उम्र से बड़ा जज़्बा! 105 साल की दादी ने बनाया 100 मीटर रेस में नेशनल रिकॉर्ड, 2 गोल्ड मेडल पर जमाया कब्जा

Edited By Isha, Updated: 22 Jun, 2022 10:34 AM

ambai breaks world record at an age of 105 years in 100 metre race

चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रामबाई के भी क्या कहने। उन्होंने 105 साल की उम्र में 100 मीटर दौड में नया विश्व रिकार्ड बनाया है। उन्होंने पिछले सप्ताह बेंगलुरू में हुए राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ

भिवानी:चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रामबाई के भी क्या कहने। उन्होंने 105 साल की उम्र में 100 मीटर दौड में नया विश्व रिकार्ड बनाया है। उन्होंने पिछले सप्ताह बेंगलुरू में हुए राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित) में वह इस उम्र में भी इतनी तेजी से दौडीं कि 100 मीटर की रेस 45.40 सैकेंड में पूरी कर ली। उनसे पहले यह रिकार्ड मान कौर के नाम था। उन्होंने 74 सैकेंड में 100 मीटर रेस पूरी की थी।

अब पड़दादी रामबाई की इस जीत से गांव कादमा के लोगों में खुशी का माहौल है। परिवार में इस उम्र में खेलने वाली रामबाई इकलौती नहीं है, बल्कि उसके परिवार के अन्य सदस्य भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। इससे पहले रामबाई एक ही प्रतियोगिता में 100, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में 4 स्वर्ण जीतकर इतिहास बना चुकी हैं।
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2021 में जीते थे 4 स्वर्ण पदक
चरखी दादरी जिले का आखिरी गांव कादमा ने अपनी झोली में राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में कई गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। अब इसी गांव की रामबाई ने 105 साल की उम्र में दौड़ में नया रिकार्ड बनाकर हरियाणा ही नहीं बल्कि गांव का नाम भी रोशन किया है। वे इससे पहले नवंबर 2021 में हुई प्रतियोगिता में 4 स्वर्ण पदक जीते थे। रामबाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है और सब उनको उडऩपरी पड़दादी कह कर बुलाते हैं। गांव में वह आमतौर पर खेतों में और घर में भी काम करते दिखाई देती हैं। इस उम्र में भी वे पूरी तरह से सेहतमंद हैं और इस उम्र में भी हर रोजाना 5 से 6 किलोमीटर तक दौ?ती हैं।
वड़ोदरा में नहीं मिला था साथ दौडऩे वाला

रामबाई ने अब नया कारनामा बेंगलुरू में पिछले सप्ताह राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में किया, जहां उन्होंने 45.40 सेकंड में 100 मीटर की दौड पूरी की। इससे पहले गुजरात के वड़ोदरा में भी एक प्रतियोगिता में भाग लिया, लेकिन वहां 85 की उम्र से ऊपर का कोई रेसर उसके साथ दौड़ लगाने नहीं पहुंचा। फिर भी वह मैदान में दौड़ी और स्वर्ण पदक जीतकर ही लौटी।

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सुबह 4 बजे से होती है दिन की शुरूआत
यहां बता दें कि 1 जनवरी 1917 को जन्मी गांव कादमा निवासी रामबाई बुजुर्ग एथलेटिक्स खिलाड़ी है। उन्होंने नवंबर 2021 में वाराणसी में हुई मास्टर्स एथलेटिक मीट में भाग लिया था। 105 साल की उम्र में बुढापे की परवाह किए बिना खेल को जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढ़ रही हैं। बुजुर्ग एथलीट रामबाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर खेल की प्रैक्टिस करती हैं। वे सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरूआत करती हैं। इसके बाद वे लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास करती हैं।

देसी खाने से शरीर में ताकत
आम तौर पर 80 की उम्र तक पहुंचकर अधिकतर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर लोगों का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद रामबाई 105 की उम्र में भी मिसाल बनी और खेलों में भाग ले रही हैं। उनका कहना है कि शरीर में जान ऐसे ही नहीं आती। उन्होंने बताया कि वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी खूब पीती हैं। उन्होंने बताया कि वे रोजाना 250 ग्राम घी हर रोज रोटी या चूरमे के रूप में खाती हैं और रोजाना आधा किलो दही पीती हैं।

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बहू बेटा भी हैं चैंपियन
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि रामबाई का पूरा परिवार ही खेलों में नाम कमा रहा है। उसकी बेटी 62 साल संतरा देवी रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीत चुकी है। रामबाई के 70 साल का बेटा मुख्तयार सिंह 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक तो उसके बेटे की बहू भतेरी भी रिले दौड़ में स्वर्ण पदक और 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि रामबाई का पूरा परिवार ही इस मामले में चैंपियन है।

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