दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी सरकार पर दागे 15 सवाल, कहा- इन सवालों के जवाब दें गठबंधन नेता

Edited By vinod kumar, Updated: 20 Sep, 2020 06:37 PM

deepender hooda asked 15 questions from bjp jjp government

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नए कृषि बिलों पर बीजेपी-जेजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने 15 सवालों की लिस्ट जारी करके खट्टर-दुष्यंत सरकार से जवाब मांगा है। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि तीन नए कानून लागू होने से हरियाणा के...

चंडीगढ़ (धरणी): कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नए कृषि बिलों पर बीजेपी-जेजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने 15 सवालों की लिस्ट जारी करके खट्टर-दुष्यंत सरकार से जवाब मांगा है। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि तीन नए कानून लागू होने से हरियाणा के किसानों को बहुत फायदा होने वाला है। अब यहां के किसान दूसरे राज्यों में अपनी फसल बेच कर मुनाफा कमाएंगे। साथ ही सरकार दावा कर रही है कि प्राइवेट एजेंसी अब किसानों को एमएसपी से भी ज्यादा रेट देंगी। दीपेंद्र ने पूछा कि अगर ऐसा है तो सरकार बताए- 

1. अगर सरकार की एमएसपी को लेकर नीयत साफ है तो वो मंडियों के बाहर होने वाली खरीद पर किसानों को एमएसपी की गारंटी दिलवाने से क्यों इंकार कर रही है?
2. एमएसपी से कम खरीद पर प्रतिबंद लगाकर, किसान को कम रेट देने वाली प्राइवेट एजेंसी पर कानूनी कार्रवाई की मांग को सरकार खारिज क्यों कर रही है?
3. कोरोना काल काल के बीच इन तीन कानूनों को लागू करने की मांग कहां से आई? ये मांग किसने की? किसानों ने या औद्योगिक घरानों ने?
4. देश-प्रदेश का किसान मांग कर रहा था कि सरकार अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी दे, लेकिन सरकार ठीक उसके उल्ट बिना एमएसपी प्रावधान के क़ानून लाई है। आखिर इसके लिए किसने मांग की थी? 
प्राइवेट एजेंसियों को अब किसने रोका है किसान को फसल के ऊंचे रेट देने से? फिलहाल प्राइवेट एजेंसीज मंडियों में एमएसपी से नीचे पिट रही धान, कपास, मक्का, बाजरा और दूसरी फसलों को रूस्क्क या एमएसपी से ज़्यादा रेट क्यों नहीं दे रहीं? 
उस स्टेट का नाम बताइए जहां पर हरियाणा-पंजाब का किसान अपनी धान, गेहूं, चावल, गन्ना, कपास, सरसों, बाजरा बेचने जाएगा, जहां उसे हरियाणा-पंजाब से भी ज्यादा रेट मिल जाएगा? 
5. जमाखोरी पर प्रतिबंध हटाने का फ़ायदा किसको होगा- किसान को, उपभोक्ता को या जमाखोर को?
6. सरकार नए कानूनों के ज़रिए बिचौलियों को हटाने का दावा कर रही है, लेकिन किसान की फसल खरीद करने या उससे कॉन्ट्रेक्ट करने वाली प्राइवेट एजेंसी, अडानी या अंबानी को सरकार किस श्रेणी में रखती है- उत्पादक, उपभोक्ता या बिचौलिया?
7. जो व्यवस्था अब पूरे देश में लागू हो रही है, लगभग ऐसी व्यवस्था तो बिहार में 2006 से लागू है। तो बिहार के किसान इतना क्यों पिछड़ गए?
8. बिहार या दूसरे राज्यों से हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी सरकार के दौरान धान जैसा घोटाला करने के लिए सस्ते चावल मंगवाए जाते हैं। तो सरकार या कोई प्राइवेट एजेंसी हमारे किसानों को दूसरे राज्यों के मुकाबले मंहगा रेट कैसे देगी?
9. टैक्स के रूप में अगर मंडी की इनकम बंद हो जाएगी तो मंडियां कितने दिन तक चल पाएंगी? 
10. क्या रेलवे, टेलीकॉम, बैंक, एयरलाइन, रोडवेज, बिजली महकमे की तरह घाटे में बोलकर मंडियों को भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा? 
11. अगर ओपन मार्केट किसानों के लिए फायदेमंद है तो फिर "मेरी फसल मेरा ब्योरा" के ज़रिए क्लोज मार्केट करके दूसरे राज्यों की फसलों के लिए प्रदेश को पूरी तरह बंद करने का ड्रामा क्यों किया? 
12. अगर हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 3 नए कानून लागू कर दिए हैं तो फिर मुख्यमंत्री खट्टर किस आधार पर कह रहे हैं कि वह दूसरे राज्यों से हरियाणा में मक्का और बाजरा नहीं आने देंगे?
13. अगर सरकार सरकारी खरीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी एफसीआई की खरीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा?
14. जिस तरह से सरकार सरकारी खरीद से हाथ खींच रही है, क्या इससे भविष्य में गरीबों के लिए जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में भी कटौती होगी? 
15. क्या राशन डिपो के माध्यम से जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम, खरीद प्रक्रिया के निजीकरण के बाद अडानी-अंबानी के स्टोर के माध्यम से प्राइवेट डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम बनने जा रहा है? 

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र ने 15 सवालों की सूची जारी करते हुए बीजेपी जेजेपी सरकार से जवाब मांगा है। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकार आरोप लगाती है कि किसान इन क़ानूनों को सही से समझ नहीं पाए और कांग्रेस उन्हें बरगला रहा है तो क्या अकाली दल भी इन्हें नहीं समझ पाया? क्या उसे भी कांग्रेस बरगला रही है? उनका कहना है कि अगर सरकार के पास इन सवालों का जवाब नहीं है तो किसानों को बरगलाना, किसान आंदोलन को बदनाम करना और उसे कुचलने की साजिश करना छोड़ दे। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस खुले तौर पर किसानों के साथ खड़े लेकिन किसानों की राजनीति करने का दावा करने वाली जेजेपी कुर्सी के लालच में किसानों के विरोध में खड़ी है। 

जेजेपी संस्थापकों की तरफ से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर लगाए गए सरकार को पलटने के हिडन एजेंटा वाले आरोपों का भी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमारा कोई हिडन एजेंडा नहीं नहीं। किसानों का भला करना और उनके संघर्ष में साथ देना ही हमारा ओपन एजेंडा है। हम जेजेपी की तरह बीजेपी की सरकार बनाने का हिडन एजेंडा लेकर जनता के बीच में नहीं जाते। पूरा हरियाणा जानता है कि जेजेपी विधानसभा चुनाव से पहले ही हरियाणा में फिर से बीजेपी की सरकार बनाने के अपने हिडन एजेंडा में लग गई थी। इसलिए जेजेपी नेताओं ने बीजेपी विरोधी वोटों को बांटने के लिए पहले तो खट्टर सरकार के विरोध का ड्रामा किया और बाद में उसी सरकार की गोदी में जाकर बैठ गए।

इसके विपरीत हम खुले तौर पर किसानहित और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिद्धांतों पर राजनीति करते हैं। पूरा हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा शासनकाल में किसानों के हित में जो काम हुए, वो उससे पहले या उसके बाद कभी नहीं हुए। हुड्डा राज में धान, गेहूं, गन्ना समेत ज्यादातर फसलों के दाम 2 से 3 गुणा बढ़ाए गए। किसानों को वक्त पर पूरी पेमेंट की गई। उनको मुफ्त बिजली दी, सिंचाई के लिए ज्यादा पानी दिया, उनके कर्ज माफ किए गए, बिजली बिल माफ किए गए और विकास योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण पर देश में सबसे ज्यादा रेट दिया गया। यही वजह है कि हुड्डा राज में कभी किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ा। उनके शासन में कभी किसानों पर लाठी या गोली नहीं चलाई गई।

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