हाईकोर्ट ने दिया 8 वर्षीय रिजवान हत्याकांड में CBI जांच का आदेश, हरियाणा पुलिस नहीं पेश कर पाई सुबूत

Edited By Saurabh Pal, Updated: 11 Jan, 2024 03:18 PM

high court orders cbi investigation into 8 year old rizwan murder case

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि 'विश्वसनीयता प्रदान करना और जनता के मन आवश्यक हो गया है। पलवल में 8 वर्षीय मासूम की हत्या मामले की जांच  सी.बी.आई. को सौंप दी है

चंडीगढ़/ पलवल: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि 'विश्वसनीयता प्रदान करना और जनता के मन आवश्यक हो गया है। पलवल में 8 वर्षीय मासूम की हत्या मामले की जांच  सी.बी.आई. को सौंप दी है। कोर्ट ने कहा कि हरियाणा पुलिस हत्या मामले में सबूत नहीं जुटा पाई इसलिए कोर्ट जांच सीबीआई को दे रही है। आदेश में जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि 'जब राज्य जांच एजेंसी द्वारा गठित विशेष जांच दल भी अपराधी तक पहुंचने में असमर्थ है, तो याचिकाकर्ता को निजी शिकायत दर्ज करने के लिए क्षेत्राधिकार वाले मैजिस्ट्रेट के पास जाने के लिए बाध्य करना अनुचित होगा। न्याय हित का तकाजा है कि सच्चाई तक पहुंचने के लिए मामले की जांच का जिम्मा सी.बी.आई. जैसी किसी विशेषज्ञ एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए।

साल 2021 में अपहरण के बाद हुई थी रिजवान की हत्या

उक्त आदेश रिजवान नाम के 8 वर्षीय लड़के की निर्मम हत्या के बाद पिता द्वारा दायर निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिका के जवाब आए हैं। आरोप है कि याची के बेटे की क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी, लेकिन जांच एजैंसियां आरोपियों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। पुलिस स्टेशन मुंडकटी, पलवल, हरियाणा में धारा 365 आई.पी.सी. के तहत एक एफ. आई. आर. दर्ज की गई थी, जिसमें बाद में धारा 302 और 201 आई.पी.सी. जोड़ी गई थी। साल 2021 में याचिकाकर्ता के बेटे रिजवान का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था जब वह एक मस्जिद के लिए घर से निकला था। एक हफ्ते बाद उसका शव खेतों में क्षत-विक्षत पाया गया था। याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके बेटे की हत्या उस व्यक्ति ने बदला लेने के लिए की थी, जिसने 2017 में याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दायर किया था।

पूर्ण न्याय करने और मौलिक अधिकारों को लागू करने ऐसा आदेश आवश्यक

याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि 'यह सभी स्थिति रिपोटों से स्पष्ट है, जैसा कि प्रतिवादी राज्य की जांच एजैंसी द्वारा इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि वह तमाम कोशिशों के बावजूद अपराधी तक पहुंचने में विफल रहे हैं।' अदालत ने कहा कि रिजवान की मौत स्वाभाविक नहीं थी और न ही यह डाक्टरों के बोर्ड का निष्कर्ष है, जिन्होंने पोस्टमार्टम किया था।

यह देखते हुए कि जांच का स्थानांतरण केवल असाधारण मामलों में होता है। अदालत ने निम्नलिखित स्थितियों का भी आदेशों में जिक्र किया है और कहा है कि ऐसे मामलों की जांच में विश्वसनीयता प्रदान करना और जनता के मन में विश्वास पैदा करना आवश्यक हो जाता है। पूर्ण न्याय करने और मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए ऐसा आदेश आवश्यक हो जाता है, जब न्यायालय को लगता है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा जांच उचित दिशा में नहीं है तो कोर्ट की जिम्मेदारी है कि किसी ऐसी एजेंसी को जांच सौंपी जाए, जो मामले की तह तक 5 जाकर अपराधियों तक पहुंचे और आम लोगों का न्याय के प्रति विश्वास बना रहे।

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