अभी भी दलबदल कानून के दायरे में किरण चौधरी, स्पीकर का फैसला तय करेगा आगे का भविष्य !

Edited By Isha, Updated: 21 Aug, 2024 05:42 PM

haryana kiran chaudhary is still under the ambit of anti defection law

कांग्रेस विधायक रहते हुए पार्टी को अलविदा कहकर हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाली किरण चौधरी को भले ही बीजेपी ने राज्यसभा के उपचुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन अभी भी किरण चौधरी दल बदल कानून

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): कांग्रेस विधायक रहते हुए पार्टी को अलविदा कहकर हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाली किरण चौधरी को भले ही बीजेपी ने राज्यसभा के उपचुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन अभी भी किरण चौधरी दल बदल कानून के दायरे से बाहर नहीं हुई है। हालांकि उनकी सदस्यता पर प्रारंभिक फैसला हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को लेना है, क्योंकि कांग्रेस की ओर से किरण चौधरी की सदस्यता को लेकर दायर की गई याचिका उनके पास लंबित है। विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद ही कांग्रेस आगे का कोई फैसला ले पाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि अब विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बावजूद क्या किरण चौधरी दल बदल कानून के दायरे में आती है। क्या अब भी किरण चौधरी की सदस्यता को लेकर कोई खतरा है। यदि ऐसा है तो उनके खिलाफ किस प्रकार से क्या कार्यवाही हो सकती है ? चलिए आपकों विस्तार से बताते हैं...

‘किरण पर लागू है दल बदल कानून’
कानून और संविधान के जानकार रामनारायण यादव ने बताया कि कोई भी नेता जिस दिन दल बदलता है, उसी दिन से उस पर दल बदल कानून लागू हो जाता है। किरण चौधरी पर भी विधायक पद से इस्तीफा दिए बिना दल बदलने वाले दिन से ही यह कानून लागू हो गया था। ऐसे मामले में कानून अलग-अलग है, लेकिन संविधान के अनुसार अयोग्यता ही बनती है। 

‘स्पीकर के समक्ष 2 उदाहरण’
यादव ने बताया कि किरण चौधरी के मामले में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दो उदाहरण है। इनमें पहला उदाहरण जनवरी 2005 का कृष्ण पंवार का है, जिसमें उन्होंने चौधरी उदयभान और तेजवीर सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी। इस बीच उदयभान और तेजवीर दोनों ने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसी आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने याचिका इंफ्रक्सचर करार देते हुए खारिज कर दिया। 
दूसरे मामले में 2019 में नैना चौटाला के खिलाफ अनूप धानक ने आरोप लगाए थे। उस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इस्तीफा देने के बाद भी उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया था। यादव ने बताया कि किरण चौधरी के मामले में यह दो उदाहरण विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष है, लेकिन इसे लेकर संविधान में साफ प्रावधान है कि जिस दिन दल बदला गया, उसी दिन से दल बदल कानून लागू हो जाता है। ऐसे में किरण चौधरी के लिए भविष्य में यह नुकसान दायक भी हो सकता है।

‘कोर्ट में हो सकता है फैसला चैलेंज’
राम नारायण यादव ने बताया कि कांग्रेस की ओर से किरण चौधरी के खिलाफ तीन याचिकाएं विधानसभा अध्यक्ष के पास दायर की गई। इनमें से 2 याचिकाओं को खारिज कर दिया गया, जबकि एक याचिका अभी भी उनके पास लंबित है। ऐसे में यदि उनकी ओर से दिए गए फैसले को कांग्रेस सही नहीं मानती है तो वह उसे होईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर सकती है, क्योंकि मामले में कानून अलग-अलग है, लेकिन संविधान एक है। विधानसभा अध्यक्ष किसी भी कानून के तहत फैसला ले सकते हैं, लेकिन कोर्ट संविधान और कानून दोनों को ध्यान में रखकर फैसला लेगा और कानून कभी भी संविधान से ऊपर नहीं होते। 

बता दें कि कांग्रेस की विधायक रहते हुए किरण चौधरी ने 18 जून को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भी वह कांग्रेस विधायक रहते हुए 19 जून को दिल्ली में अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थी। उसके बाद से ही कांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ कार्यवाही और उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर की गई थी। ऐसे में देखना होगा कि अब विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस की ओर से किरण चौधरी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर क्या फैसला लेते हैं ? और कांग्रेस की ओर से उस पर क्या रिएक्शन दिया जाता है ?

 

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