हरियाणवी युवक धर्मेंद्र उर्फ रिंकू ने गाड़ी से की 12 देशों की यात्रा, 16 दिन बाद अटारी बॉर्डर से की भारत में एंट्री

Edited By Saurabh Pal, Updated: 11 Jan, 2024 07:51 PM

haryanvi youth dharmendra alias rinku traveled to 12 countries by car

हरियाणा के अंबाला का धर्मेंद्र सिंह (रिंकू) मुलतानी जर्मनी से वाया पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचा। मुलतानी ने गाड़ी में लगभग 10,000 KM सफर तय करते हुए जर्मनी समेत 12 देश कवर करते हुए 16 दिन बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से अपने देश में एंट्री की...

अंबाला(अमन कपूर): हरियाणा के अंबाला का धर्मेंद्र सिंह (रिंकू) मुलतानी जर्मनी से वाया पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचा। मुलतानी ने गाड़ी में लगभग 10,000 KM सफर तय करते हुए जर्मनी समेत 12 देश कवर करते हुए 16 दिन बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से अपने देश में एंट्री की। मुलतानी की इस एक तरफ की यात्रा पर लगभग 5 लाख रुपए खर्च आया है। मुलतानी आज गुरुवार को वापस जर्मनी के लिए रवाना होंगे। वे गाड़ी से ही जर्मनी तक का सफर करेंगे।

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धर्मेंद्र सिंह मुलतानी ने बताया कि वह मूलरुप से अंबाला के बराड़ा का रहने वाला है, लेकिन पिछले 23 सालों से जर्मन में रह रहा है। उनका परिवार बराड़ा में ही रह रहा है। पिछले कई सालों से उनके मन में सवाल उठ रहा था कि क्यों न गाड़ी में ही भारत तक का सफर करूं। लगभग ढाई साल पहले उसने पूरी प्लानिंग तय की। इसके बाद 13 नवंबर 2023 को जर्मन से गुरुद्वारा में माथा टेक भारत के लिए रवाना हुआ। 23 नवंबर को पाकिस्तान पहुंचे।

जर्मनी से सफर शुरू करने के बाद चेकरिपब्लिक, स्लोवाकिया, हंगरी (यूरोप), सबेरिया, गुलगारिया, तुर्की, ईरान व पाकिस्तान से होते हुए अटारी बॉर्डर से भारत में एंट्री की। जर्मनी से सफर शुरू करने के बाद चेकरिपब्लिक, स्लोवाकिया, हंगरी (यूरोप), सबेरिया, गुलगारिया, तुर्की, ईरान व पाकिस्तान से होते हुए अटारी बॉर्डर से भारत में एंट्री की। 

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रिंकू मुलतानी 10 दिन तक पाकिस्तान में अपने दोस्त के पास ठहरे। मुलतानी को जर्मनी की नागरिकता मिली हुई है। भारत लौटने के लिए रिंकू को ईरान और पाकिस्तान का टूरिस्ट वीजा लेना पड़ा। रिंकू ने बताया कि जर्मनी से पाकिस्तान-भारत के बॉर्डर तक पहुंचने के लिए उसकी पैजेरो क्लासिक गाड़ी में 1200 लीटर तेल की खपत हुई। उसने जर्मनी से अपना सफर शुरू किया। उसके बाद चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, हंगरी (यूरोप), सबेरिया, गुलगारिया, तुर्की, ईरान पहुंचा। इसके पश्चात पाकिस्तान में 10 दिन बीताने के बाद अटारी बॉर्डर से भारत में एंट्री की।

मुलतानी का मूलरुप से पाकिस्तान के ननकाना साहिब का रहने वाला दोस्त भूपेंद्र सिंह भी जर्मनी में रहता है। मुलतानी का मूलरुप से पाकिस्तान के ननकाना साहिब का रहने वाला दोस्त भूपेंद्र सिंह भी जर्मनी में रहता है। पाकिस्तान में इतना प्यार मिला की भूला नहीं सकता

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मुलतानी ने बताया कि ईरान के बाद बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में थोड़ी दिक्कत आई। पाकिस्तान के पंजाब में इतना प्यार मिला कि वह कभी भूला नहीं सकता। दरअसल, उसका दोस्त भूपेंद्र सिंह लवली मूलरुप से पाकिस्तान के ननकाना साहिब का रहने वाला है। उसी ने वीजा दिलाने में उनकी मदद की। जब वह अपने दोस्त के साथ 23 नवंबर को पाकिस्तान के ननकाना साहिब पहुंचा तो वहां के लोगों ने बहुत सम्मान दिया।

मुलतानी ने बताया कि उसके दादा तारा सिंह और दारी शानकौर शेखुपुरा पिंडीदास (पंजाब पाकिस्तान) में रहते थे, जबकि मुलतान में उसके रिश्तेदार रहे थे। भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उसके दादा-दादी को अपना घर बार सब छोड़कर आना पड़ा। उसकी बचपन से ही तमन्ना थी कि जहां दादा-दादी रहते थे, मौका मिलेगा तो वह जरूर देखूंगा। वह अपने दोस्त की मदद से 10 दिन पाकिस्तान में रुका। यहां उसने ननकाना साहिब, लाहौर, लालपुर, फैसलाबाद का दौरा किया।

मुलतानी के मुताबिक, जिस गांव में उसके पूर्वज रहते थे, वहां कुछ नहीं मिला। गुरुद्वारा भी नहीं रहा। सिर्फ नेम प्लेट लगी हुई थी। अंदर मुस्लिम परिवार रह रहा है। परिजनों से जो सुना था, माहौल बहुत चेंज हो चुका है।

मुलतानी ने बातचीत में बताया कि ईरान और पाकिस्तान के बॉर्डर टफ्तान से उसकी एंट्री हुई। पाकिस्तान में एंट्री के बाद उसे सुरक्षा मुहैया कराई गई। उसकी गाड़ी को भी पूरी सिक्योरिटी मिली, क्योंकि टूरिस्ट को क्योटा तक अकेले नहीं आने दिया जाता। उसे 5 गनमैन दिए गए। खास बात ये भी थी कि हर चेकपोस्ट पर सिक्योरिटी बदल रही थी, जिसमें आधे घंटे का समय लग रहा था। पूरा रिकॉर्ड मेंटेन किया गया, लेकिन दिक्कत वाली बात ये भी कि 600 KM का सफर उन्होंने 2 दिन में करना पड़ा।

मुलानी ने बताया कि ईरान व तुर्की जैसे देशों में लैंग्वेज बड़ी चुनौती बनी। तुर्की के आधे सफर तक कोई दिक्कत नहीं आई, लेकिन उसके बाद लैंग्वेज की दिक्कत आनी शुरू हो गई, क्योंकि ईरान और तुर्की के लोग इंग्लिश नहीं समझ रहे थे। एंट्री करते समय ट्रैवलिंग का उद्देश्य बताना बड़ा मुश्किल रहा। तुर्की में होटल की बुकिंग करने और खाने-पीने में भी काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। ईरान में एंट्री करते ही उनके ड्राइवर व गाड़ी के डॉक्यूमेंट की जांच करानी। एजेंट को समझाना, क्योंकि ईरान के एजेंट को इंग्लिश में समझाना बड़ा पेचीदा रहा।

मुलतानी ने बताया कि गाड़ी का तेल खत्म हुआ तो वह ईरान के एक पंप पर डीजल डलवाने लगा। इस दौरान उसकी गाड़ी में डीजल की जगह पेट्रोल डाल दिया। इसकी वजह से भी भारी दिक्कत झेलनी पड़ी। मौके पर मैकेनिक को बुलाया, सारा पेट्रोल टैंक से बाहर निकाला। फिर दोबारा डीजल डलवाना पड़ा। यहां दोनों की पेमेंट करनी पड़ी।

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