Edited By Manisha rana, Updated: 19 Dec, 2024 02:49 PM
फतेहाबाद जिले के गांव बादलगढ़ के किसान डॉक्टर हंसराज ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता का परचम लहराया है। डॉक्टर हंसराज ने पारंपरिक खेती को छोड़कर 10 से 15 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है और अपनी मेहनत से वह सालाना लाखों रुपये कमा रहा...
फतेहाबाद (रमेश भट्ट) : फतेहाबाद जिले के गांव बादलगढ़ के किसान डॉक्टर हंसराज ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता का परचम लहराया है। डॉक्टर हंसराज ने पारंपरिक खेती को छोड़कर 10 से 15 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है और अपनी मेहनत से वह सालाना लाखों रुपये कमा रहा है। यह खेती न केवल उनके लिए फायदे का सौदा साबित हुई है, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा भी बनी है। इस बारे में जब जिला बागवानी अधिकारी फतेहाबाद डॉ सरवन बरार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ही केवल ऐसी सरकार है, जो बागवानी के लिए सबसे ज्यादा सब्सिडी देने का काम करती है।
बता दें कि सरकार समय-समय पर बागवानी के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाती रहती है। सरकार बागवानी के तहत हर किसान को नए बाग लगाने पर 43000 तक की सब्सिडी देती है, किसके साथ साथ ही उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए हरियाणा सरकार ड्रिप सिस्टम के तहत सब्सिडी प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि विदेशी फल होने के कारण देश में इसकी खेती की सही जानकारी के अभाव में यह बाजार में अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता।
इसी कड़ी में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान
डॉ. हंसराज ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रति एकड़ शुरुआती खर्च लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये आता है। इसमें पौधों की खरीद, ट्रीलिस सिस्टम, सिंचाई और खाद जैसे खर्च शामिल हैं। पौधों की रोपाई के बाद पहली फसल 18-24 महीनों में तैयार होती है। एक बार पौधा लगने के बाद यह लगभग 15 से 20 साल तक फल देता है। प्रति एकड़ सालाना औसतन 5-7 टन फल उत्पादन होता है, जिससे किसान को लगभग 8-10 लाख रुपये तक की कमाई होती है। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार किसानों को इस विशेष फसल पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, मृदा परीक्षण, ड्रिप सिंचाई और पौधों की खरीद पर भी अनुदान उपलब्ध है।
डॉ. हंसराज की सफलता से प्रेरित होकर फतेहाबाद और आसपास के इलाकों के कई किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती में रुचि दिखा रहे हैं। फतेहाबाद के ही एक अन्य किसान राजेश कुमार से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह पहले गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे, लेकिन जब उन्होंने डॉक्टर हंसराज की खेती का दौरा किया और उनके मुनाफे के बारे में सुना तो वह भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करने लगे। राजेश ने कहा इस साल 5 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। शुरुआती खर्च तो ज्यादा है, लेकिन सरकार की सब्सिडी से काफी राहत मिलती है। मुझे हरियाणा सरकार से ट्रेलिसिंग और पौधारोपण के लिए 50 प्रतिशत अनुदान मिला। इसके अलावा डॉक्टर हंसराज ने मुझे व्यक्तिगत रूप से खेती की तकनीक सिखाई। अब मुझे पूरा भरोसा है कि अगले 2 साल में मेरी मेहनत रंग लाएगी। उन्होंने आगे बताया की ड्रैगन फ्रूट की खेती में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कम पानी में भी सफल हो जाती है। फसल की मांग भी काफी ज्यादा है, जिससे बाजार की चिंता नहीं होती। मेरा मानना है कि अगर किसान इस तरह की फसलों की ओर रुख करें, तो खेती और मुनाफा दोनों बेहतर हो सकते हैं।