Edited By Yakeen Kumar, Updated: 07 Apr, 2025 09:12 PM

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए कहा है कि जिन लोगों ने E-नीलामी के जरिए बूथ साइटें खरीदी थीं और पूरी रकम जमा कर दी थी, उन्हें कब्जा न देना और बाद में पैसे वापस करना, एक "चालाकी से रचा गया बहाना"...
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए कहा है कि जिन लोगों ने E-नीलामी के जरिए बूथ साइटें खरीदी थीं और पूरी रकम जमा कर दी थी, उन्हें कब्जा न देना और बाद में पैसे वापस करना, एक "चालाकी से रचा गया बहाना" है, ताकि प्राधिकरण अपने संविदात्मक दायित्वों से बच सके।
कोर्ट ने कहा कि HSVP ने कुछ खरीदारों को कब्जा दिया जबकि अन्य को नहीं, जो असमान और गलत है। कोर्ट ने HSVP को निर्देश दिया कि वह सभी याचिकाकर्ताओं को 2 सप्ताह के भीतर अलॉटमेंट लेटर जारी करें और पंजीकृत रजिस्ट्री करवाकर कब्जा भी दिलाएं। साथ ही कोर्ट ने HSVP पर सख्त टिप्पणी करते हुए पांचों याचिकाकर्ताओं को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश भी दिया।
यह मामला गुरुग्राम के सेक्टर 62 में डबल स्टोरी बूथ की E-नीलामी से जुड़ा है। मार्च 2022 में HSVP ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, जिसके तहत याचिकाकर्ता ने 94 लाख 20 हजार 600 रूपये की बोली लगाकर बूथ नंबर 4 खरीदा था। पूरी राशि जमा करने और अलॉटमेंट लेटर जारी होने के बावजूद कब्जा नहीं दिया गया। पहले विकास कार्य अधूरे होने और बाद में नक्शा स्वीकृत न होने की बात कहकर कब्जा टाल दिया गया। आखिर में HSVP ने पैसा वापस करने का निर्णय लिया।
कोर्ट ने कहा कि यह एक तय और कानूनी अनुबंध था, जिसे HSVP जैसे राज्य के अधीनस्थ निकाय द्वारा तोड़ा नहीं जा सकता। अनुबंध अनुच्छेद 299 के तहत संविधान की गारंटी है, जिसे एकतरफा तरीके से वापस नहीं लिया जा सकता।
कोर्ट ने HSVP के इस रवैये को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि यह "गंभीर लापरवाही" और "कानूनी कर्तव्यों की अनदेखी" का मामला है। कोर्ट ने सभी याचिकाएं स्वीकार करते हुए HSVP को आदेश दिया कि वह 2 सप्ताह के भीतर सभी कार्यवाही पूरी करे और याचिकाकर्ताओं को उनका हक दिलाए।