Edited By Manisha rana, Updated: 25 Oct, 2024 03:26 PM
उत्तर भारती में दिवाली के आसपास धान की पराली जलाने के मामले एक बड़ा मुद्दा बन जाते हैं, क्योंकि पटाखों के धुएं और पराली के जलने से पैदा होने वाले धूएं से वातावरण काफी प्रदूषित हो जाता है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
रोहतक: उत्तर भारती में दिवाली के आसपास धान की पराली जलाने के मामले एक बड़ा मुद्दा बन जाते हैं, क्योंकि पटाखों के धुएं और पराली के जलने से पैदा होने वाले धूएं से वातावरण काफी प्रदूषित हो जाता है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। बेशक कुछ किसान नासमझी में पराली में आग लगाने का शॉर्टकट रास्ता अपना लेते हैं, लेकिन इससे न सिर्फ उन्हें नुकसान होता है, बल्कि वातावरण भी प्रदूषित होता है। हालांकि अब उम्मीद की एक किरण जगी है।
दरअसल महाराष्ट्र की एक कंपनी ने हरियाणा के रोहतक के लाहली गांव में एक बॉयोगैस प्लांट लगाया है, जिससे पराली से सीएनजी गैस बनती है। इससे किसानों को भी मुनाफा हो रहा है और वायु प्रदूषण से भी निजात मिल रही है. इस प्लांट की प्रतिदिन 3 टन गैस का उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन फिलहाल प्रतिदिन एक टन सीएनजी गैस का उत्पादन हो रहा है।
वहीं प्लांट के मैनेजर ने बताया कि किसानों से हम पराली खरीदते हैं और नमी को लेकर कुछ पैरामीटर बनाए गए हैं। इसके हिसाब से किसानों को उसका भुगतान किया जाता है। आमतौर पर 50 पैसे से एक रुपये प्रति किलो की दर पर किसानों को भुगतान होता है। तकरीबन प्रति एकड़ 1500 से 2000 रुपये के आसपास किसान की आमदनी होती है।
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