Edited By Mohammad Kumail, Updated: 03 Apr, 2023 06:11 PM

किसानों ने मौजूदा प्रधान द्वारा किसान भवन पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया है। किसानों ने मौजूदा प्रधान द्वारा किसान भवन पर कब्जे के खिलाफ लघु सचिवालय में शहीद स्मारक पर बैठक की।
पानीपत (सचिन शर्मा) : के किसानों ने मौजूदा प्रधान द्वारा किसान भवन पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया है। किसानों ने मौजूदा प्रधान द्वारा किसान भवन पर कब्जे के खिलाफ लघु सचिवालय में शहीद स्मारक पर बैठक की। उसके बाद भाकियू ज़िलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ के नेतृत्व में किसानों के शिष्टमण्डल ने जिला पुलिस कप्तान से मिलकर कार्रवाई की मांग की। शिष्टमण्डल में भाकियू पूर्व प्रधान सुरेश दहिया, कार्यकारी जिला अध्यक्ष राम सिंह कुण्डू, किसान नेता हरेंद्र राणा, एडवोकेट संदीप सिंहरोहा, नर सिंह बेनीवाल कवि, निशान बिंझोल शामिल रहें।
एसपी शशांक कुमार सावन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
जिला पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद भाकियू ज़िलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ ने कहा कि पानीपत एसपी ने किसान भवन कब्ज़ा- काण्ड पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि पानीपत पुलिस उसका सारा रिकॉर्ड और अपने ख़ूफ़िया तंत्र से पूरे मामले की असलियत पता करके कानूनी कार्रवाई करेगा।
किसान महापंचायत में लिए जाएंगे कड़े फैसलेः भाकियू ज़िलाध्यक्ष
इस दौरान भाकियू जिला अध्यक्ष कहा कि -9 अप्रैल को पानीपत किसान भवन में पूरे ज़िले के किसानों की महापंचायत होंगी। जिसमें पूरी घटना पर कड़े फैसले लिए जाएंगे। किसी भी कीमत पर गुंडागर्दी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा और किसानों के मंदिर रूपी किसान भवन पर कब्ज़ा नहीं करने दिया जायेगा। पिछले 35 सालों से बने हुए किसान भवन पर गैंगस्टर सोनू मालपुरिया कब्ज़ा करने की मंशा पाले हुए हैं। जिन बड़े बुजुर्गों ने खून पसीने से सींचकर इस भवन को बनाया, आज उनकी आत्मा रो रही है। जिसका पूरा हिसाब समाज करेगा। जल्द ही पूरे जिले के किसानों से जनसंपर्क करके महापंचायत में पहुंचने की लोगों से अपील करेंगे।
किसान भवन के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयारः सुधीर जाखड़
जिले के किसान किसान भवन को पानीपत किसान समाज मंदिर की तरह मानता है। क्योंकि किसान भवन को बनाने के लिए हमारे बड़े-बुजुर्गों ने काफी संघर्ष किया था। इस भवन को बुजर्गों ने अपना खून-पसीना देकर खड़ा किया था, इसपर कब्ज़ा नहीं होने देंगे, चाहे कोई भी क़ुर्बानी क्यों न देनी पड़े।
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