Haryana Election: कम मतदान ने बड़े नेताओं की धुकधुकी बढ़ाई

Edited By vinod kumar, Updated: 22 Oct, 2019 02:30 PM

haryana election low turnout increases the popularity of big leaders

हरियाणा में बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार गिरे मतदान प्रतिशत से राजनीतिक दल पसोपेश में हैं। जीत का दावा तो हर मुख्य दल कर रहा है, लेकिन कम मतदान ने बड़े नेताओं की धुकधुकी भी बढ़ा दी है।

डेस्क: हरियाणा में बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार गिरे मतदान प्रतिशत से राजनीतिक दल पसोपेश में हैं। जीत का दावा तो हर मुख्य दल कर रहा है, लेकिन कम मतदान ने बड़े नेताओं की धुकधुकी भी बढ़ा दी है। प्रदेश में ऐसा भी होता है कि जब कम मतदान हुआ तब भी पूर्व में तीनों लालों, ताऊ देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल की सरकारें सत्ता से बाहर हुईं और जब ज्यादा मतदान हुआ तो भी पूर्व सीएम हुड्डा ने 2005 और 2009 में सरकार बनाई।

साल 2014 में भारी मतदान हुआ तब भाजपा पहली बार पूर्ण बहुमत से पहली बार सत्ता में आने में सफल रही। इस बार बीते चुनाव की तुलना मतदाता में कम उत्साह और मतदान को लेकर निराशा को राजनीतिक दल भी नहीं भांप पाए। दलों के साथ ही चुनाव आयोग ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। कम मतदान का गुणा भाग राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से अपने पक्ष में कर रहे हैं।

भाजपा दावा कर रही है कि उसका कार्यकर्ता अपने मतदाता को घर से निकालने में कामयाब रहा, जबकि विपक्षी अपने मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाने में नाकाम रहे। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस, जजपा और इनेलो का दावा है कि सरकार के कामकाज से मतदाता निराश थे, इसलिए मतदाताओं ने अधिक मतदान नहीं किया। भाजपा का शहरी वोटर्स कम मतदान करने गया और गांवों में अधिक वोटिंग हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक वोटिंग को कांग्रेस, जजपा और इनेलो अपने पक्ष में मान रहे हैं। कम मतदान किसके पक्ष में रहता है, ये तो चुनाव नतीजों से ही साफ होगा।

सीएम के हलके में कम, हुड्डा के हलके में ज्यादा मतदान
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के हलके करनाल में बीते चुनाव की तुलना कम मतदान हुआ है। जबकि, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हलके गढ़ी सांपला किलोई में बीते विधानसभा चुनाव की तुलना ज्यादा वोट पड़े हैं। करनाल में तो मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत के आसपास सिमट कर रह गया है, यहां पिछली बार 67.84 प्रतिशत वोट पड़े थे और सीएम की जीत का अंतर 67 हजार से ज्यादा था। गढ़ी-सांपला-किलोई में बीते चुनाव में 73 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि इस बार 74 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े हैं।

मंत्रियों व दिग्गजों के गढ़ में भी गिरा मतदान प्रतिशत
अंबाला कैंट से खेल मंत्री अनिल विज मैदान में हैं, यहां भी बीते चुनाव के मुकाबले कम वोट पड़े हैं। टोहाना से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हैं, इस सीट पर हालांकि 2019 का सबसे अधिक मतदान हुआ है, लेकिन पिछली बार की तुलना कम रहा।

कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के विधानसभा क्षेत्र बादली, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा की सीट महेंद्रगढ़, परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार की सीट इसराना, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की सीट नारनौंद, सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर की सीट रोहतक, खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री की सीट रादौर, राज्य मंत्री कृष्ण बेदी की सीट शाहबाद व राज्य मंत्री बनवारी लाल की सीट बावल में भी मतदाताओं ने बीते चुनाव के मुकाबले काफी कम उत्साह दिखाया है। यहां भी काफी कम मतदान हुआ है। 

पूर्व मंत्री किरण चौधरी के हलके तोशाम, पूर्व नेता प्रतिपक्ष के हलके ऐलनाबाद और चौधरी बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता के हलके उचाना कलां में भी मतदाता कम संख्या में मतदान करने पहुंचे। कुलदीप बिश्नोई की सीट आदमपुर में भी कम वोटिंग हुई है। कैबिनेट मंत्री कविता जैन की सीट पर भी बीते चुनाव की तुलना कम मत पड़े हैं।

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