Edited By Isha, Updated: 03 Oct, 2024 11:22 AM
डी.सी. ने जिले के सभी पंच, सरपंच, नंबरदार, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य तथा प्रत्येक सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से अनुरोध किया कि सभी जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर स्वयं और आस-पास के किसानों को फसल अवशेष जलाने पर
जींद : डी.सी. ने जिले के सभी पंच, सरपंच, नंबरदार, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य तथा प्रत्येक सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से अनुरोध किया कि सभी जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर स्वयं और आस-पास के किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाएं ताकि पर्यावरण व मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और भूमि की उपजाऊ शक्ति को नष्ट होने से बचाया जा सके। इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर हम सभी ने अपनी फसल-अपनी नस्ल को बचाने में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर योगदान करना चाहिए।
उपायुक्त ने किसानों का भी आह्वान किया कि फसल अवशेष जलाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति, भूमि की ऊपरी सतह पर उपस्थित लाभदायक जीवाणु नष्ट होते हैं व हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष न जलाने के लिए प्रोत्साहन राशि देने की भी घोषणा की है, जिसमें जिले के 13 रैड जोन वाले गांवों में फसल अवशेष आगजनी की घटनाओं को शून्य करने पर संबंधित ग्राम पंचायत को एक लाख रुपए तथा यैलो जोन वाले 58 गांवों में ग्राम पंचायत को 50 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए हम सभी ने सकारात्मक कदम बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है।
उपायुक्त ने गांव के सरपंच, नंबरदार को इस बारे पाबंद करते हुए कहा कि किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाली हानि को लेकर जागरूक करने के लिए जिला स्तरीय, उपमंडल स्तरीय, खंड स्तरीय व ग्राम स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। ग्राम स्तरीय कमेटी, जो ग्राम स्तर पर बनाई गई है जिसमें कृषि विभाग के कर्मचारी, संबंधित पटवारी व ग्राम सचिव गांव में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कार्य करेगी। इसके अलावा कमेटी में गांव का सरपंच व नंबरदार भी अतिरिक्त सदस्य के तौर पर कार्य करेंगे तथा अपने गांव में पराली जलाने संबंधित घटनाक्रम पर आगामी कार्रवाई करते हुए प्रतिदिन की रिपोर्ट कमेटी को भेजना सुनिश्चित करेंगे। यदि इस मामले में किसी प्रकार की कोताही की गई तो आप अनुशासनिक कार्रवाई के पात्र होंगे।
पिछले साल 35 प्रतिशत कम जली थी पराली
डी.सी. ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ही पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 35 प्रतिशत की कमी आई है। जागरूकता के लिए प्रत्येक गांव में विभाग द्वारा ग्राम स्तरीय कैंपों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। किसान जागरूकता शिविरों में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को पराली न जला कर आधुनिक कृषि यंत्र जैसे एस.एम.एस., सुपर सीडर, स्ट्रा बेलर, एम.बी. प्लाऊ व अन्य यंत्रों को प्रयोग करके पराली को मिट्टी में मिलाने बारे प्रेरित किया जा रहा है।