Edited By Manisha rana, Updated: 10 Aug, 2024 11:13 AM
पेरिस ओलंपिक में भारतीय पहलवानों के सामने इस समय वेट मेंटेन करना सबसे बड़ी चुनौती बन रहा है। विनेश के बाद अब अमन सहरावत का भी ओवरवेट हो गया था।
हरियाणा डेस्क : पेरिस ओलंपिक में भारतीय पहलवानों के सामने इस समय वेट मेंटेन करना सबसे बड़ी चुनौती बन रहा है। विनेश के बाद अब अमन सहरावत का भी ओवरवेट हो गया था। अमन ने बीते दिन शुक्रवार को 57kg वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया, मगर इस मेडल को जीतने से पहले उन्हें रातभर अपने वजन को कम करना पड़ा था।
बताया जा रहा है कि सेमीफाइनल मैच हारने के बाद अमन सहरावत का वजन 4.6 किलो बढ़ गया था, जिसे उन्होंने अपने कोच के साथ मिलकर महज 10 घंटों के अंदर 4.6 किलो वजन कम किया। ब्रॉन्ज मेडल मैच से पहले अमन पूरी रात नहीं सोए और अपने वजन को कम करने में लगे रहे। पहलवान अमन सहरावत ने भारत को रेसलिंग का पहला मेडल दिलाया। उन्होंने 57kg वेट कैटेगरी में प्यूर्टो रिको के डरलिन तुई क्रूज को 13-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। अमन ने ये मेडल अपने दिवंगत माता-पिता और देश को समर्पित किया।
पिता का सपना था, घर में कोई मेडल जीते
अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को झज्जर जिले के भिड़होड गांव में हुआ था। अमन ने 8 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की थी। अमन जब 11 साल के थे, तब उनकी मां कमलेश की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद उसके पिता सोमवीर सहरावत भी बीमार रहने लगे। 6 महीने के बाद पिता का भी देहांत हो गया। अमन की मौसी सुमन ने बताया कि अमन का मन बचपन से ही खेलकूद में लगता था। वह मौसेरे भाई दीपक के साथ रनिंग और अखाड़े में कुश्ती का अभ्यास करने लगा। अमन के पिता चाहते थे कि घर में कोई पहलवानी करे और देश के लिए मेडल जीते।
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