योगी सरकार के एक साल’ का यूपी पर पड़ेगा दूरगामी असर

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 27 Mar, 2023 08:18 PM

yogi government s  one year  will have an impact on up

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने शनिवार को अपने दूसरे कार्यकाल का निर्णायक एक साल पूरा किया। व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ के नाम एक रिकार्ड जुड़ गया। वो सबसे अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले मुख्यमंत्री बन गए।

गुड़गांव ब्यूरो : योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने शनिवार को अपने दूसरे कार्यकाल का निर्णायक एक साल पूरा किया। व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ के नाम एक रिकार्ड जुड़ गया। वो सबसे अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले मुख्यमंत्री बन गए। एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में योगी सरकार अपने छह साल के कार्यकाल का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 255 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। 37 साल बाद योगी के रूप में कोई दोबारा यूपी का मुख्यमंत्री बना था। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि पहले कार्यकाल के बाद योगी से जनता की उम्मीदें बढ गई हैं। इस लिहाज से दूसरा कार्यकाल खुद उनके लिए कई मायनों में चुनौतियों भरा है। इस एक साल में यूपी सरकार जहां एक तरफ आर्थिक मोर्चे पर झंडा बुलंद करती दिखी तो वहीं बेहतर कानून व्यवस्था प्राथमिकता में शुमार रहा। 

 

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि योगी सरकार का हर ‘सिपाही’ मुस्तैदी के साथ यूपी में निवेश की बयार बहाने के लिए निकला था। ना केवल विभिन्न राज्यों बल्कि विदेश में भी रोड शो आयोजित किए गए। जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिडला, टाटा समूह के एन चंद्रशेखर से लेकर ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया के सीईओ डेनियल बिचर समेत उद्योगजगत के दिग्गजों की उपस्थिति इसका प्रमाण था। कुल 33 लाख करोड रुपये के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। लगभग हर सेक्टर में निवेशकों ने रुचि दिखाई है। संगठित अपराध और माफियाराज के लिए बदनाम पूर्वांचल में भी विकास की बयार बहने लगी है। बुंदेलखंड के समुचित विकास की उम्मीदें भी बलवती हुई हैं। 2018 में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 4.68 लाख करोड के निवेश प्रस्ताव मिले थे। निवेश प्रस्ताव में यह अंतर दरअसल यूपी के बदले हुए मिजाज की कहानी बताता है।

 

इस बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मिले निवेश प्रस्तावों से 92.50 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सबसे बडे युवा आबादी वाले राज्य को इस समय रोजगार के अवसरों की सख्त जरूरत है। राज्य के चौतरफा विकास के लिए यह आवश्यक है कि युवा नौकरी करें। कभी बीमारू राज्यों में गिना जाने वाला यूपी आज ना केवल घरेलू बल्कि विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित कर रहा है। योगी के एक साल के कार्यकाल में सबसे अधिक चर्चा कानून व्यवस्था की हुई। राजू पाल हत्याकांड के गवाह और वकील उमेश पाल एवं दो अंगरक्षकों की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती दी गई। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि ‘माफियाओं को मिट्टी में मिला दूंगा’। इस बयान की सियासी गलियारों में काफी चर्चा हो रही है। इस बयान के बाद बाहुबली अतीक अहमद के सहयोगियों के घर पर बुलडोजर चला। योगी ने साफ कर दिया है कि अपराध, आतंक और माफियागिरी करने वालों की अवैध संपत्तियां भी सुरक्षित नहीं रहेंगी।

 

सरकार की अपराध के उन्मूलन और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रतिबद्धता को कोई नकार नहीं सकता। 2017 से 2023 के दौरान अब तक प्रदेश के सुरक्षा माहौल में आया बदलाव महसूस किया जा सकता है। अपराधियों के खिलाफ हर संभव कार्रवाई पर अडिग रहने की अपनी कार्यशैली के कारण जनता के बीच योगी की लोकप्रिय छवि बनी हुई है। विरोधियों द्वारा बुलडोजर चलाए जाने के भारी विरोध से सरकार अप्रभावित है। यूपी में संभवत: योगी पहले ऐसे मुख्यमंत्री है जो माफिया, अपराधियों को खुले मंचों से मिट्टी से मिलाने की बातें कहते हैं। दरअसल, बीजेपी को पता है कि यूपी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जनता विकास और तरक्की चाहती है, ना कि जातिगत द्वंद। माफियाओं से पूरा प्रदेश मुक्ति चाहता है। इसलिए राजनीतिक दल भले ही बुलडोजर कार्रवाई की निंदा करें लेकिन योगी अडिग है। इसका असर भी दिखने लगा है। अन्य राजनीतिक दल भी अब माफिया से सियासी गठजोड़ से दूरी बनाने लगे हैं। इसकी एक बानगी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के उस बयान में भी झलकती है, जिसमें वो कहते हैं कि ‘कौन रघुराज प्रताप सिंह’। जबकि रघुराज प्रताप सिंह 2012 में अखिलेश सरकार में मंत्री थे। बहुजन समाजवादी पार्टी भी अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी प्रकरण पर खुलकर बोलने से बच रही है। 

 

 

माफिया पर योगी की सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के बाद ही सभी 75 जिलों के माफियाओं को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया था। सरकार ने 60 माफिया को चिन्हित किया। इनमें से 90 प्रतिशत अब जेल में है। इस सूची में बाहुबली मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्र, शूटर संजीव जीवा, ढाई लाख के फरार ईनामी बदन सिंह का नाम शामिल है। सूची में सर्वाधिक पश्चिमी यूपी के 21 गैंगस्टर शामिल हैं। हाल ही में यूपी पुलिस ने एनकाउंटर का आंकड़ा जारी किया। बताया गया कि योगी के 6 साल के कार्यकाल में 10 हजार से अधिक एनकाउंटर हुए। 60 कुख्यात बदमाशों को ढेर कर दिया गया। इन बदमाशों पर 75 हजार से लेकर 5 लाख तक का इनाम घोषित था। इस तरह यूपी में प्रतिदिन 5 एनकाउंटर हो रहे हैं। इन आंकड़ों से यह साबित होता है कि यूपी सरकार लॉ एंड आर्डर के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है। नहीं तो ऐसा क्या था कि सपा और बसपा शासन में अपनी सुरक्षा में लगी रहने वाली पुलिस आज बदमाशों पर भारी है। याद करिए सपा सरकार द्वारा 2016 में विधानसभा में पेश रिपोर्ट में क्या कहा गया था। कानून व्यवस्था पर आधारित इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2012 से 2016 के बीच यूपी पुलिस पर हमले के 1044 मामले सामने आए। मायावती के पांच साल के कार्यकाल में भी पुलिस सुरक्षित नहीं थी। पुलिस पर हमले के 547 मामले सामने आए थे। इनमें 572 पुलिसकर्मी घायल हुए थे और 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। योगी के कार्यकाल से यूपी के 1 ट्रिलियन इकोनामी की उम्मीद बढ़ी है।

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