हड़ताल पर डॉक्टर,भटकते रहे मरीज

Edited By Anjna, Updated: 18 Jun, 2019 10:34 AM

doctor on strike patient wandering

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से फरीदाबाद के लगभग 900 डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इस दौरान शहर के तमाम निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रहीं। मरीजों की सुविधा का ख्याल रखते हुए अस्पतालों में केवल इमरजेंसी

फरीदाबाद (महावीर गोयल):  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से फरीदाबाद के लगभग 900 डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इस दौरान शहर के तमाम निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रहीं। मरीजों की सुविधा का ख्याल रखते हुए अस्पतालों में केवल इमरजेंसी सेवा चालू रहीं। इस मौके पर डॉक्टरों ने रोष मार्च निकाला और मोदी सरकार पर भी डॉक्टरों की सुनवाई न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि  पश्चिम बंगाल समेत देशभर में आए दिन डॉक्टरों पर हमले हो रहे हैं। इस पर रोकथाम के लिए सरकार को कड़ा कानून बनाना चािहए। प्रदर्शन के दौरान डॉक्टरों ने सड़क पर बैठकर जमकर नारेबाजी की।

डॉक्टरों को सताओगे तो इलाज कहां से लाओगे, पिज्जा डिलीवरी और स्वास्थ्य सेवा डिलीवरी में फर्क समझो, जैसे नारों के साथ डॉक्टरों ने अपनी बात रखने का प्रयास किया। इस दौरान डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित नजर आए। बड़ी संख्या में डॉक्टरों द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान पुलिस बल मौजूद रहा और उन्होंने डॉक्टरों को शांत कराने का प्रयास किया। इस मौके पर डा. नरेंद्र घई, डा. शिप्रा गुप्ता सचिव, डा.संदीप मल्होत्रा, सहित भारी संख्या में डॉक्टर मौजूद रहे। 

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों की पिटाई के बाद सोमवार को इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के बैनर तले डेंटल एसोसिएशन सहित सभी डॉक्टरों से संबंधित एसोसिएशन के प्रतिनिधि व डॉक्टर, इंटर्न डॉक्टर, नर्सिंग होम संचालक व निजी क्लीनिक संचालकों ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर रोष मार्च निकालते हुए 24 घंटे की हड़ताल की। इस दौरान सोमवार सुबह 6 बजे से लेकर मंगलवार सुबह 6 बजे तक सभी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व क्लीनिकों में ओपीडी सेवा बंद रखी गई। इस दौरान काफी मरीजों को बिना उपचार के ही बैरंग लौटने पर भी विवश होना पड़ा। डॉक्टरों का ऐसा आक्रोश पहली बार देखने को मिला।
बच्चों को नहीं बनाएंगे डॉक्टर
इस मौके पर आईएमए की प्रधान डा. पुनीता हसीजा, डॉ मीनाक्षी घई सहित कई महिला डॉक्टरों ने कहा कि वे अपने बच्चों को सख्ती से मना करते हैं कि वे उन्हें डॉक्टर नहीं बनाएंगे क्योंकि वे स्वयं डर के साये में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर घर से यदि एक बच्चा डॉक्टर होगा तब लोगों को डॉक्टर की मेहनत और उसके त्याग का अहसास होगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाते हैं। यदि पुलिस के ऊपर कोई हमला कर दे तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है लेकिन यदि डॉक्टर पर कोई हमला कर दे तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। डॉक्टरों ने कहा कि लोग यह समझें कि हम भी इंसान हैं और कोई भी डाक्टर कभी नहीं चाहेगा कि उसकी वजह से किसी मरीज की मौत हो। 

मोदी सरकार के खिलाफ लगाए नारे:-इस दौरान डॉक्टर इतने अधिक आक्रोशित थे कि उन्होंने सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की। आक्रोश का आलम यह था कि रोष प्रदर्शन के दौरान लगे मोदी सरकार के होर्डिंग को डॉक्टरों ने नष्ट कर दिया तथा सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। डॉक्टरों ने कहा कि वे हैरान और परेशान हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार नहीं जागी तो वे और अधिक कड़ा कदम उठाने पर विवश हो जाएंगे। 

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