूगर का कभी कोई मेल नहीं होता। मेरी टांग खींचने वाले बहुत थे। 5 साल जादू सीखने के लिए भला मुझे कौन जाने देता। मैंने पढ़ाई के साथ जादू सिखा। जादूगर वी एन सरकार वर्ल्ड फेमस मैजिशियन जी से मैंने यह कला सीखी और 1974 से मुझे यह करते हुए आज पूरे 50 साल हो चुके हैं। कुछ दिन पहले यमुनानगर में मैं जनता में से ही एक लड़की को बुलाकर अपने प्रोग्राम में हवा में उड़ाया, शो के बाद मुझे उस लड़की की मम्मी मिली उसने बताया कि 28 साल पहले मैं भी हवा में उड़ी थी, आज मेरी बेटी को आपने उठाया है।

 

प्रशन:- पहले जैसे ही आज भी दिखते हैं, इतना स्टैमिना कैसे मेंटेन करते हैं ?

उत्तर:- यह जादू का कमाल नहीं मेरे खान-पान और योग का कमाल है। मैं योग को बहुत महत्व देता हूं। मैंने गंगानगर में स्वामी देवी दयाल जी से योग की दीक्षा ली। उनके शरीर छोड़ने के बाद उनका बेटा एम लाल जी महाराज ने भी मुझे योग सिखाया है। रोजाना योग - मेडिटेशन करने से मेरा मन एकाग्र रहता है।

 

प्रशन:- सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आप लगातार काम कर रहे हैं, समाज को खासतौर पर नशे के बारे में क्या संदेश देना चाहेंगे ?

उत्तर:- देखिए नशे से केवल नुकसान ही नुकसान है। लाभ कुछ भी नहीं है। इससे मानसिक शक्ति खत्म होती है। आयु घटती है। बीवी बच्चे परिवार परेशान रहता है और इसका अंत बहुत जल्द मृत्यु है।

 

प्रशन:- जादू क्या है इसके बारे में समझाएं ?

उत्तर:- जो आपकी समझ में नहीं आया वह जादू है। हिप्नोटिज्म इंग्लिश का शब्द है। सम्मोहन हिंदी का और नजरबंदी एक वैसा ही शब्द है। हाथ की सफाई एक आर्ट है। हमने कला के रूप में इसे माना है। अभी जो मैंने आपको कागज से नोट बनाते हुए दिखाया, यह  जादू है। लेकिन बहुत से लोग इससे गुमराह करके सोना या नोट दो गुना करने की बात कह कर लोगों का पागल बना देते हैं। असली नोट लेकर भाग जाते हैं और नकली दे जाते हैं। यह सिर्फ धोखा है। आज मुझे अगर मुख्यमंत्री वित्त मंत्री बना दें तो इससे गरीबी दूर नहीं हो जाएगी। अगर ऐसे नोट बनते हो तो गरीबी दूर हो सकती है। यह एक सिर्फ आर्ट है।

 

प्रशन:- अपना कोई मुख्य जादू बताएं ?

उत्तर:- यह एक आर्ट है जो हम रोज करते हैं। वैसे मैंने लालू प्रसाद यादव को जब वह रेल मंत्री थे उन्हें हथकड़ी लगा दी थी।

 

प्रशन:- जादू कला है या भ्रम ?

उत्तर:- यह एक साधना है, साधना प्रैक्टिस को कहते हैं। इसके कई ट्रिक होते हैं। अगर हमें सरकार भवन बनाने के लिए दिल्ली के आसपास या जहां टूरिस्ट आते हो वहां 5 एकड़ भूमि दे दे तो हम इस आर्ट को जिंदा रखना चाहते हैं। जिसके लिए ऑडिटोरियम बनाना चाहते हैं। जहां जादू के खेल चलते रहे, चाहे जादूगर कोई भी हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और सरकार 1 साल के डिप्लोमा का प्रबंध करें ताकि उन्हें रोजगार भी मिल सके। हमारा सांस्कृतिक विभाग की तरफ से उन्हें भेजा जाए वाटर ऑफ इंडिया -पानी की किल्लत पर हमने एक आइटम तैयार की हुई है। पर्यावरण को लेकर तैयार की हुई है। यह एक जागरूकता है। हम अपने जादू के माध्यम से लोगों को समझाते हैं कि एक पेड़ अवश्य लगाएं, कन्या भ्रूण हत्या एक महापाप है। यह हमारा फर्ज भी है। सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए जो लाखों रुपए खर्च करती है हम उसे फ्री ऑफ कॉस्ट करते हैं।

 

प्रशन:- दशकों से आप यह काम कर रहे हैं, क्या आपने बच्चों को ट्रेंन करने के लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र नहीं बनाया ?

उत्तर:- थोड़े दिन पहले अंबाला में मेरे शो था। माननीय गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बतौर मुख्य अतिथि ने मेरा वह प्रोग्राम देखा और उन्होंने एक बेहतरीन कला माना। मुझे अपने घर पर भी बुलाया और घर पर भी मैंने उन्हें जादू दिखाएं। वह बोले कि इतने पास से दिखाने के बावजूद हम आपकी कला को नहीं पकड़ पा रहे। यह एक उच्च कोटि का आर्ट है। मेरे प्रोग्राम में वह चीफ गेस्ट थे और मंच पर भी उन्होंने बोला कि मुख्यमंत्री महोदय से बात करके इस कला को जिंदा रखने के लिए मैं आपकी मांग को लेकर पूरा प्रयास करूंगा और वह प्रयास कर भी रहे हैं।

 

प्रशन:- सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ इतना काम करने के बावजूद क्या कोई राष्ट्रीय स्तर का सम्मान आपको नहीं दिया गया ?

उत्तर:- आर्ट एंड सोशल वर्क पर पद्म अवार्ड मिलता है और सरकार का यह फर्ज बनता है कि इस आर्ट को सम्मान दें। 1964 के बाद आज तक किसी भी जादू की कला को पद्म अवार्ड नहीं दिया गया। यह जरूरी नहीं है कि यह मुझे दें और भी बहुत से अच्छे जादूगर होंगे, किसी को भी दे। लेकिन यह सम्मान मिलना चाहिए। यह सम्मान जादूगर का नहीं बल्कि उसकी कला को होगा।

 

प्रशन:- आपके कार्यक्रमों में कांग्रेस के बड़े चेहरे भी आते रहे हैं, क्या उन्होंने भी ऐसा कभी नहीं सोचा ?

उत्तर:- आर्ट एक कला भी है और सोशल वर्क भी। हम कला के जरिए सोशल वर्क करते हैं। प्राइवेट अकैडमी मैंने दिल्ली में स्कूल ऑफ मैजिक के नाम से बना रखी है। जहां हम सीखाते हैं। लेकिन सरकार की कोशिशें से इसमें चार चांद लगा सकते हैं। लुप्त हो रही कला जीवित हो सकती है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि इसे गंभीरता से लें।

 

प्रशन:- केवल जादूगर के शो ही आज एक ऐसा माध्यम है जहां भीड़ इकट्ठा होती है ?

उत्तर:- करनाल -पानीपत -सोनीपत में मैंने एक-एक महीने के टिकट शो किए और लोगों को टिकट तक नहीं मिल पाए। क्योंकि यहां छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक का एंटरटेन होता है। बहुत सी फिल्में बच्चों के साथ नहीं देखी जा सकती। 10 -12 साल में हजारों चैनल आए और आज बच्चे मोबाइल के आगे से उठते ही नहीं। हमने एक बुक भी बनाई। जिसमें 15 जादूस के ट्रिक दी गई है। इससे बच्चे 15 मिनट भी अगर सीखने की कोशिश करेंगे तो उनकी याददाश्त भी बढ़ेगी और वह मोबाइल से दूर रहेंगे। आज मोबाइलों के कारण छोटे बच्चों में सहनशीलता तक नहीं रही। अगर बच्चा योग करें तो उसकी पावर स्ट्रांग होगी।

 

प्रशन:- लंदन में आपने कार्यक्रम के दौरान सभी घड़ियों की सुइयां रोक दी थी, वह बताएं ?

उत्तर:- शाम को 6 से 8 बजे तक का शो था और हम एक घंटा लेट 7 बजे वहां पहुंचे। लोगों में नाराजगी देखते हुए मैंने कहा कि अपनी घड़ियां देखें हम समय से 5 मिनट पहले पहुंचे हैं और सभी की घड़ियों मे 5:55 बजे हुए थे। लोग देख कर बहुत हैरान भी हुए और खुश भी।

 

प्रशन:- युवा वर्ग को आप इस कला के लिए क्या मैसेज देना चाहेंगे ?

उत्तर:- कोई भी कार्य सच्ची लगन- मेहनत और ईमानदारी से किया जाए तो सफलता अवश्य पाएंगे। मैं बनिया परिवार से था। इस फील्ड में जाने पर मेरी टांग खींचने वाले बहुत अधिक थे। कुछ लोग कारोबार में मुझे घुसना चाहते थे, कुछ नौकरी की तरफ धकेलना चाहते थे, लेकिन मैं जादू से प्रभावित था। क्योंकि यह एक शुद्ध आर्ट है। अगर मैं टांग खींचने वालों की तरफ ध्यान देता तो मैं इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाता।

 

प्रशन:- सम्मोहन क्या है, कुछ लोग सम्मोहन सीखने के लिए तांत्रिक बुक्स इत्यादि भी खरीदते हैं ?

उत्तर:- सम्मोहन केवल योग से है। यह एक साइंस है।

 

प्रशन:- नशे की चपेट में सबसे अधिक आपका जिला सिरसा ही है, इससे बचाव कैसे हो ?

उत्तर:- हम स्टेज पर अपने आइटम्स में दिखाते हैं कि नशे की आखिरी मंजिल मौत है और हमारे प्रोग्राम्स को देखकर लाखों लोगों ने नशा छोड़ा है।

 

प्रशन:- आंखों पर पट्टी बांधकर मोटरसाइकिल चलाने वाले प्रोग्राम के बारे में क्लियर करें ?

उत्तर:- यह भी एक जनसंदेश है। आप देखे कि खुली आंखों से ड्राइविंग करने के बावजूद कितने एक्सीडेंट रोज होते हैं जबकि एक जादूगर बंद आंखों से मोटरसाइकिल चला सकता है। अगर सिंपल रुमाल आंखों पर बांधें तो कोई पैदल भी नहीं चल सकता। लेकिन चार-पांच पट्टी बांधने के बाद हमें सब कुछ दिखता है।

 

प्रशन:- बच्चों को क्या संदेश देंगे ?

उत्तर:- अपने जीवन के उद्देश्य के हिसाब से पढ़ाई करें। बुराइयों और नशों से दूर रहें। जो बच्चे आपके गलत शिक्षा आपको देने की कोशिश करते हैं उन्हें छोड़ दें। योग प्राणायाम करें। कंसल्टेशन मेडिटेशन अवश्य करें। मन को एकाग्र करके पढ़ाई करें। मेरा सपना जादूगर बनना था। बहुतों ने कहा इंजीनियर बन जाओ, बहुतों ने कहा आईएएस बन जाओ, मेरे पिता की फैक्ट्री थी वह मुझे बिजनेसमैन बनना चाहते थे। जब मैंने जादूगर देव कुमार का शो 12 साल की उम्र में देखा, क्योंकि उस समय लोग जादू के दीवाने थे, तो मैंने तय किया था कि जो देश दुनिया में मुझे यादगार बना सके क्योंकि डॉक्टर -इंजीनियर बहुत से हैं, बिजनेसमैन बहुत से हैं तो मैंने अपनी मंजिल अपना उद्देश्य तय कर लिया था। इसी प्रकार से कुछ भी बने आपका एक उद्देश्य होना चाहिए और देश समाज के लिए जितना कुछ कर सके करना चाहिए, यही मेरी कामना है।

 

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