Edited By vinod kumar, Updated: 13 Jan, 2020 10:03 AM
इतिहास के पन्नों पर कायम मुगलों का राज आगे भी बरकार रहेगा। हिंदुस्तान से मुगलों का शासन भले सालों पहले खत्म हो गया था पर इतिहास की किताबों में महिमा गान चल रहा है। हरियाणा के स्कूलों में इतिहास पढऩे वाले बच्चों को अब मुगल शासकों के साथ हिंदुस्तान के...
चंडीगढ़(अर्चना सेठी) : इतिहास के पन्नों पर कायम मुगलों का राज आगे भी बरकार रहेगा। हिंदुस्तान से मुगलों का शासन भले सालों पहले खत्म हो गया था पर इतिहास की किताबों में महिमा गान चल रहा है। हरियाणा के स्कूलों में इतिहास पढऩे वाले बच्चों को अब मुगल शासकों के साथ हिंदुस्तान के पराक्रमी योद्धाओं के जीवन और पराक्रम को भी पढ़ाया जाएगा। शिवाजी, महाराणा प्रताप सिंह जैसे वीरों की क्रांति और वीरता से जुड़े हिस्से भी पाठ्यक्रम से जोड़े जाने की समीक्षा शुरू कर दी गई है। हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड के सूत्रों की मानें तो हाल ही में कमेटी का गठन कर 6वीं से 12वीं कक्षा तक की इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलाव व सुधार को लेकर फैसले लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गत दिन कमेटी की बैठक हुई थी,जिसमें नैशनल कौंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एन.सी.ई.आर.टी.), स्टेट कौंसिल ऑफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एस.सी.ई.आर.टी.), शिक्षा विभाग के अधिकारी,योद्धा स्मारिक समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया था। समिति 2 सालों से भारतीय योद्धाओं के पराक्रम और वीरता को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का काम कर रही है और उन पर आधारित एक पुस्तक भी तैयार की है। बैठक में पुस्तक को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने पर विचार किया गया। सूत्र कहते हैं कि सदस्यों ने मुगलों की वीरता की बजाय देश के योद्धाओं के क्रांतिकारी आंदोलन,शूरवीरता को महत्व देने की बात कही है।
यह भी कहा कि मुगलों के शासन को हटाया नहीं जा सकता,क्योंकि वह भी इतिहास का हिस्सा हैं परंतु पाठ्यक्रम में भारतीय राजाओं के गौरव का महिमा गान होना चाहिए। अकबर, बाबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब, हुमायूं जैसे मुगल राजाओं को हटाए बगैर भारतीय योद्धाओं को शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा कहा जा रहा है कि जिस तरह केंद्र की भाजपा सरकार जैसे मुगलों के नाम पर रखे गए मार्गों के नाम में परिवर्तन करने पर तवज्जो दे रही है उसी तरह से हरियाणा सरकार भी केंद्र की नीतियों का अनुसरण करते हुए भारतीय वीरों को किताबों में स्थान देकर बच्चों की सोच में परिवर्तन लाना चाहती है।
भारतीय वीरों की कुर्बानी और वीरता जान सकेंगे स्कूली बच्चे
एस.सी.ई.आर.टी. से जुड़ी इतिहास की विशेषज्ञ दीप्ता का कहना है कि कमेटी की फिलहाल एक ही बैठक हुई है। पाठ्यक्रम में क्या बदलाव या सुधार लाए जाने हैं इस पर अभी फैसला लिया जाना है। स्कूली पाठ्यक्रम से मुगल राजाओं को हटाने का मामला नहीं है,बल्कि भारतीय क्रांतिकारी योद्धाओं की क्रांति व वीरता को जोडऩे की बात चल रही है ताकि बच्चे भारतीय इतिहास के माध्यम से देश के वीर जवानों को जान सकें।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी भी कहती है कि स्कूली बच्चों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से जोडऩा जरूरी है। इतिहास के पाठ्यक्रम में सुधार किया जाना है। कमेटी की आगामी बैठक में देखा जाएगा कि किस तरह से पाठ्यक्रम में सुधार किया जाना है? कौन से नए विषय पाठ्यक्रम में जोड़े जाने हैं जिनसे बच्चों की सोच में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं और किन विषयों को जोडऩा ठीक रहेगा?
हटाएंगे नहीं, जोड़ेंगे योद्धा : कंवर पाल
शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर का कहना है कि राज्य सरकार नहीं चाहती कि मुगलों के शासन या शासकों के दौर को किताबों से खत्म कर दिया जाए। मुगल शासक देश के इतिहास से जुड़े हैं और हम चाहते हैं कि बच्चे इतिहास की हर चीज जानें तो उसे कैसे हटा सकते हैं? हम यह भी चाहते हैं कि बच्चों को देश की सभ्यता एवं संस्कृति से जोड़कर रखा जाए। भारतीय शासकों की कुर्बानियां, पराक्रम की महिमा का बखान करना भी बहुत जरूरी है, ताकि बच्चे गर्व करें कि यहां की माटी में जन्म लिया है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी इतिहास के पाठ्यक्रम में सुधार को लेकर जो भी फैसले लेगी उन्हें माना जाएगा। मुगल हमारे इतिहास से जुड़े हैं तो भारतीय योद्धाओं को भी किताबों में सम्मान देना चाहिए।