अब चौटाला के गढ़ में दम दिखाएंगे हुड्डा पिता-पुत्र, 24 को सिरसा में ‘किसान-मजदूर जनआक्रोश रैली

Edited By Isha, Updated: 21 Dec, 2023 04:19 PM

hooda father son test of strength regarding sirsa rally

आने वाली 24 तारीख को हरियाणा के अंतिम छोर और तीन राज्यों की सीमा पर बसे सिरसा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा किसान-मजदूर जन आक्रोश रैली करने जा रहे हैं। इस रैली की सफलता को लेकर दोनों पिता-पुत्र

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी):  आने वाली 24 तारीख को हरियाणा के अंतिम छोर और तीन राज्यों की सीमा पर बसे सिरसा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा किसान-मजदूर जन आक्रोश रैली करने जा रहे हैं। इस रैली की सफलता को लेकर दोनों पिता-पुत्र में इतनी तन्मयता दिख रही है कि दीपेंद्र हुड्डा कई बार सिरसा का दौरा कर चुके हैं और बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके यह कह चुके हैं कि सिरसा में होने वाली ऐतिहासिक रैली प्रदेश सरकार के लिए कफन की कील साबित होगी। रैली का काउंट डाउन शुरू हो चुका है और हुड्डा के समर्थक विधायक रैली स्थल पर दौरा भी कर चुके हैं।

दरअसल, पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में विपरीत दृश्य बनने के बाद हुड्डा पिता-पुत्र को इस बात का अहसास हो गया है कि प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उन्हें पहले से कई गुना मेहनत करनी होगी। जाहिर है कि चुनाव नतीजों के ऐन बाद हो रही इस रैली में उन्हें अपना शक्ति प्रदर्शन करना होगा। इसके लिए विधायकों को अधिक से अधिक बसें भरकर लाने के लिए कहा गया है जबकि पूरे प्रदेश में इस बात का पूरा चर्चा है कि रैली के जरिए हुड्डा हरियाणा में अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं और इसके लिए पार्टी के तमाम विधायकों की भी ड्यूटियां लगाई जा चुकी हैं।

ऐसा नहीं है कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद हुड्डा निराश होकर बैठ गए थे बल्कि उन्होंने सडक़ से सदन तक अपनी उपस्थिति पूरी तरह से दिखाई। हुड्डा ने अपनी पिछली रैली में जनता का आह्वान किया था कि वे 75 साल की उम्र में इस सरकार से टकराना चाहते हैं और इसके लिए जनता का सहयोग भी उन्होंने मांगा था। अब एक बार फिर पूरी ताकत से उन्होंने सिरसा रैली के लिए अपनी जोर आजमाइश की हुई है। किसी भी कीमत पर हुड्डा यह चाहते हैं कि 10 साल के लंबे अरसे के बाद हरियाणा में उनके नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार जरूर बने। इसे लेकर उन्होंने इंडिया गठबंधन में इनेलो के शामिल होने पर भी कोई एतराज जाहिर नहीं किया बल्कि यह कहा कि अगर इनेलो इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।

हुड्डा हरियाणा में अपनी ही पार्टी में सियासी द्वंद्व से भी परिचित हैं। रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी जैसे वरिष्ठ नेता उनकी सियासी भूमिका को उलझाए हुए रहते हैं। दूसरे, आम आदमी पार्टी का प्रदेश में बढ़ता वर्चस्व भी हुड्डा के लिए चिंता का बायस है। इन तमाम झंझावातों से उलझते-निकलते हुए हुड्डा अगर अपने रणकौशल से कामयाब होते हैं तो निश्चित तौर पर यह उनके लिए बहुत बड़ी सफलता होगी। साथ ही वे अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी व सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा की राजनीतिक डगर को आसान कर सकेंगे। तीन राज्यों में पार्टी की प्रचंड जीत ने बीजेपी में भी बहुत उत्साह का संचार हुआ है और यही कांग्रेस में चिंता का भी विषय है।

सिरसा की 24 दिसंबर को प्रस्तावित रैली यदि सफल होती है तो हरियाणा की राजनीति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्वीकार्यता निश्चित तौर पर बढ़ेगी और वे कांग्रेस पार्टी, विधायकों और आम जनता में भी अपनी छवि को मजबूत करने में कामयाब होंगे। रैली सफल हो, इसके लिए दीपेंद्र हुड्डा व भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों ने जी-जान लगाई हुई है। सिरसा जिला के स्थानीय विधायकों ने भी रैली को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक कर रखा है। 

 

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