हरियाणा में फिर हुआ बड़ा धान घोटाला, महज 2 मिलों की जांच में गायब मिला 21600 क्विंटल धान

Edited By Saurabh Pal, Updated: 27 Oct, 2023 08:10 PM

21 thousand 600 quintals of paddy missing from 2 rice mills of guhla chika

शहर की दो राइस मिलों में मार्केटिंग बोर्ड की संयुक्त टीम  ने जांच की थी। जिसमें लगभग 21 हजार 600 क्विंटल पीआर धान कम पाए जाने का खुलासा हुआ है। हालांकि सीए मार्केटिंग बोर्ड द्वारा दिए गए आदेशों पर टीम गुहला क्षेत्र में पहुंची और अनुमान से कहीं अधिक...

गुहला चीका (कपिल/नन्दलाल): शहर की दो राइस मिलों में मार्केटिंग बोर्ड की संयुक्त टीम  ने जांच की थी। जिसमें लगभग 21 हजार 600 क्विंटल पीआर धान कम पाए जाने का खुलासा हुआ है। हालांकि सीए मार्केटिंग बोर्ड द्वारा दिए गए आदेशों पर टीम गुहला क्षेत्र में पहुंची और अनुमान से कहीं अधिक अंतर पाए जाने पर टीम के भी होश फाख्ता हो गए। उपमंडल गुहला के गांव नंदगढ़ खुशहाल माजरा रोड पर स्तिथ पीसी फ़ूड राइस मिल में 6400 क्विंटल सरकारी धान कम पाया गया है, जबकि दूसरी तरफ गुहला रोड स्थित जगदम्बा राइस मिल में कुल 15 हजार 200 क्विंटल धान कम पाए जाने की मार्केटिंग बोर्ड के डीएमईओ ने पुष्टि की है। दोनों ही राइस मिलों में मार्केटिंग बोर्ड की टीम द्वारा की गई स्पेशल जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है। मार्केटिंग बोर्ड की संयुक्त टीम के वरिष्ठ जांच अधिकारी डीएमईओ भिवानी श्याम सुंदर ने यह जानकारी दी है।

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जांच में हुए खुलासे जांच टीम के उड़े होश

यह जांच जहां पीसी फूड्स में वीरवार देर शाम तक चली, वहीं आज जगदम्बा राइस मिल जांच की गई। इस जांच के दौरान हुए खुलासे से जांच टीम के होश उड़ गए। टीम द्वारा की गई जांच पड़ताल के दौरान एक और बात सामने आई कि पीसी राइस मिल के जिस कार्यस्थल पर सरकारी धान का पूरा स्टॉक रखा जाना चाहिए था, उसमें पूरा स्टॉक ना रखते हुए अन्य स्टॉक लगभग दो-तीन किलोमीटर दूर रखा गया है। वहीं मिलर्स का कहना है कि इसके लिए नियमानुसार उसने परमिशन ली हुई है, लेकिन बावजूद इसके भी 6400 क्विंटल धान की कमी उक्त मिल में पाया जाना कई बड़े सवाल खड़ा करता है। जांच अधिकारी श्याम सुंदर ने कहा कि दो स्थानों पर धान कैसे रखा गया है इसकी पुष्टि तो संबंधित खरीद एजेंसी द्वारा ही की जाएगी। यह जांच गुरुवार देर रात्रि तक चली।

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21600 क्विटल धान 2 राइस मिलों मिला कम

जांच पूरी होने पर जांच अधिकारी श्याम सुंदर ने इसकी पूरी जानकारी पंजाब केसरी टीम को दी। वहीं दूसरी तरफ टीम के वरिष्ठ अधिकारी श्याम सुंदर ने बताया कि जगदम्बा राइस मिल में पीआर धान की कुल कमी लगभग 15 हजार 200 क्विंटल के करीब पाई गई है, जबकि मिल में बारीक धान आरएस 10 व बासमती आदि भी पाई गई है। जिसकी मार्केट फीस लगभग 7 लाख 7 हजार रुपए भी भरवाई गई है। उन्होंने कहा कि टीम द्वारा दोनों ही राइस मिलों की जांच पड़ताल की गई है। इसके अतिरिक्त अगली कार्रवाई जो भी होगी वो बता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि उनकी टीम में एओ शक्ति राठी, सचिव मार्केट कमेटी लोहारू अनिल कुमार, एबीएम संजीव फोगाट सहित टीम के अन्य सदस्य भी मौजूद हैं।

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बिना किसी सुरक्षा के करोड़ों का सरकारी धान

इस जांच दौरान एक बात और सामने देखने को आई कि एक नई बन रही राइस मिल में पीसी फूड्स राइस मिल की खरीद का करोड़ों रुपए का सरकारी धान स्टॉक किया गया। हालांकि मिलर ने इस बारे में यह कहा कि उनके पास इसकी परमिशन है, जो कि संबंधित एजेंसी द्वारा दी गई है। लेकिन सरकार के करोड़ों रुपए के धान के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा के प्रबंध नहीं किए गए हैं। यहां तक की सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगाया गया है। इसका जवाब मिलर भी नहीं दे पाए। जब इस संबंध में खरीद एजेंसी वेयर हाउस के कर्मचारी विकास कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मिल में माल पहुंचाने के बाद उसकी पूरी जिम्मेदारी मिलर की होती है। एजेंसी की जिम्मेदारी इसमें नहीं रहती। ऐसे में चोरी व आगजनी का खतरा बरकरार है।

बड़े भ्रष्टाचार का अंदेशा 

सरकार द्वारा करोड़ों रुपए का धान सिर्फ कागजी कार्रवाई करके अलॉट तो कर दिया जाता है, लेकिन उसमें कितने हेर फेर होते हैं। इस बात पर कोई गौर नहीं करता। ऐसे हेर फ़ेर पकड़े जाने पर किसी से कोई संतोष जनक जबाव मिल जाए यही गनीमत है। महज दो राइस मिलों में इतना बड़ा अंतर पाए जाना क्षेत्र के अन्य राइस मिलों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है।  पूरे क्षेत्र की बात करें तो अपने आप में ही कहीं सैंकड़ों करोड़ की बड़ी गड़बड़ी का अंदेशा जताया जा रहा है। मौजूदा समय में कटे हुए गेटपासों का आंकलन किया जाए तो इतना बड़ा अंतर खुद ही बड़े भ्रष्टाचार का मुंह खोल रहा है। मिलर्स द्वारा हर वर्ष ऐसा किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे सस्ते धान को खरीद कर यह अंतर पूरा कर लिया जाता रहा है।

बाहरी राज्यों के भी मिले कट्टे

जांच अधिकारी डीएमईओ ने कहा कि या तो मिलर्स द्वारा फर्जी गेट पास कटवाए गए हैं या फिर उन्होंने धान को बेच दिया है। इसमें कुछ भी हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी जाएगी। खाद्य एवं पूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर जयभगवान से बात की गई तो उन्होंने जगदम्बा राइस मिल को लेकर कहा कि उक्त राइस मिल उन्हीं की एजेंसी के अंतर्गत आती है और 15 हजार 200 क्विंटल का अंतर पीआर धान में कैसे आ गया। इसके बारे में जानकारी जुटाएंगे। बाहरी राज्यों के बारदाने के भी मिले कट्टे-पंजाब केसरी टीम द्वारा पूरे मंजर को अपने कैमरे में कैद किया गया और पाया कि बाहरी राज्यों के सरकारी कट्टे भी धान के भरे पाए गए।

 सभी राइस मिलों की हो फिजीकल वेरीफिकेशन: हरदीप 

इस संबंध में पंजाब केसरी पर प्रसारित समाचार देख किसान नेता हरदीप बदसूई ने दूरभाष पर बात करते हुए मांग की है कि क्षेत्र के हर एक राइस मिल बारीकी से जांच की जाए। हरदीप ने कहा कि जिस तरह से टीम ने ईमानदारी से दोनों ही राइस मिलों के अंदर का पूरा भेद खोल दिया है। ऐसे ही ईमानदार अधिकारियों को आगामी जांच सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि टीम के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रदेश सरकार विशेष रुप से सम्मानित करे।

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