हिसार की बेटी 22 वर्ष की उम्र में बनी जज, बताया सफलता का मंत्र

Edited By Saurabh Pal, Updated: 29 Oct, 2024 02:54 PM

hisar s daughter became a judge at the age of 22 told the mantra of success

अंशिका ने बताया कि पहली ही बार उन्होंने यह परीक्षा दी थी। जिसमें 13वीं रैंक हासिल हुई है। 22 वर्षीय अंशिका ने बताया का बचपन में ही जज बनने का सपना देखा था। अंशिका ने कहा मेरी सफलता पर मेरे माता-पिता को बहुत अधिक खुशी हुई है।

हिसार (विनोद सैनी) : हिसार निवासी अंशिका का राजस्थान ज्यूडिशल सर्विसेज में चयन हुआ है। बधाई देने वालों का तांता लगा है। घर में खुशी का माहौल है, एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं। अंशिका ने बताया कि पहली ही बार उन्होंने यह परीक्षा दी थी। जिसमें 13वीं रैंक हासिल हुई है। 22 वर्षिय अंशिका ने बताया का बचपन में ही जज बनने का सपना देखा था। अंशिका ने कहा मेरी सफलता पर मेरे माता-पिता को बहुत अधिक खुशी हुई है। मेरी इस उपलब्धि में सबसे बड़ा रोल माता-पिता का रहा है। 

तैयारी के समय सोशल साइट्स से दूरी रखी

उन्होंने बताया कि बारहवीं कक्षा भी 99 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी। उसके बाद बीए एलएलबी की परीक्षा पास की जिसमें काॅलेज टाॅपर रहीं। अंशिका ने बताया की क्रमवार तरीके से ज्यूडिशल सर्विसेज के लिए तैयारी की थी। परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए तैयारी के समय सोशल साइट्स से दूरी बनाए रखी। दोस्तों से भी मिलना-जुलना कम किया। लगातार पढ़ाई से बोर होने से बचने के लिए समाचार पत्र पढ़ना, परिवार के साथ ही बाहर घूमना तथा संगीत सुनना बेहतर समझा। उन्होंने बताया कि लाॅ में करियर बनाना अपने आप में गरीमामयी भाव पैदा करता है। लड़कियों को संदेश देते हुए अंशिका ने कहा कि हर लड़की को कानून के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए। समर्पित होकर पढ़ाई करने से सफलता अवश्य मिलती है।

बच्चों के लिए बड़ी जायदाद छोड़ने की बजाए दें अच्छी शिक्षा

अंशिका के माता-पिता ने बताया कि बेटी की इस सफलता पर बहुत अधिक खुशी हो रही है। बेटी को पढ़ाने में और आगे बढ़ाने में हमारा भरपूर सहयोग रहा है। पिता सतीश ने कहा कि हर माता-पिता को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। माता को अपने बच्चों के लिए बड़ी जायदाद छोड़ने की बजाए अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। माता मीनू चराया ने बताया कि बेटी को बचपन से ही सपना दिखाया था कि बड़ी होकर जज बनना है। अंशिका को हमने प्रेरित किया और उसने खूब मेहनत की। दो साल की कोचिंग में पहला साल पूरा होते ही परिक्षा पास की और जज बन गई। हमें बेटी की मेहनत पर पूरा भरोसा था।

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