OP Chautala Rasam Pagdi: '21 साल बाद मेरा कान खींचने वाले चला गया', शोक सभा में बोले अभय चौटाला

Edited By Deepak Kumar, Updated: 31 Dec, 2024 03:15 PM

abhay chautala on op chautala rasam pagdi

सिरसा के चौटाला गांव में ओपी चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा हुई। इस दौरान इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शोक संदेश पढ़ा।

डेस्कः आज सिरसा के चौटाला गांव में ओपी चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा हुई। ओपी चौटाला की तेरहवीं की रस्म में घर की बड़ी बहू नैना चौटाला ने गाय पूजन की रस्म निभाई। इस दौरान ओपी चौटाला की शोक सभा में इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शोक संदेश पढ़ा। 

पिता का साया उठना दुनिया का सबसे बड़ा दुख: अभय

अभय चौटाला ने कहा कि यहां देश-विदेश से चौटाला साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग आए हैं। दुनिया का सबसे बड़ा दुख तब होता है, जब सिर से पिता का हाथ उठ जाता है। अभय चौटाला ने कहा कि वो ताकतवर हाथ था, जिसने मुझे बचपन से उंगली पकड़कर चलना सिखाया, सीना तानकर चलना सिखाया, जितना दुख मुझे हो रहा है उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। उनके जाने से जो परिवार और राजनीतिक शून्य पैदा हुआ है उसे मैं बयान नहीं कर सकता।

अभय चौटाला ने कहा कि आज 21 साल बाद मेरा कान खींचने वाले चला गया। उन्होंने कहा कि आम आदमी के हितों के प्रति उनकी चिंता पार्टी के प्रति उनका प्रण किसी से छुपा नहीं है। अपने आखिरी समय तक वो लोगों की चिंता करते रहे। जरा सा स्वास्थ्य में सुधार होता था तो चौटाला साहब या कार्यकर्ता के सुख-दुख में शामिल होते थे। वह अपनी कामयाबी का श्रेय अपने कार्यकर्ताओं को देता था।

ओपी चौटाला ने की हमेशा कार्यकर्ताओं की हौंसला अफजाहीः अभय चौटाला

आगे अभय चौटाला ने कहा कि अपने उसूलों से पिता और दादा ने समझौता नहीं किया। अपनी जिंदगी के आखिरी दशक में भी हजारों कार्यकर्ताओं के परिवारों को नौकरी देने का काम किया। 10 साल कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के लिए जेल काटी और जब भी जेल से छुट्टी पर आते गांव देहात में कार्यकर्ताओं से मिलते। कार्यकर्ताओं की हमेशा हौंसला अफजाही की। उन्होंने कहा कि मैंने एक बेटे का फर्ज का निभाया, एक भाई का फर्ज निभाया, एक पिता का फर्ज निभाया। मैं वादा करता हूं जो पिता को वचन दिया था उसे ताउम्र निभाऊंगा। मैं लाखों कार्यकर्ताओं से इतना ही कहूंगा। सुख-दुख हमारे जीवन का हिसा है। हम चौटाला साहब को वापस तो नहीं ला सकता, लेकिन उनके सपनों को साकार करेंगे।

 

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